Uttar Pradesh News: शिवपाल सिंह यादव की सुरक्षा कम किए जाने के बाद अब उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में सीबीआइ तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव की भूमिका की जांच शुरू कर सकती है. क्या है गोमती रिवर फ्रंट घोटाला जिसे लेकर एक बार फिर से सियासत तेज हो गई है, आइए जानते हैं.
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साल 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार आते ही विभागीय घोटाले और प्रोजेक्ट पर सरकार ने कार्रवाई शुरू की वह था पूर्वर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार का गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट.
क्या था रिवर फ्रंट घोटाला
समाजवादी पार्टी की सरकार में गोमती नदी के सौंदर्यीकरण और चैनलाइजेशन के लिए गोमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट को बनाया गया. जिसके लिए कुल 1513 करोड़ का बजट बना, इसमें से 1437 करोड़ खर्च भी हो गए. स्वीकृत धनराशि का 90 फीसदी फंड खर्च हो गया लेकिन काम 60 फ़ीसदी भी नहीं हुआ. बड़े पैमाने पर घोटाले की शिकायतें मिली जिस पर योगी आदित्यनाथ की सरकार ने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज आलोक सिंह की सदस्यता में जांच कमेटी गठित की. आलोक सिंह जांच कमेटी ने इस मामले में जांच करते हुए साफ लिखा कि भ्रष्टाचार का प्रोजेक्ट था. अफसरों ने फिजूलखर्ची में प्रोजेक्ट का बजट बढ़ाया मनमाने ढंग से बिना टेंडर के सीधे कोटेशन पर फर्मो को काम दे दिया गया.
चीफ इंजीनियर रूप सिंह यादव ने बिना किसी टेंडर के ही फ्रांस की कंपनी को 45 करोड़ का फव्वारा लगाने का ऑर्डर दे दिया 4 करोड़ की वाटर बस मंगवा ली गई. प्रोजेक्ट के डायगफ्राम वॉल से लेकर सिल्ट सफाई में तक मनमाने ढंग से बदलाव किया गया और पेमेंट किए गए. अफसरों की कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार का ही नतीजा था कि प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए सरकार को इसका बजट बढ़ाकर 1990 करोड़ करना पड़ा.
जांच समिति की सिफारिश के बाद गोमती नगर थाने में सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर रूप सिंह यादव, सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर शिवमंगल यादव, गोलेश चंद्र, एसएन शर्मा, काजिम अली, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह और सुरेंद्र यादव पर एफआईआर दर्ज करवाई गई. सीबीआई अब तक इस मामले में जांच करते हुए चीफ इंजीनियर रूप सिंह यादव क्लर्क राजकुमार यादव समेत छह लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. फिलहाल सीबीआई की जांच अभी जारी है. सीबीआई अब प्रोजेक्ट के समय पर प्रमुख सचिव सिंचाई रहे दीपक सिंघल और सपा सरकार में मुख्य सचिव रहे आलोक रंजन से पूछताछ की तैयारी में है. पूछताछ के लिए सरकार से अनुमति का पत्र करीब 6 महीने पहले भेजा जा चुका है. सरकार से अनुमति मिलते ही शिवपाल यादव के करीबी इन दोनों ही अफसरों से पूछताछ होगी.
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