अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक दर्जा मिलेगा या नहीं? सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला

संजय शर्मा

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क्या AMU को मिलेगा अल्पसंख्यक दर्जा?
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Aligarh Muslim University news: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आज आने वाला है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली संविधान पीठ इस अहम मामले पर अपना निर्णय सुनाने जा रही है. इस सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की दलील थी कि आजादी के आंदोलन से लेकर अब तक ये राष्ट्रीय चरित्र और स्तर का विश्वविद्यालय है. इसे अल्पसंख्यक खांचे में बंद करना सही नहीं है.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जा की बहाली की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के सात जज चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, नामित चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के फैसला देगी. इस फैसले से यह तय होगा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान के रूप मे दर्जा दिया जाए या नहीं. 

सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले मे तय करेगा कि संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत किसी शैक्षणिक संस्थान को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने के मानदंड क्या हैं? साथ ही सुप्रीम कोर्ट  ये भी तय करेगा कि क्या संसदीय कानून द्वारा निर्मित कोई शैक्षणिक संस्थान संविधान के अनुच्छेद 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त कर सकता है?

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का इतिहास

देश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में गिने जाने वाले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना 24 मई 1920 को की गयी थी. उस समय के महान समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान ने मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा प्रदान करने की जरूरत महसूस करते हुए 1877 में मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कालेज की स्थापना की थी. यही कॉलेज आगे जाकर 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना. यह आजादी के बाद देश के चार केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक था.

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AMU के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि 1857 की क्रांति ने सर सैयद अहमद खान पर गहरा असर डाला था और उनके परिवार के लोग भी अंग्रेजों की गोलियों का शिकार हुए थे. सर खान ने आधुनिक शिक्षा को हथियार बनाकर अंग्रेजों को सबक सिखाने की ठान ली. वह ईस्ट इंडिया कंपनी में शामिल हुए और आधुनिक शिक्षा के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करने के इरादे से 1870 में इंग्लैंड गए. 

वहां उन्होंने ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसे विश्वप्रसिद्ध संस्थानों का दौरा किया और भारत में भी आधुनिक शिक्षा का उजाला फैलाने का सपना देखा. उन्होंने वापस आकर अलीगढ़ में मात्र सात छात्रों के साथ एक मदरसे की स्थापना की. धीरे धीरे छात्रों की संख्या बढ़ने लगी और 1877 में इसका विस्तार करते हुए एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की शुरुआत की गई. यही कॉलेज 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना जो दुनियाभर में एक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान के तौर पर प्रसिद्ध है. 

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