प्रभात गुप्ता हत्याकांड: HC में आज महत्वपूर्ण सुनवाई, मामले में अजय मिश्रा टेनी हैं आरोपी
UP News: 22 साल पहले लखीमपुर के तिकुनिया में हुए प्रभात गुप्ता हत्याकांड में आज महत्वपूर्ण सुनवाई होने जा रही है. बीते 4 सालों से…
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UP News: 22 साल पहले लखीमपुर के तिकुनिया में हुए प्रभात गुप्ता हत्याकांड में आज महत्वपूर्ण सुनवाई होने जा रही है. बीते 4 सालों से हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में प्रभात गुप्ता मर्डर केस में रिजर्व ऑर्डर को लेकर हाई कोर्ट की डबल बेंच मे सुनवाई होगी. प्रभात गुप्ता हत्याकांड एक ऐसा मामला है जिसमें वर्तमान में देश के गृह राज्य मंत्री और लखीमपुर सांसद अजय मिश्रा टेनी हत्या के नामजद आरोपी हैं.
सोमवार 22 अगस्त को एक बार फिर लखीमपुर के चर्चित प्रभात गुप्ता हत्याकांड में हाई कोर्ट की लखनऊ डबल बेंच में महत्वपूर्ण सुनवाई होगी. जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रेनू अग्रवाल की डबल बेंच प्रभात गुप्ता मर्डर केस की सुनवाई करेगी. बता दे कि हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में 12 मार्च 2018 से इस मामले में आर्डर रिजर्व है. प्रभात गुप्ता मर्डर केस गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि अजय मिश्रा टिनी पर प्रभात गुप्ता की हत्या का आरोप है. आरोप लगा कि अजय मिश्र टेनी ने तिकुनिया में 22 साल पहले प्रभात गुप्ता की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी.
क्या था प्रभात गुप्ता मर्डर केस?
UP Murder Case : गौरतलब है कि 8 जुलाई 2000 को लखीमपुर के तिकुनिया थाना क्षेत्र के बनवीरपुर गांव में दिन में लगभग 3.30 बजे प्रभात गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मर्डर केस में पिता संतोष गुप्ता ने मौजूदा समय में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के साथ शशि भूषण, राकेश डालू और सुभाष मामा को हत्या में नामजद आरोपी बनाया था. आरोप लगाया गया कि प्रभात गुप्ता को दिन दहाड़े बीच रास्ते में पहली गोली अजय मिश्रा ने उसकी कनपटी पर मारी और दूसरी गोली सुभाष मामा ने प्रभात के सीने में मारी थी, जिसके बाद प्रभात गुप्ता की मौके पर ही मौत हो गई थी.
लखीमपुर के तिकुनिया थाने में क्राइम नंबर 41/2000 धारा 302 और 34 IPC में केस दर्ज हुआ. लेकिन एफआईआर दर्ज होने के कुछ ही दिनों बाद केस बिना वादी की जानकारी के सीबीसीआईडी ट्रांसफर कर दिया गया. प्रभात गुप्ता के परिवार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता से गुहार लगाई और 24 अक्टूबर 2000 को तत्कालीन सचिव मुख्यमंत्री आलोक रंजन ने केस की जांच सीबीसीआईडी से लेकर फिर लखीमपुर पुलिस को दे दी.
प्रभात हत्याकांड : केस लखीमपुर पुलिस को दिया गया तो लखीमपुर मे जांच अधिकारी ने एसपी लखीमपुर को जांच किसी अन्य से कराने के लिए लिखित में प्रार्थना पत्र दे दिया. तब आईजी जोन लखनऊ ने विशेष टीम गठित कर विवेचना करवाई और 13 दिसंबर 2000 को केस में चार्जशीट लगा दी गई. इसी बीच अजय मिश्रा समेत सभी आरोपियों ने हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे ले लिया.
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कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई, तो 5 जनवरी 2001 को हाई कोर्ट में जस्टिस डीके त्रिवेदी की बेंच ने अजय मिश्रा को मिले अरेस्ट स्टे को खारिज कर दिया. इस बीच बेटे की हत्या में न्याय की लड़ाई लड़ रहे प्रभात गुप्ता के पिता संतोष गुप्ता की मौत हो गई तो केस की पैरवी प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता ने शुरू की.
UP News Hindi : हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे खारिज होने के बाद भी लखीमपुर पुलिस ने अजय मिश्रा को गिरफ्तार नहीं किया. प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने एक बार फिर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में गुहार लगाई. तब 10 मई 2001 को हाई कोर्ट में जस्टिस नसीमुद्दीन की बेंच ने अजय मिश्र को अरेस्ट करने का आर्डर देना पड़ा.
हाई कोर्ट से गिरफ्तारी के आदेश हुए तो डेढ़ महीने बाद 25 जून 2001 को अजय मिश्रा ने एडीजे की कोर्ट में सरेंडर कर दिया. लेकिन 25 जून को सरेंडर करते ही एक डॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर अजय मिश्रा को बीमार बताकर अस्पताल भेज दिया गया और अगले ही दिन 26 जून को सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई.
UP Samachar : 24 घंटे के अंदर निचली अदालत में सरेंडर और फिर अगले ही दिन ऊपरी अदालत के द्वारा जमानत मंजूरी के इस पूरे अनोखे मामले की शिकायत तत्कालीन डीजीसी ने डीएम लखीमपुर को पत्र लिखकर की. डीजीसी क्रिमिनल की उस चिट्ठी में साफ लिखा है कि अजय मिश्रा गिरफ्तारी से बचते रहे और फिर अपनी मर्जी के हिसाब के समय 25 जून 2001 को तब सरेंडर किया जब जिला जज छुट्टी पर थे. उसी दिन अजय मिश्रा ने सरेंडर किया और साथ ही जमानत की अर्जी भी डाल दी.
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अमूमन एडीजे कोर्ट में जमानत पर सुनवाई 1:00 बजे के बाद होती है और ऊपरी अदालत सेशन में बेल एप्लीकेशन 12:00 बजे तक ही ली जाती है. लेकिन अजय मिश्रा के सरेंडर करते ही सेशन कोर्ट में जमानत अर्जी डाल दी गई और इस मामले में शासकीय अधिवक्ता को बहुत जोर देने के बाद बहस करने के लिए एक रात की मोहलत दी गई और अगले दिन 26 जून 2001 की सुबह 11:00 बजे अजय मिश्रा को जमानत भी मिल गई.
पुलिस की तरफ से चार्जशीट दाखिल होने के बाद लखीमपुर कोर्ट में प्रभात गुप्ता मर्डर केस (Prabhat Gupta Murder Case) का ट्रायल शुरू हुआ और 29 अप्रैल 2004 को अजय मिश्रा समेत सभी आरोपी निचली अदालत से बरी हो गए.अ मूमन निचली अदालत से हत्या जैसे केस में सभी आरोपियों के बरी होने पर हाई कोर्ट में अपील करने वाली सरकार इस मामले में ढीली पड़ गई. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करने के लिए राज्यपाल को आदेश देना पड़ा. राज्यपाल ने 9 जून 2004 को आदेश देकर हाई कोर्ट में इस मामले की अपील करने का आदेश दिया.
हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में इस पूरे मामले में दो अपील दाखिल हुई. एक राज्यपाल के आदेश पर सरकार की तरफ से दाखिल हुई और दूसरी अपील पिता संतोष गुप्ता की तरफ से राजीव गुप्ता ने रिवीजन की अपील दाखिल की.
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2004 से 12 मार्च 2018, पूरे 14 साल तक इस केस की सुनवाई हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में हुई. 14 साल की लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस डीके उपाध्याय और डीके सिंह की बेंच ने सुनवाई पूरी की तो आदेश सुरक्षित रख लिया.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है किसी भी सुरक्षित रखे गए आर्डर को 6 महीने में फैसला दे दिया जाए. अगर वह बेंच फैसला नहीं देती है तो आर्डर सुरक्षित रखने वाली बैंच वो फैसला नहीं देगी.
मार्च 2018 से हाई कोर्ट के सुरक्षित निर्णय के नही आने पर 9 महीने बाद प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने फिर हाई कोर्ट चीफ जस्टिस के यहां अपील की. अपील पर सुनवाई करते हुए 5 अप्रैल 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और सरोज यादव की बेंच ने मई 2022 को इस मामले में तारीख तय की है. लेकिन 16 मई महीने से 22 अगस्त के बीच इस मामले की हुई 3बार सुनवाई में कभी अजय मिश्रा के वकील खड़े नहीं हुए तो कभी अजय मिश्रा के वकील ने कोरोना संक्रमित होने का हवाला देकर तारीख आगे बढ़ा दी. अब इस मामले की सुनवाई सोमवार 22 अगस्त को होनी है.
इस मामले में निचली अदालत से बरी होने के बाद अब हाई कोर्ट से अजय मिश्रा के भविष्य का फैसला तय होना बाकी है वही प्रभात गुप्ता के परिवार को भी 4 साल से हाई कोर्ट का रिजर्व ऑर्डर आने का इंतजार है.
अगर कानून-व्यवस्था अच्छी नहीं होती तो हम यूपी में चुनाव नहीं जीत पाते: अजय मिश्रा टेनी
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