‘सब बिक गए’, ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस पर आए फैसले से मुस्लिम पक्ष नाराज, अब आगे क्या?

रोशन जायसवाल

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Gyanvapi case verdict: ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी केस के लिए सोमवार, 12 सितंबर को एक बड़ा फैसला सामने आया है. वाराणसी की जिला अदालत ने इस मामले की पोषणीयता पर सवाल उठाने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है. साथ ही, कहा है कि वह पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई जारी रखेगी. अदालत के इस फैसले के बाद जहां एक ओर हिंदू पक्ष की खुशी का ठिकाना नहीं है, तो दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष ने इसे लेकर कठोर शब्दों में नाराजगी जताई है.

Gyanvapi case update: मुस्लिम पक्ष के वकील मेराजुद्दीन सिद्दीकी ने अदालत पर बड़ा आरोप लगाया है. मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा है कि ये फैसला न्यायोचित नहीं है. हम फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. जज साहब ने फैसला सांसद के कानून को दरकिनार कर दिया. ऊपरी अदालत के दरवाजे हमारे लिए खुले हैं. न्यायपालिका आपकी है, आप संसद के नियम को नही मानेंगे, सब लोग बिक गए हैं.’

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आपको बता दें कि कोर्ट ने 24 अगस्‍त को इस मामले में अपना आदेश 12 सितंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में पांच महिलाओं ने याचिका दायर कर हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी, जिनके विग्रह ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं.

तब अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद को वक्फ संपत्ति बताते हुए कहा था कि मामला सुनवाई योग्य नहीं है. मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी.

जिला जज ने अपने आदेश में कहा,

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दलीलों और विश्‍लेषण के मद्देनजर मैं इस निष्‍कर्ष पर पहुंचा हूं कि यह मामला उपासना स्‍थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991, वक्‍फ अधिनियम 1995 और उप्र श्री काशी विश्‍वनाथ मंदिर अधिनियम 1983 तथा बचाव पक्ष संख्‍या 4 (अंजुमन इंतजामिया) द्वारा दाखिल याचिका 35 सी के तहत वर्जित नहीं किया गया है, लिहाजा इसे निरस्‍त किया जाता है.

जिला जज.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू श्रद्धालुओं की याचिका को मामले की जटिलता के मद्देनजर वाराणसी के सिविल न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत से जिला न्यायाधीश, वाराणसी की अदालत में हस्तांतरित कर दिया था.

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(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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