UP में सपा के साथ मगर हरियाणा में BJP का समर्थन…यूपी-बिहार और हरियाणा के यादव क्या अलग-अलग हैं?

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UP News:  हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन चुकी है. सभी सियासी पंडितों और राजनीतिक जानकारों को चौंकाते हुए भाजपा ने लगातार तीसरी बार हरियाणा में अपनी सरकार बना ली है. हरियाणा में आखिर ऐसा क्या हुआ कि भाजपा तीसरी बार इतिहास रचने में कामयाब रही? राजनीतिक जानकारों का कहना है कि हरियाणा में आखिरी समय में चुनाव जाट और गैर जाट हो गया और गैर जाट वोट भाजपा को जबरदस्त तरीके से मिला. 

सियासी जानकारों की माने तो हरियाणा के यादवों ने भी भारतीय जनता पार्टी को जबरदस्त तरीके से अपना समर्थन दिया और भाजपा को जमकर मतदान किया. चुनाव परिणाम भी कुछ इसी तरफ इशारा करते हैं. दरअसल हरियाणा का एक पूरा इलाका ऐसा भी है, जिसे अहीरवाल कहा जाता है. ये इलाका अहीरों का क्षेत्र कहा जाता है. इसमें 3 जिले शामिल हैं. इन 3 जिलों में 11 विधानसभा हैं. बता दें कि इन 11 सीटों में से भाजपा के पक्ष में 10 सीट गई हैं. ऐसे में साफ इशारा है कि हरियाणा के यादवों यानी अहीरों ने भाजपा को जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी और भाजपा के लिए लामबंद हो गए.

यूपी में भाजपा के खिलाफ मगर हरियाणा में भाजपा के साथ अहीर

सोशल मीडिया पर तभी से इस बात की चर्चा हो रही है कि आखिर उत्तर प्रदेश में अहीर भाजपा के खिलाफ हो जाते हैं. मगर हरियाणा में अहीर भाजपा के साथ हो जाते हैं. आखिर इसकी क्या वजह है? 

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इसके पीछे सामाजिक और राजनीतिक कारण हैं. दरअसल हरियाणा का यादव समाज उत्तर प्रदेश और बिहार के यादव समाज से काफी अलग है. हरियाणा में यादव शासक वर्ग रहा है और इनकी रियासत रही हैं. मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव के सामाजिक न्याय से हरियाणा के यादव खुद को जोड़ नहीं पाते हैं, क्योंकि उनकी यहां रिसायत रही हैं और वह शासक रहे हैं. 

राजा राव इंद्रजीत सिंह भी हैं बड़ा फैक्टर

हरियाणा के अहीरवाल में जो यादव रियासत रही हैं, राव इंद्रजीत सिंह उसके राजा हैं. राव इंद्रजीत सिंह यादव रियासत के शाही परिवार से संबंध रखते हैं. माना जाता है कि हरियाणा का पूरा यादव समाज राव इंद्रजीत सिंह के पीछे लामबंद है. राव इंद्रजीत सिंह की गिनती भाजपा के दिग्गज नेताओं में की जाती है. राव इंद्रजीत सिंह पहले कांग्रेस में थे. मगर साल 2014 में ये भाजपा के साथ आ गए. 

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बता दें कि राव इंद्रजीत सिंह के पिता भी कुछ समय तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. ऐसे में यादव समाज को उम्मीद रहती है कि भाजपा ही राव इंद्रजीत सिंह को एक दिन मुख्यमंत्री बनाएगी. दूसरी तरफ हरियाणा का अहीर यानी यादव समाज आर्थिक संपन्न है और शासक वर्ग है, इसलिए वह खुद को सामाजिक न्याय की सपा-आरजेडी की परिभाषा से दूर रखना चाहता है. 

बिहार और यूपी के यादव बीजेपी से दूर क्यों?

माना जाता है कि हरियाणा के यादवों की स्थिति यूपी और बिहार के यादवों से अधिक मजबूत हैं. हरियाणा में अहीरों के पास रियासत रही हैं, राजा-महाराजा रहे हैं, जमीन-खेती रही है. यहां तक की नौकरियों में भी अहीर समाज की काफी भागीदारी है. दूसरी तरफ एक आम भावना ये है कि बिहार और यूपी का यादव समाज सत्ता के केंद्र में नहीं था और वह आर्थिक तौर से मजबूत भी नहीं था. ऐसे में मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव ने यादवों को यूपी-बिहार में राजनीतिक शक्ति दी. ऐसे में बिहार-यूपी के अहीर सपा-आरजेडी के पीछे लामबंद हैं तो हरियाणा, राजस्थान समेत बाकी देश के राज्यों के अहीर यानी यादव भाजपा का समर्थन करते हैं. नीचे दी गई वीडियो देखिए...

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