प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बावजूद किसान आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है. नरमी का कोई संकेत न दिखाते हुए किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने संबंधी कानून के लिए आज यानी सोमवार को लखनऊ में महापंचायत करेंगे.
ADVERTISEMENT
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने लखनऊ में लोगों से ‘एमएसपी अधिकार किसान महापंचायत’ में शामिल होने का आग्रह किया, जिसे किसान संगठनों द्वारा ताकत दिखाने की कवायद माना जा रहा है.
टिकैत ने ट्वीट किया,
“चलो लखनऊ-चलो लखनऊ. सरकार द्वारा जिन कृषि सुधारों की बात की जा रही है, वे नकली एवं बनावटी हैं. इन सुधारों से किसानों की बदहाली रुकने वाली नहीं है. कृषि एवं किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाना सबसे बड़ा सुधार होगा.”
राकेश टिकैत, किसान नेता
प्रदर्शन स्थलों में से एक सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा,” हमने कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा पर चर्चा की. इसके बाद, कुछ फैसले लिए गए. एसकेएम के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम पहले की तरह ही जारी रहेंगे. 22 नवंबर को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 नवंबर को सभी सीमाओं पर सभा और 29 नवंबर को संसद तक मार्च होगा.”
लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसान के पिता होंगे महापंचायत में शामिल
लखीमपुर खीरी की घटना में मारे गए चार किसानों में शामिल गुरविंदर सिंह के पिता सुखविंदर सिंह ने कहा कि वह अन्य किसानों के साथ महापंचायत में मौजूद रहेंगे.
अपने समर्थकों के साथ महापंचायत में भाग लेने जा रहे राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने कहा कि सैकड़ों किसानों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा.
उन्होंने कहा, “जब तक प्रदर्शन कर रहे किसानों की सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, आंदोलन जारी रहेगा. प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा पांच राज्यों में आगामी चुनावों के कारण है, जहां भाजपा को दिख रहा है कि सत्ता उसके हाथों से फिसल रही है.”
लखनऊ के पुलिस आयुक्त डी.के. ठाकुर ने कहा कि ईको गार्डन में होने वाले कार्यक्रम के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं.
आपको बता दें कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई करने वाले किसान संगठनों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र लिखा और कहा कि जब तक सरकार उनकी छह मांगों पर वार्ता बहाल नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
एसकेएम ने पत्र में तीनों कृषि कानून वापस लेने के फैसले पर आभार जताया. एसकेएम ने कहा, “11 दौर की वार्ता के बाद, आपने द्विपक्षीय समाधान के बजाए एकतरफा घोषणा करने का रास्ता अपनाया.”
बता दें कि मोर्चा ने छह मांगें रखीं हैं, जिनमें उत्पादन की व्यापक लागत के आधार पर एमएसपी को सभी कृषि उपज के लिए किसानों का कानूनी अधिकार बनाने, लखीमपुर खीरी घटना के संबंध में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने और उनकी गिरफ्तारी के अलावा किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने और आंदोलन के दौरान जान गंवाने वालों के लिए स्मारक का निर्माण शामिल है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई घटना के दौरान चार प्रदर्शनकारी किसानों की मौत हो गई थी. इस मामले में मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को गिरफ्तार किया गया था.
एसकेएम ने पर्यावरण संबंधी अधिनियम में किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान हटाए जाने और सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत संशोधन विधेयक 2020-2021 के मसौदे को वापस लेने की भी मांग की है.
पत्र में कहा गया,
“प्रधानमंत्री, आपने किसानों से अपील की है कि अब हमें वापस लौट जाना चाहिए. हम आपको यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि हमें सड़कों पर बैठने का कोई शौक नहीं है. हमारी भी यही इच्छा है कि इन लंबित मुद्दों का जल्द से जल्द समाधान होने के बाद हम अपने घरों, परिवारों और खेतों को लौट सकें. अगर आप ऐसा चाहते हैं, तो सरकार को उक्त छह मांगों पर जल्द से जल्द संयुक्त किसान मोर्चा के साथ वार्ता बहाल करनी चाहिए. तब तक, संयुक्त मोर्चा का आंदोलन जारी रहेगा.”
एसकेएम
इस बीच, आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि वे अपने निर्धारित विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे, जिसमें कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनों का एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में 29 नवंबर को संसद तक मार्च भी शामिल है.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुक्रवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा किए जाने के बाद अपनी पहली बैठक में आंदोलनकारी किसान संगठनों के निकाय ने यह निर्णय लिया.
संगठन ने कहा कि एसकेएम आगे की कार्रवाई पर विचार करने के लिए 27 नवंबर को फिर बैठक करेगा और वह अपनी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र भी लिखेगा.
तीन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के आंदोलनकारी किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर तीन जगहों पर बैठे हुए हैं. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक वे वापस नहीं जाएंगे.
विपक्ष लगातार सरकार पर बोल रही हमला
विपक्षी दलों ने स्थिति के लिए सरकार को दोषी ठहराया. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि अतीत में ‘झूठे जुमले’ झेल चुके लोग कृषि कानूनों को निरस्त करने के प्रधानमंत्री के बयान पर विश्वास करने को तैयार नहीं हैं.
समाजवादी पार्टी (एसपी) ने भी केंद्र की घोषणा को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की मंशा पर संशय जाहिर करते हुए कहा कि बीजेपी का दिल साफ नहीं है और वह उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद इस संबंध में फिर से विधेयक लाएगी.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा,””तीनों कृषि कानून वापस लेने का काम देर से हुआ है, लेकिन इस अवधि में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई है. इन मौतों की जिम्मेदारी कौन लेगा? अब भी लोगों को इस निर्णय पर भरोसा नहीं है, क्योंकि भाजपा के कई लोग कह रहे हैं कि इन कानूनों को फिर से लाया जाएगा.”
SKM से निलंबित होने पर योगेंद्र यादव बोले- अपने विरोधियों के भी दुख में शरीक होना इंसानियत
ADVERTISEMENT