Uttar Pradesh News: माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी (Atiq Ahmed Murder Case) में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. इससे पहले अतीक के बेटे असद को एसटीएफ ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया था. अतीक की पत्नी और पुलिस की 50 हजार इनामी शाइस्ता भी फरार है. अपने बेटे और पति की मौत पर भी शाइस्ता उनके अंतिम संस्कार या आखिरी जनाजे में शामिल नहीं हुई.
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दरअसल, उमेश पाल हत्याकांड में शाइस्ता भी आरोपी है. पुलिस ने शाइस्ता के खिलाफ केस दर्ज किया है. मगर मौका पाकर शाइस्ता फरार हो गई. पुलिस शाइस्ता को पकड़ने की काफी कोशिश कर रही है. मगर शाइस्ता अभी तक पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ी है. यहां तक की अपने बेटे और पति की मौत पर भी शाइस्ता उन्हें आखिरी बार देखने के लिए नहीं आई.
इस्लाम के मुताबिक क्या है नियम
देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी का कहना है कि इस्लाम के अंदर अगर किसी औरत का पति मर जाता है तो उसके मरने के बाद उस औरत को इददत करना जरूरी होता है. इददत शरीयत के अंदर जरूरी है. महिला चाहे पुलिस कस्टडी में हो या महिला के पीछे पुलिस पड़ी हो, उसे हर हाल में इददत करना जरूरी है. उलेमा मुफ्ती असद कासमी का कहना है कि महिला चाहे अपने रिश्तेदारों के यहां हो या कही भी हो, उसे इददत करना जरूरी होता है. इस्लाम में ये नियम है. यह शरीयत कहता है. ये एक अहम प्रक्रिया है. महिलाओं को अपने पति के मरने के बाद इद्दत करना ही होता है.
क्या है इद्दत
इस्लाम में शरियत के मुताबिक, किसी मुस्लिम महिला के शौहर का इंतेक़ाल यानी मृत्यु के बाद कुछ वक्त के लिए दूसरी शादी करने पर पाबंदी होती है, यही इद्दत है. इद्दत के वक्त यानी एक तय समय के लिए महिला दूसरी शादी नहीं कर सकती. इस तय किए गए वक्त को ही इद्दत का वक्त कहा जाता है. ये वक्त 4 महीने 10 दिन का होता है. इस दौरान महिला पर गैर मर्दों से पर्दा भी जरूरी होता है.
शाइस्ता पुलिस की पकड़ से फरार
बता दें कि पति और बेटे की मौत के बाद भी शाइस्ता उनके जनाजे में नहीं आई. पुलिस को उम्मीद थी कि अतीक की मौत पर तो शाइस्ता जरूर आएगी. मगर ऐसा नहीं हुआ. पुलिस को अभी भी शाइस्ता की तलाश है. बता दें कि फरार शाइस्ता पर पुलिस ने 50 हजार का इनाम घोषित कर रखा है.at
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