ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को जिला जज की अदालत में मामले पर सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. मंगलवार को अदालत इस बात पर फैसला देगी कि मामले की सुनवाई सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 पर सीमित रहेगी या कमीशन की रिपोर्ट के साथ आगे बढ़ेगी?
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हिंदू याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से कहा है कि कमीशन की रिपोर्ट और शिवलिंग के फोटोग्राफ वीडियो सभी मुहैया कराए जाएं जिससे मामले में आगे प्रोसीड किया जा सके. इधर प्रतिवादी का कहना था कि सर्वे में मिले मेटिरियल दरअसल कहीं से भी मेटेरियल नहीं है और इसपर बहस भी मेटेरियल नहीं है.
जिला जज अजय कुमार विश्वेश की अदालत की कार्यवाही में हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन और विष्णु जैन जिला जज कोर्ट पहुंचे थे. इसके अलावा तीनों वादी महिलाएं और मुस्लिम पक्ष के वकील भी कोर्ट पहुंचे थे. हालांकि कोर्ट में पूर्व कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को नहीं जाने दिया गया. मामले में पहले ज्ञानवापी केस को लेकर सुनवाई हुई. बताया जा रहा है कि इसके बाद अदालत महंत डॉ. कुलपति तिवारी की पूजन के अधिकार की याचिका पर सुनवाई करेगी कि इसे स्वीकार किया जाएगा या नहीं.
ध्यान देने वाली बात है कि उपासना स्थल कानून 1991 की रोशनी में सिविल प्रक्रिया संहिता यानी सीपीसी का आदेश 7 नियम 11 किसी भी धार्मिक स्थल पर दावे को सीधे अदालत में ले जाने पर पाबंदी लगाता है. सरल शब्दों में कहें तो किसी धार्मिक स्थल की प्रकृति और स्थिति को बदलने की अर्जी सीधे अदालत में दी ही नहीं जा सकती.
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये कानून किसी धार्मिक स्थल की प्रकृति और स्थिति की पहचान के लिए कोई जांच, कमीशन का गठन या सर्वेक्षण कराने से नहीं रोकता. अगर किसी कमीशन की सर्वेक्षण रिपोर्ट से विवादित धार्मिक को लेकर दावेदार पक्ष के दावे की तस्दीक कर दी और अदालत ने उसे मान लिया तो अदालत उसे आगे भी सुनेगी.
विश्वनाथ मंदिर के महंत ने जिला अदालत में अर्जी देकर ज्ञानवापी में इन अधिकारों की मांग की
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