Jhansi Agnikand News: झांसी के रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हाल ही में हुए हादसे पर गठित दो सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट तैयार हो चुकी है. सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि घटना में किसी भी प्रकार की साजिश या जानबूझकर की गई लापरवाही का कोई संकेत नहीं मिला है.
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क्या था आग लगने का कारण?
जांच रिपोर्ट के अनुसार, आग की शुरुआत स्विच बोर्ड में शॉर्ट सर्किट होने से हुई थी. शॉर्ट सर्किट के कारण हुए स्पार्क से आसपास रखे उपकरणों और प्लास्टिक कवर में आग लग गई. आग के फैलने के बाद, वॉर्ड में तैनात नर्स ने तुरंत इसे बुझाने का प्रयास किया, लेकिन इस दौरान उसके पैर और कपड़े जल गए. अस्पताल के कर्मचारियों ने मौके पर चार फायर एक्सटिंगुइशर का उपयोग करके आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन तब तक आग काफी फैल चुकी थी.
कैसी थी घटना के वक्त की स्थिति?
घटना के समय NICU वॉर्ड में छह नर्सें, दो महिला डॉक्टर, और अन्य स्टाफ मौजूद थे. जब आग लगी, तो वहां मौजूद नर्स ने तुरंत उसे बुझाने का प्रयास किया. जांच में पाया गया कि वॉर्ड में वॉटर स्प्रिंकलर की व्यवस्था नहीं थी, क्योंकि नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए वहां पानी का छिड़काव करना संभव नहीं है.
इस घटना की जांच झांसी के कमिश्नर विपुल दुबे और डीआईजी कलानिधि नेथानी की अध्यक्षता में की गई. दोनों अधिकारियों ने अस्पताल के स्टाफ से पूछताछ की और पाया कि यह घटना शॉर्ट सर्किट के कारण हुई थी. जांच समिति ने कहा कि घटना में किसी प्रकार की साजिश या षड्यंत्र का कोई संकेत नहीं मिला है, इसलिए अब तक इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई है.
फायर ब्रिगेड की तत्परता
आग की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम 8 मिनट के भीतर मौके पर पहुंच गई थी. हालांकि, आग के फैलने की तीव्रता इतनी अधिक थी कि उसे पूरी तरह से बुझाने में समय लगा. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि आगे की जांच के तहत यह देखा जाएगा कि क्या वॉर्ड में लगी मशीनों पर किसी प्रकार का ओवरलोड था, जिसके कारण शॉर्ट सर्किट हुआ.
झांसी मेडिकल कॉलेज की घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पर सख्त रुख अपनाया है. डीजीएमई (डायरेक्टर जनरल मेडिकल एजुकेशन) की अध्यक्षता में गठित कमेटी इस मामले की गहन समीक्षा कर रही है. विस्तृत रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया जाएगा कि वॉर्ड में सुरक्षा मानकों का पालन क्यों नहीं किया गया और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए.
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