माफिया-डॉन अतीक अहमद के बेटे असद के शव को कब्रिस्तान में दफना दिया गया है. बिना अतीक और शाइस्ता के ही असद को सुपुर्द ए खाक कर दिया गया है. असद की मां शाइस्ता पुलिस की गिरफ्त से फरार चल रही है तो वहीं अतीक पुलिस रिमांड पर है. बता दें कि एसटीएफ ने उमेश पाल शूटआउट के आरोपी असद और उसके साथी गुलाम को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था. बेटे असद के एनकाउंटर के बाद अतीक टूट गया है. उसके चेहरे पर बेटे की मौत का गम साफ दिख रहा है.
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असद और गुलाम को पकड़ने के लिए एसटीएफ समेत जांच एजेंसिया पिछले काफी दिनों से कोशिश कर रही थी. मगर असद और गुलाम पुलिस की पकड़ से बाहर थे. आज हम आपको बताते हैं कि आखिर पुलिस कैसे असद तक पहुंची. पुलिस ने क्या योजना बनाई.
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एसटीएफ ने मस्जिदों और धर्मशालाओं में बनाई पैठ
अतीक के बेटे असद को पकड़ने के लिए सबसे पहल एसटीएफ ने मस्जिदों और धर्मशालाओं में पैठ बनानी शुरू की. मस्जिदों पर खासा नजर रखी गई. एसटीएफ ने जब मस्जिदों में पैठ मजबूत कर ली फिर असद और गुलाम को पकड़ने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी.
सभी यूनिट को लगाया
इसके बाद एसटीएफ ने उमेश पाल शूटआउट में शामिल सभी शूटर्स को खोजना शुरू कर दिया. मिली जानकारी के मुताबिक, इस अभियान में एसटीएफ ने अपनी सभी यूनिट को लगा दिया. करीब 45 दिनों तक एसटीएफ की सभी यूनिट असद समेत सभी शूटर्स को खोजती रही.
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मामले की गंभीरता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि ऐसा पहली बार हुआ कि एसटीएफ की सभी यूनिट किसी एक मामले और अपराधियों को पकड़ने के लिए लगी हो. एसटीएफ के इस शिकंजे से धीरे-धीरे असद और गुलाम के बचने के रास्ते बंद होते चले गए.
दिन-रात लगे रहे अधिकारी
इसके साथ ही एसटीएफ के कई तेज तरार अधिकारी मस्जिदों में शूटरों की तलाश में जमे रहे. हर लीड या इनपुट को गंभीरता से लिया गया और असद समेत सभी शूटर्स को खोजने के लिए अधिकारी दिन रात लगे रहे. एसटीएफ चीफ के मुताबिक, कई बार शूटरों ने अपनी लोकेशन बदली, जिससे काफी परेशानी हुई. मगर हमें सफलता मिली.
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