केसीआर की रैली से थर्ड फ्रंट का हुआ आगाज! अखिलेश ने तस्वीरें शेयर कर दिया ये संदेश

कुमार अभिषेक

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बुधवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने खम्मम में एक विशाल रैली का आयोजन किया और शक्ति प्रदर्शन किया. इस बीच, नए मोर्चा बनने की चर्चाएं जमीन पर आकार लेते दिखने लगी हैं. इस रैली में शामिल होने के लिए यूपी के पूर्व सीएम और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी पहुंचे. उन्होंने वहां पहुंचते ही थर्ड फ्रंट की ताकत दिखाती हुई कुछ तस्वीरें भी ट्वीट की हैं.

इन तस्वीरों के चंद्रशेखर राव, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और उनकी तस्वीर प्रमुखता से है. ट्वीट यह दिखाने के लिए काफी है कि विपक्ष की गोलबंदी के इतर एक नया फ्रंट आकार ले रहा है. रैली में पंजाब के सीएम भगवंत मान, केरल के सीएम पिनराई विजयन और डी राजा भी शामिल होने पहुंचे.

आने वाले समय में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी या लेफ्ट पार्टी में से कोई एक शामिल हो सकता है. जिन आठ दलों को कांग्रेस पार्टी ने भारत जोड़ो यात्रा के समापन का न्योता नहीं दिया है, उन पार्टियों में से कई पार्टी इस फ्रंट का हिस्सा बन सकती हैं.

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‘जो कांग्रेस के साथ नहीं जाना चाहते हैं या कांग्रेस से नुकसान’

अखिलेश यादव ने कुछ दिन पहले लखनऊ के प्रेस कॉन्फ्रेंस में थर्ड फ्रंट की चर्चा कर विपक्ष की गोलबंदी में पलीता लगा दिया था. समाजवादी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस से इतर एक अलग फ्रंट चाहती है जिसमें वह सभी दल इकट्ठे हों जो कांग्रेस के साथ नहीं जाना चाहते या फिर कांग्रेस के साथ गोलबंद होने का जिन्हें अपने राज्यों में नुकसान हो सकता है.

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‘कांग्रेस से गठबंधन में बढ़ जाता है बीजेपी का वोट प्रतिशत’

समाजवादी पार्टी भी इसी सोच की है उसे लगता है कि कांग्रेस के साथ जाना बीजेपी को मजबूत करना है क्योंकि कांग्रेस के साथ अगर समाजवादी पार्टी का गठबंधन होता है तो बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ जाता है.

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ऐसे तमाम वोटर जो बीजेपी को वोट नहीं करते, वो कांग्रेस को वोट करते हैं वह भी इस गठबंधन की सूरत में बीजेपी की ओर चले जाते हैं, इसलिए बीजेपी को हराना है तो बीजेपी विरोधी वोटों को बीजेपी की तरफ जाने से रोकना होगा और इसके लिए अलग-अलग लड़ना भी एक विकल्प है.

‘बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस को चुनौती दे रहा नया फ्रंट’

अखिलेश यादव ने जो तस्वीर पोस्ट की है उसमें के चंद्रशेखर राव अरविंद केजरीवाल अखिलेश यादव की तस्वीर प्रमुखता से है. यह ट्वीट यह दिखाने के लिए काफी है कि विपक्ष की गोलबंदी के इतर एक नया फ्रंट आकार ले रहा है.

अखिलेश यादव ने पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ-साफ यह कहा था कि देश में एक फ्रंट की जरूरत है जो विपक्षी दलों को एक फ्रंट के तहत ला सके. फिलहाल केसीआर के साथ जुट रहा अलग-अलग राज्यों के छत्रपों का यह समूह बीजेपी से कहीं ज्यादा कांग्रेस नेतृत्व में बनने वाले गठबंधन को चुनौती दे रहा है.

‘चौटाला या चौधरी… कोई एक ही आ सकता है फ्रंट में’

जानकार कह रहे हैं कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के सफल होने के बावजूद अगर विपक्षी एकता कांग्रेस के नेतृत्व में नहीं होती और कोई थर्ड फ्रंट बन जाता है फिर राजनीतक रूप से कांग्रेस के लिए 2024 में लड़ाई और कठिन हो जाएगी. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के खिलाफ सियासत करने वाले कई और नेता और पार्टियां इस फ्रंट में शामिल हो सकते हैं.

अखिलेश यादव की कोशिश आरएलडी को शामिल कराने की भी है. साथ-साथ हरियाणा से ओम प्रकाश चौटाला को लेकर भी कोशिशें हो रही हैं. हालांकि इस फ्रंट में ओम प्रकाश चौटाला या जयंत चौधरी में से कोई एक ही आ सकता है. ठीक उसी तरह जैसे ममता बनर्जी या लेफ्ट पार्टी में से कोई एक इस गठबंधन का हिस्सा बन सकता है.

दरअसल, बीजेपी के विरोध में पॉलिटिक्स करने वाली सभी पार्टियां एक मंच पर नहीं आ सकतीं. ऐसा कई दलों का मानना है. ऐसे में तीसरे फ्रंट की जरूरत है. बहुत संभव है नीतीश कुमार भी आने वाले दिनों में इस फ्रंट का हिस्सा बन जाए. क्योंकि कांग्रेस अगर अपना नेतृत्व चाहती है तो विपक्ष में थर्ड फ्रंट ही है, जिसमें कई पीएम के दावेदार बिना अपनी दावेदारी किए एक साथ रह सकते हैं.

‘मुस्लिम समाज के नेताओं से मेल-जोल बढ़ा रही बसपा’

उत्तर प्रदेश में 2024 का आम चुनाव पूरी तरीके से चतुष्कोणीय चुनाव की तरफ बढ़ता दिख रहा है. हालांकि सूत्रों की मानें तो मायावती ने भले ही किसी भी गठबंधन से साफ-साफ इंकार कर दिया हो लेकिन वह फिलहाल ताकतवर मुस्लिम नेताओं और प्रभाव वाले छोटे अल्पसंख्यक समूहों और दलों के साथ मेलजोल बढ़ा रही हैं ताकि मुस्लिम वोटरों को साधा जा सके वैसे गठबंधन को लेकर वह पत्ते चुनाव के पहले नहीं खोलेंगी.

‘कांग्रेस का पिछलग्गू बनते नहीं देखना चाहते अखिलेश’

उधर, अखिलेश यादव पूरी तरीके से मुलायम सिंह बनने की राह पर हैं. मुलायम सिंह यादव ने अपनी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत रखते हुए कांग्रेस से दूरी बनाए रखी और अपनी सुविधा के हिसाब से कभी समर्थन किया तो कभी विरोध का झंडा उठाया. अखिलेश यादव भी खुद पार्लियामेंट का चुनाव लड़ेंगे, यह लगभग तय है.

ऐसे में राष्ट्रीय राजनीति में वह कांग्रेस का पिछलग्गू बनते नहीं देखना चाहते. वह चाहते हैं कि चुनाव बाद सभी पार्टियां जीत कर आएं और बीजेपी के खिलाफ पोस्टपोल गठबंधन करें, लेकिन कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में फिलहाल वह किसी गठबंधन को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं हैं. हालांकि इस मामले में अखिलेश यादव खुलकर अपने पत्ते नहीं खोल रहे.

कांग्रेस को लेकर जो मुस्लिम जनमानस यह चाहता है कि आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी के इर्द-गिर्द दूसरी पार्टियों का गठबंधन हो और फिर बीजेपी को चुनौती दी जाए, लेकिन जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी ने असदुद्दीन ओवैसी से लेकर असम में यूडीएफ तक को नजरअंदाज किया है ऐसे में बन रहा नया फ्रंट कई दलों का ठिकाना हो सकता है.

‘यूपी में कांग्रेस को मजबूत नहीं करना चाहती है सपा’

समाजवादी पार्टी को लगता है कि कांग्रेस के जो कट्टर वोट बैंक हैं, जिनकी तादाद अच्छी है वह कांग्रेस पार्टी के चुनाव लड़ने पर कांग्रेस को तो वोट करते हैं लेकिन कांग्रेस और सपा के गठबंधन होने की सूरत में वह समाजवादी पार्टी को हराने पर उतर आते हैं जिससे बीजेपी का वोट प्रतिशत काफी बढ़ जाता है.

सपा की रणनीति है कि ऐसे वोटर कांग्रेस के साथ रहें और बीजेपी में ना जाएं. हालांकि यह तर्क समाजवादी पार्टी का चुनावी रणनीति को लेकर है. लेकिन सच्चाई है कि समाजवादी पार्टी नहीं चाहती कि कांग्रेस पार्टी से गठबंधन कर उत्तर प्रदेश में उसे मजबूत होने का कोई मौका दिया जाए.

एक बार अगर मुस्लिम वोटरों ने कांग्रेस का रुख कर लिया तो विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए मुसीबत बढ़ जाएगी. ऐसे में सपा हर हाल में उत्तर प्रदेश में अपना वर्चस्व कायम रखना चाहती है. इसलिए कांग्रेस से इतर फ्रंट को लेकर उत्साहित है.

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