देर रात राहुल गांधी और अखिलेश यादव में क्या बात हुई कि 9 सीटों पर उपचुनाव का गठबंधन गणित ही बदल गया?

कुमार अभिषेक

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राहुल गांधी, अखिलेश यादव
rahul Gandhi & Akhilesh Yadav
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Uttar Pradesh By election news: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने बुधवार देर रात ऐलान किया है कि यूपी की 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में INDIA गठबंधन के साझा उम्मीदवार साइकिल चिन्ह पर उतरेंगे. इस ऐलान से पहले कयासबाजी लगाई जा रही थी कि सपा और कांग्रेस के बीच में सीट शेयरिंग को लेकर कोई सहमति नहीं बन पा रही है. सपा और कांग्रेस की स्टेट लीडरशिप की तरफ से भी अलग-अलग संख्या में सीटों पर दावेदारी के दावे-प्रतिदावे किए जा रहे थे. हालात ऐसे बन रहे थे कि यूपी में विपक्ष के इंडिया गठबंधन के भविष्य पर भी सवाल उठने लगे थे. अखिलेश के ऐलान ने गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं होने की इन चर्चाओं पर विराम तो लगाया है, लेकिन अब चर्चा इस बात की है कि आखिर विपक्षी गठबंधन उपचुनाव के इस नए फॉर्म्युले तक कैसे पहुंचा? 

वायनाड से लौटे राहुल गांधी से देर रात हुई अखिलेश की बात

कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बुधवार को बहन प्रियंका गांधी के नॉमिनेशन के लिए वायनाड पहुंचे थे. वायनाड सीट राहुल गांधी ने खाली की है और यहां भी उपचुनाव होना है. राहुल गांधी जब वायनाड से लौटे तो सूत्रों के मुताबिक देर रात अखिलेश यादव की उनसे बातचीत हुई है. राहुल गांधी इस सपा की ओर से मिल रहे 2 सीटों के ऑफर की बजाय किसी भी सीट पर नहीं लड़ने की बात कही. 

दरअसल कांग्रेस मीरापुर और फूलपुर की सीट मांग रही थी. अखिलेश ने इसपर पहले ही दो मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिए हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी को चुनाव में ना लड़ना ही बेहतर विकल्प लगने लगा. राहुल गांधी से बातचीत के बाद अखिलेश यादव ने X पर पोस्ट कर इस नए फॉर्म्युले की जानकारी दी है. 

सपा और कांग्रेस में कहां फंसा हुआ था पेच, सब समझिए

वैसे इस बात की पहले भी आशंका जताई जा रही थी कि अगर सपा से मनमाफिक सीटों पर समझौता नहीं हुआ, तो कांग्रेस यूपी में 9 सीटों के उपचुनाव में अपनी दावेदारी वापस ले लेगी. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी हारी हुई हुई सीट पर दांव नहीं लगाना चाहती थी. अखिलेश यादव ने कांग्रेस के लिए गाजियाबाद और खैर की सीट छोड़ी थी. राजनीतिक जानकार और कांग्रेस पार्टी भी इन दोनों को ऐसी सीट मान रही थी जिसे जीतना लगभग नामुमकिन था. भाजपा पिछले कई बार से इन दोनों सीटों को जीतती आ रही है. 

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सूत्रों के मुताबिक यह कांग्रेस पार्टी का एक फेस सेविंग फॉर्म्युला है जिसमें सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे. यानी चुनाव नहीं भी लड़े और अपनी महत्ता बनाए भी रखें.  कांग्रेस पार्टी को पता था कि गाजियाबाद सदर और खैर  की सीट उसके लिए सबसे मुश्किल सीट थी. यही वजह है कि समाजवादी पार्टी ने यह दोनों सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी थीं. कांग्रेस पार्टी को लगा कि यह दोनों सीटें लड़ने से बेहतर है इसे सपा के लिए ही छोड़ दिया जाए. 

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने पहले ही यह इशारा कर दिया था कि अगर फूलपुर और मीरापुर जैसी सीटें उन्हें नहीं मिलेगी तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे. अखिलेश यादव ने इन दोनों सीटों को देने से मना कर दिया क्योंकि यह दोनों ऐसी सीटें हैं जो विपक्ष जीत सकता है. 

यूपी में 9 सीटों पर हो रहा है उपचुनाव 

यूपी में 10 विधानसभा सीटें खाली हैं. यहां अभी कुल 9 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है. इनमें मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मिर्जापुर की मझवां, अयोध्या की मिल्कीपुर, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट शामिल हैं. अभी मिल्कीपुर सीट पर चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है. उपचुनाव में 13 नवंबर को वोट डाले जाएंगे.  इन सभी सीटों पर नतीजों की घोषणा 23 नवंबर को होगी. 
 

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