अपने 37 सांसदों के साथ जब संसद में घुसे अखिलेश तो ऐसा था नजारा, सबके हाथ में थी एक ही चीज

यूपी तक

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Akhilesh Yadav
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UP Politics: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की जिंदगी का आज एक खास दिन है. लोकसभा चुनाव-2024 में मिली शानदार सफलता के बाद आज अखिलेश यादव पत्नी डिंपल यादव के साथ अपने 37 सांसदों को लेकर संसद भवन पहुंचे हैं. अखिलेश यादव और उनके सभी सांसद जिस तरह से सदन में आए हैं, अब वह काफी चर्चाओं में बना हुआ है.

सपा मुखिया के चेहरे पर मुस्कान और आत्मविश्वास पूरी कहानी बयां करता है. दरअसल लोकसभा चुनाव-2024 में समाजवादी पार्टी ने अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन किया है. भाजपा के गढ़ माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में ही अखिलेश यादव ने भाजपा को हरा दिया और भाजपा को बहुमच से भी दूर कर दिया. भाजपा को यूपी में सिर्फ 33 सीट ही मिली. ऐसे में अब सपा मुखिया अपने सांसदों को लेकर आज यानी 24 जून के दिन संसद पहुंचे तो नजारा वाकई देखने वाला था.

हाथों में संविधान की किताब लेकर पहुंचे सपा सांसद

सभी सपा सांसद अखिलेश यादव के साथ ही संसद में पहुंचे. सभी ने लाल टोपी पहन रखी थी. इस दौरान सपा के सभी सांसदों के हाथों में संविधान की किताब थी. सपा के सभी सांसद संविधान की किताब हाथों में लेकर उन्हें वहां मौजूद मीडिया कैमरों को दिखा रहे थे. 

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बता दें कि इस दौरान अखिलेश यादव ने सभी सपा सांसदों के साथ सदन के गेट पर फोटो भी क्लिक करवाए हैं. इस मौके पर अखिलेश यादव और उनकी लोकसभा सदस्य पत्नी डिंपल यादव भी उनके पास ही खड़ी रही. फिलहाल अब अखिलेश यादव के अपने सांसदों के साथ सदन जाते हुए ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं और सपा कार्यकर्ता में इसको लेकर भी खूब जोश है. 

अखिलेश के नेतृत्व में सपा ने किया है कमाल

बता दें कि अखिलेश यादव के हाथों में ही सपा की कमान है. साल 2014 लोकसभा चुनाव, फिर साल 2017 यूपी विधानसभा चुनाव, फिर साल 2019 लोकसभा और साल 2022 यूपी विधानसभा चुनावों में सपा कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाई. यहां तक की साल 2017 के बाद वह साल 2022 यूपी विधानसभा चुनाव भी हार गई और यूपी में सत्ता नहीं बना पाई.

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ऐसे में लगातार अखिलेश यादव के नेतृत्व पर सवाल उठाए जा रहे थे. मगर साल 2024 लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव की रणनीति ने यूपी में भाजपा को बुरी तरह से रौंद डाला है. अकेले अखिलेश यादव ने भाजपा को ऐसी चोट दी है, जिसकी उम्मीद भाजपा के रणनीतिकारों को शायद ही कभी रही होगी.

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