RSS प्रमुख पर निशान साध स्वामी मौर्य बोले- जातिगत की जननी मनुस्मृति को प्रतिबंधित करें

अभिषेक मिश्रा

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

पिछले दिनों रामचरितमानस पर बयान देकर सुर्खियों में आए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत पर एक बार फिर से निशाना साधा है. रामचरितमानस के बाद अब मनुस्मृति को लेकर उन्होंने कहा कि ‘जातिगत की जननी मनुस्मृति को प्रतिबंधित करें. संघ प्रमुख का बयान है-जाति व्यवस्था खत्म होनी चाहिए, यह कहने से नहीं होगा. पैदा हुई वर्ण व्यवस्था मनुस्मृति की देन है. ऐसे ही और ग्रंथ है, जो जाति व्यवस्था की देन है.’

यूपी तक से बातचीत करते हुए सपा नेता ने कहा कि ‘अगर भागवत सही मायने में इसे खत्म करना चाहते हैं तो मनुस्मृति समेत ऐसे ग्रंथों को प्रतिबंधित करें. भागवत की जाति व्यवस्था खत्म करने की बात स्वागत योग्य है, लेकिन कहने से नहीं होगा करके दिखाएं.’

वहीं, एक ट्वीट में स्वामी मौर्य ने कहा कि ‘संघ प्रमुख जी, जब तक मुंह, बाहुं, जंघा और पैर से वर्ण पैदा करने वाले मनुस्मृति सहित अन्य तमाम ग्रन्थ रहेंगे तब तक जातियां रहेंगी और जब तक जातियां रहेंगी तब तक छुआछूत, ऊंचनीच, भेदभाव और असमानता भी रहेगा.यदि जातियां खत्म करनी ही हैं, तो पहले विषाक्त ग्रंथ और साहित्य प्रतिबंधित कराएं.’

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

रामचरितमानस पर की थी टिप्पणी

बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले महीने 22 जनवरी को श्रीरामचरितमानस की एक चौपाई का जिक्र करते हुए कहा था कि उनमें पिछड़ों, दलितों और महिलाओं के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी हैं, जिससे करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है. लिहाजा इस पर पाबंदी लगा दी जानी चाहिए.

ADVERTISEMENT

मौर्य की इस टिप्पणी को लेकर काफी विवाद उत्पन्न हो गया था. साधु–संतों तथा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उनकी कड़ी आलोचना की थी. उनके खिलाफ लखनऊ में मुकदमा भी दर्ज किया गया. उनके समर्थन में ओबीसी महासभा संगठन के कार्यकर्ताओं ने श्रीरामचरितमानस के कथित आपत्तिजनक अंश की प्रतियां जलाई थीं.

चौपाइयों को हटाने के लिए पीएम मोदी को लिखा पत्र

पिछले दिनों स्वामी मौर्य ने पीएम मोदी को एक पत्र लिख कर रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को हटाने की मांग की थी. पीएम मोदी के लिए लिखे गए पत्र में स्वामी मौर्य ने कहा था कि भारत का संविधान धर्म की स्वतंत्रता और उसके प्रचार प्रसार की अनुमति देता है. धर्म मानव कल्याण के लिए है. ईश्वर के नाम पर झूठ, पाखंड और अंधविश्वास फैलाना धर्म नहीं हो सकता.

ADVERTISEMENT

स्वामी मौर्य ने लिखा था कि ‘क्या कोई धर्म अपने अनुयायियों को अपमानित कर सकता है. क्या धर्म बैर करना सिखाता है. मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं, लेकिन धर्म के नाम पर फैलाई जा रही घृणा और वर्णवादी मानसिकता का विरोध करता हूं. इसलिए हमारी मांग है कि पाखंड और अंधविश्वास फैलाने वाले और हिंसा प्रेरित प्रवचन करने वाले कथावाचकों के सार्वजनिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया जाए और उन पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाए.’

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT