Kanwar Yatra Route and Latest Information: कांवड़ यात्रा एक धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा है. यह यात्रा हिंदू श्रद्धालुओं की ओर से भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए की जाती है. कांवड़ यात्रा सावन महीने (जुलाई-अगस्त) में की जाती है, जब भक्त गंगा नदी से पवित्र जल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए विभिन्न शिव मंदिरों की ओर प्रस्थान करते हैं. कांवड़ यात्रा भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करने का एक माध्यम है. कांवड़ यात्रा के दौरान प्रशासन भी विशेष तैयारियां करता है. पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीमें तैनात की जाती हैं, ताकि यात्रा सुचारू रूप से सम्पन्न हो सके. कांवड़ यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में एकता, भाईचारा और सहयोग का संदेश भी फैलाती है.
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यूपी में कांवड़ यात्रा के मार्ग
- हरिद्वार से यूपी के शिव मंदिर-: यह सबसे लोकप्रिय मार्गों में से एक है. भक्त हरिद्वार की यात्रा करते हैं. गंगा नदी से जल इकट्ठा करते हैं और फिर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपने स्थानीय शिव मंदिरों में वापस जाते हैं.
- गौमुख से गंगोत्री से ऋषिकेश/हरिद्वार-: कुछ कांवड़िए हरिद्वार वापस जाने से पहले गौमुख, गंगा के स्रोत, या गंगोत्री तक ऊपर की ओर जाते हैं और फिर अपने स्थानीय मंदिरों तक पैदल चलते हैं.
- अन्य लोकप्रिय मार्ग-: इलाहाबाद (प्रयागराज) जैसे अन्य तीर्थ स्थलों के मार्ग जहां त्रिवेणी संगम का जल एकत्र किया जाता है. वाराणसी के मार्ग जहां पवित्र गंगा जल एकत्र किया जाता है.
जल इकट्ठा करने के प्रमुख स्थान
- हरिद्वार-: कांवड़ियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय संग्रह स्थल. यहां का गंगा जल बहुत शुद्ध और पवित्र माना जाता है.
- ऋषिकेश-: एक और लोकप्रिय स्थान जहां भक्त अपनी यात्रा शुरू करने से पहले गंगा जल इकट्ठा करते हैं.
- गौमुख एवं गंगोत्री-: कुछ श्रद्धालु तीर्थयात्री अधिक पवित्र जल के लिए गंगा के इन स्रोतों की यात्रा करते हैं.
प्रमुख शिव मंदिर जहां चढ़ाया जाता है जल
- काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी)-: सबसे प्रतिष्ठित शिव मंदिरों में से एक जहां कई कांवड़िए अपनी यात्रा समाप्त करते हैं.
- बाबा बैद्यनाथ धाम (देवघर)-: झारखंड में यह यूपी के कांवड़ियों का प्रमुख गंतव्य है.
- पुरा महादेवा (मेरठ): यूपी का एक महत्वपूर्ण स्थानीय शिव मंदिर जहां कई कांवड़िए जल चढ़ाते हैं.
- कालेश्वर महादेव मंदिर (गोरखपुर): एक अन्य प्रमुख मंदिर जहां जल चढ़ाया जाता है.
- महामृत्युंजय मंदिर (वाराणसी): वाराणसी का एक प्रमुख शिव मंदिर.
- औघड़नाथ मंदिर (मेरठ)-: एक स्थानीय शिव मंदिर जहां कई भक्त अपनी यात्रा समाप्त करते हैं.
यूपी के अन्य उल्लेखनीय मंदिर
- देवा महादेव मंदिर (बाराबंकी)
- नागेश्वर मंदिर (बलिया)
- गढ़मुक्तेश्वर (हापुड़) में शिव मंदिर
- लोधेश्वर महादेव मंदिर (बाराबंकी)
- भारत माता मंदिर (हरदोई)*
- बिजनौर माना जाता है कांवड़ यात्रा का पहला पड़ाव
आपको बता दें कि बिजनौर कांवड़ यात्रा का पहला पड़ाव माना जाता है. क्योंकि हरिद्वार के बाद यह दूसरा जिला पड़ता है, जहां से करीब 5 लाख यात्री अलीगढ़, आगरा, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बरेली, हाथरस, बुलंदशहर, अमरोहा, मुरादाबाद आदि जनपदों के लिए गुजरते हैं.
बिजनौर में की गईं ये तैयारियां
कांवड़ यात्रियों की सुरक्षा के लिए बिजनौर में ग्रामीण क्षेत्र से लेकर जिन रास्तों से यात्री गुजरेंगे वहां पर करीब 15000 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. इसके लिए मुख्यालय के साथ-साथ मोटा महादेव मंदिर पर भी कंट्रोल रूम बनाया गया है, जहां पर कांवड़ियों पर नजर रखे जा सकेगी.
बिजनौर पुलिस ने जारी किया रूट डायवर्जन प्लान
आपको बता दें कि पुलिस ने बिजनौर में रूट डायवर्जन प्लान जारी कर दिया है. दिल्ली-मेरठ-गाजियाबाद-नोएडा से आने वाले सभी यात्रियों के वाहन बिजनौर से वाया मंडावर चंदा के नंगल मंडावली और भागूवाला होते हुए हरिद्वार जाएंगे. जबकि हरिद्वार से वापस आने वाले कांवड़ यात्री भाग वाला मंडावली, नजीबाबाद कोतवाली देहात, नगीना, धामपुर, शेरकोट, अफजलगढ़, चांदपुर, गजरौला वाले रोड से निकलेंगे. जिन रूट से कांवड़िए वापस होंगे उन सभी रूट पर अन्य वाहनों का आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया गया है.
गाजियाबाद पुलिस ने भी जारी किया रूट डायवर्जन प्लान
आपको बता दें कि कांवड़ यात्रा के मद्देनजर गाजियाबाद पुलिस ने भी अपना रूट डायवर्जन प्लान जारी कर दिया है. हल्के वाहनों के लिए यह प्लान 27 जुलाई से 5 अगस्त तक लागू रहेगा.
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