अब्दुल्लाह आजम खान के दो जन्म प्रमाण पत्र के मामले में बचाव पक्ष यानी आजम खान पक्ष को बड़ा झटका लगा है. आजम खान पक्ष द्वारा अब्दुल्लाह आजम खान के दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्रों के मामले में बचाव पक्ष की बहस के लिए और अधिक समय मांगते हुए जिला जज की अदालत में रिवीजन दाखिल किया था, जिसे न्यायालय ने रामपुर के एमपी-एमएलए विशेष अदालत, एडीजे फर्स्ट कोर्ट को सुनवाई के लिए भेज दिया. एमपी-एमएलए विशेष जज एडीजे प्रथम विनोद कुमार बरनवाल ने इस रिविजन को निरस्त कर दिया.
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दरअसल, अब्दुल्लाह आजम खान के दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र का मामला रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट मजिस्ट्रेट ट्रायल सीरीज शोभित बंसल की अदालत में चल रहा है, जिसमें अदालत में बचाव पक्ष को बहस के लिए अंतिम अवसर देते हुए 16 अक्टूबर की तारीख तय की थी.
आज भी जब बचाव पक्ष ने ना तो बहस की और ना ही लिखित में कोई बहस दाखिल की, बल्कि इसको लेकर जिला जज की अदालत में आजम खान पक्ष की तरफ से रिवीजन दायर किया गया था. यह रिवीजन निरस्त होने के बाद अब शोभित बंसल की अदालत से 18 अक्टूबर को इस मामले में निर्णय आना लगभग तय माना जा रहा है.
इस विषय पर अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने बताया कि अब्दुल्लाह आजम खान के डबल जन्म प्रमाण पत्र से संबंधित मामला मुकदमा अपराध संख्या 4/19 थाना गंज धारा 420 467 468 471 120 बी आईपीस का अभियोग मजिस्ट्रेट ट्रायल एमपी-एमएलए कोर्ट रामपुर में विचाराधीन है.
पिछली तारीखों में न्यायालय के द्वारा बचाव पक्ष को 16 अक्टूबर तक लिखित बहस दाखिल करने का अवसर देते हुए पत्रावली निर्णय में दिनांक 18 अक्टूबर की तारीख नियत की गई थी.
उन्होंने आगे बताया कि बचाव पक्ष के अधिवक्ता आज उपस्थित आए उनके द्वारा कोई लिखित बहस दाखिल नहीं की गई और न्यायालय से समय मांगा गया. न्यायालय के द्वारा यह कहा गया कि आप अपनी बहस शुरू कीजिए फिर उनके द्वारा कहा गया अभी हम लिखित रूप में देते हैं. फिर बाद में यह पता चला कि बचाव पक्ष के द्वारा माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय के वहां रिवीजन किया गया है, जिस पर रिवीजन पर सुनवाई हुई.
अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायालय में इस रिवीजन की सुनवाई हुई. अपर एवं सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट रामपुर के द्वारा बचाव पक्ष के रिवीजन को निरस्त कर दिया गया है. बचाव पक्ष ने समय नहीं मांगा था. उन्होंने कहा था दाखिल करने के लिए समय दिया जाए. न्यायालय ने कहा कि भरपूर समय दिया गया है. उनके द्वारा एक रिवीजन किया गया. 11 तारीख के आदेश को उस आदेश को न्यायालय ने निरस्त कर दिया. अब 18 अक्टूबर को निर्णय की डेट है.
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