नजूल जमीन विधेयक को लेकर यूपी विधानसभा और विधान परिषद में क्या हुआ? अब अंदर की बात पता चली

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UP News: नजूल जमीन विधेयक को लेकर एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार और भाजपा संगठन आमने-सामने नजर आ रहा है. दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने विधानसभा में नजूल जमीन विधेयक पेश किया था. इसे यूपी विधानसभा में भी पास कर दिया गया था. मगर विधान परिषद में यह विधेयक फंस गया.

मिली जानकारी के मुताबिक, विधान परिषद में जिस समय उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य इस विधेयक को पेश किया, उसी समय विधान परिषद के सदस्य और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की. उसके बाद विधान परिषद के सभी सदस्यों ने इसे प्रवर समिति को भेजने का फैसला ले लिया. बताया जा रहा है कि कुछ भाजपा विधायक भी इस बिल के खिलाफ हैं.

अब सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, विधानसभा में नजूल संपत्ति विधेयक के पास होने के बाद विधान परिषद में इसे प्रवर समिति को भेजने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी हरी झंडी थी.

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इस बिल को लेकर विधायकों ने ही की सीएम योगी से मुलाकात

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, विधानसभा में विधेयक पेश होने और पास होने के बाद कई विधायकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अलग-अलग मुलाकात की. इस दौरान विधायकों ने इस बिल को लेकर कई संशोधन सुझाए.

माना जा रहा है कि चूंकि सीधे पास हुए विधायक को रोक नहीं जा सकता था, इसलिए विधान परिषद में प्रवर समिति के जरिए फिलहाल 2 महीने के लिए इसे टाला गया है.

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क्या होती है नजूल संपत्ति?

नजूल की जमीन का मतलब ऐसे जमीनों से होता है जिसका कई सालों से कोई भी वारिस नहीं मिला. ऐसे में इन जमीनों पर राज्य सरकार का अधिकार हो जाता है. दरअसल, अंग्रेजी राज के समय उनके खिलाफ बगावत करने वाली रियासतों से लेकर लोगों तक की जमीनों पर ब्रिटिश राज कब्जा कर लेती थी. वहीं आजादी के बाद इन जमीनों पर जिन्होंने रिकॉर्ड के साथ दावा किया सरकार ने उनके जमीनों को वापस कर दिया. वहीं जिन जमीनों पर किसी ने दावा नहीं किया वहीं नजूल की जमीन बन गई, जिसका अधिकार राज्य सरकारों के पास था. ये बिल इसी नजूल संपत्ति को लेकर था.

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