मिशन 2024: भूपेंद्र चौधरी के सहारे BJP की यूपी में नई सियासी समीकरण साधने की कोशिश

कुमार अभिषेक

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भूपेंद्र चौधरी (Bhupendra Choudhary) बीजेपी के उत्तर प्रदेश के नए अध्यक्ष बनाए गए हैं. पिछले 24 घंटे में ही यह नाम अचानक से उभरा और आलाकमान ने उनके नाम की घोषणा कर दी.

मगर पिछले कुछ दिनों से कयास लगाए जा रहे थे कि यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) को प्रदेश अध्यक्ष की कमान दी जाएगी और एक संकेत उन्होंने ट्वीट कर दिया भी था कि ‘संगठन सरकार से बड़ा होता है’. लेकिन पिछले कुछ दिनों में काफी कुछ बदला और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने संगठन का चेहरा रहे भूपेंद्र सिंह चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष बना दिया.

सभी राजनीतिक पार्टियों की नजरें 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर हैं. चुनौती जाट वोटों को साधने की है, क्योंकि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 ( UP Assembly Election 2022) में जाट सबसे ज्यादा नाराज होकर उभरा था. हालांकि, बीजेपी ने पश्चिम में अच्छा प्रदर्शन किया था, बावजूद इसके जाटों की नाराजगी बीजेपी को झेलनी पड़ी थी और वह नाराजगी किसान आंदोलन से उभरी थी.

बीजेपी को लगता है कि भूपेंद्र चौधरी के बहाने वह रूहेलखंड से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को सियासी तौर पर साध सकेगी. मुरादाबाद के रहने वाले भूपेंद्र सिंह चौधरी ऐसे इलाके से आते हैं जहां बीजेपी सबसे कमजोर मानी जाती है यानी कि सबसे मजबूत दौर में भी मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर ऐसे जिले बीजेपी के लिए हमेशा से चुनौती वाले जिले रहे. इस बार बीजेपी ने संगठन के दोनों अहम पदों पर इन्हीं जिलों से आने वाले दो लोगों को दिए. धर्मपाल सिंह सैनी जो कि संगठन मंत्री बनाए गए हैं वह बिजनौर से आते हैं, जबकि भूपेंद्र सिंह चौधरी मुरादाबाद से.

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बीजेपी को लगता है कि भूपेंद्र सिंह चौधरी के बहाने वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों के बीच अपने खोए जनाधार को दोबारा से वापस पा सकेगी. दरअसल, आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को लेकर अपनी तैयारी शुरू कर दी है.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के साथ होने की वजह से मुस्लिम वोट पहले से ही जयंत चौधरी के साथ है और अब वह भीम आर्मी के चंद्रशेखर रावण को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलितों को जोड़ने की भी कवायद में जुटे हैं.

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ऐसे में बीजेपी के लिए 2024 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश एक बड़ी चुनौती के तौर पर उभरने वाला है. इसे भांपते हुए बीजेपी ने संगठन के अपने सबसे विश्वासी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर लगाया है, ताकि जाट, यादव और दलित समीकरण बनने से पहले ही जमींदोज किया जा सके.

चर्चा पहले ब्राह्मण परिवार की रही फिर दलित चेहरे की रही और आखिर में ओबीसी से केशव मौर्य की रही. मगर इन सब के बीच बीजेपी ने जाटों की नाराजगी खत्म करने को अपनी प्राथमिकता दी और उनके बीच से ही एक जाट चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया.

भूपेंद्र सिंह चौधरी की खूबियां अगर देखें तो वह एक लो प्रोफाइल संगठन के ऐसे नेता हैं जो हमेशा पर्दे के पीछे रहकर पार्टी के संगठन के लिए काम करते रहे. जब अमित शाह उत्तर प्रदेश के प्रभारी थे तब उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय मंत्री के तौर पर उनके सहयोगी थे. केशव मौर्य जब प्रदेश अध्यक्ष थे तब भी वह क्षेत्रीय अध्यक्ष हुआ करते थे. ऐसे में संगठन से वह बहुत वर्षों से जुड़े हुए थे आरएसएस के अनुशासन में पले बढ़े भूपेंद्र चौधरी संगठन में जाने-माने नाम है.

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दूसरे राज्यों में भी चुनाव प्रबंधन में पार्टी इनका इस्तेमाल करती रही है और सरकार में भी योगी सरकार के दोनों कैबिनेट में शामिल रहे हैं. ऐसे में बीजेपी ने इनके अनुभव को और खासकर संगठन में इनके अनुभव को देखते हुए इन्हें प्रदेश की कमान दी है.

स्वतंत्र देव सिंह की भांति ही भूपेंद्र चौधरी भी कार्यकर्ताओं को उनके नाम से जानते हैं. उत्तर प्रदेश के जिले जिले से वाकिफ हैं और कार्यकर्ताओं के बीच भी लोकप्रिय हैं.

ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर काम करने में इन्हें कठिनाई नहीं आने वाली है, क्योंकि अमित शाह की कोर टीम के माने जाने वाले भूपेंद्र चौधरी संगठन से लेकर सरकार तक में अपनी पहचान रखते हैं.

दूसरे दलों के नेताओं ने भी भूपेंद्र सिंह चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और सबसे चौकानेवाले प्रतिक्रिया आरएलडी के तरफ से आई है. आरएलडी के मुख्य प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि जयंत चौधरी की लोकप्रियता से घबराकर बीजेपी ने एक जाट चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. वहीं कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी जीत की मशीन बन चुकी है और उसका पूरा ध्यान सिर्फ जीतने पर लगा है, लोगों की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है.

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