IIT कानपुर के पूर्व छात्र राकेश गंगवाल ने यहां से पढ़ाई के 46 वर्षों बाद अपने संस्थान से एक अनूठा नाता जोड़ा है. राकेश गंगवाल ने 100 करोड़ रुपये IIT कानपुर को दान दिए हैं, जिससे संस्थान में ‘स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी’ की स्थापना की जाएगी. IIT कानपुर भी अपने पूर्व छात्र के इस सहयोग के लिए ‘गंगवाल स्कूल ऑफ साइंसेज एंड टेक्नॉलजी’ नाम देगा.
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यूं तो जाने-माने संस्थानों के छात्र देश विदेश में नाम कमाकर अपने संस्थान का गौरव बढ़ाते हैं. कुछ छात्र ऐसे भी होते हैं, जो बड़ा मकाम हासिल करने के बाद अपने संस्थान में कुछ अंशदान करते हैं, लेकिन कानपुर के IIT से पढ़ाई कर चुके राकेश गंगवाल ने ऐसी मिसाल कायम की है, जिसको सुनकर हर कोई चौंक गया. राकेश गंगवाल ने आईआईटी कानपुर में चिकित्सा के क्षेत्र में उन्नत शोध के मद्देनजर ‘school of science and technology’ के लिए 100 करोड़ रुपये की बड़ी रकम देने का करार किया है.
मुंबई में MoU पर हुए हस्ताक्षर
उद्योगपति और इंडिगो एयरलाइंस के सह संस्थापक राकेश गंगवाल और संस्थान की तरफ से डाइरेक्टर प्रोफेसर अभय करंदीकर के बीच मुंबई में समझौता पत्र (MoU) पर हस्ताक्षर हुए. इसके तहत राकेश गंगवाल 100 करोड़ रुपये की मदद देंगे. ये बात इसीलिए और महत्वपूर्ण है, क्योंकि दावा किया जा रहा है कि इस तरह के संस्थानों को दी गई ये अब तक की सबसे बड़ी सहयोग राशि है.
इस स्कूल की परिकल्पना देश में चिकित्सा अनुसंधान और तकनीकी क्षेत्र में होने वाले नवाचार को मिलाकर बदलाव लाने के लिए की गई है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को चिकित्सा क्षेत्र में होने वाले नए रीसर्च का लाभ मिल सके. यह क्लीनिकल अनुसंधान और मेडिटेक की फील्ड में शोध के लिए खास तरह का प्रयास है जिससे इस तरह की रीसर्च में नेतृत्व विकसित हो सके. फ्यूचरिस्टिक मेडिसिन पर Centre of Excellence (COE) भी इसमें शामिल है. इसके अलावा एक सुपर स्पेशीऐलिटी अस्पताल भी बनाया जाएगा.
इस मौके पर IIT कानपुर के डायरेक्टर प्रो. अभय करंदीकर और राकेश गंगवाल की मौजूदगी में ही इसकी घोषणा की गई कि इस स्कूल का नाम ‘गंगवाल स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी’ रखा जाएगा. राकेश गंगवाल स्कूल के सलाहकार बोर्ड में भी शामिल होंगे.
निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा, ‘प्रस्तावित मेडिकल स्कूल चिकित्सा अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में आईआईटी कानपुर के नवाचारों को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. साथ ही भारत को उन संस्थानों की वैश्विक लीग में पहुंचाएगा जो लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी को परिवर्तित कर रहे हैं.’
इस मौके पर राकेश गंगवाल ने कहा कि अपने संस्थान के साथ इस तरह से जुड़ना उनके लिए सौभाग्य की बात है. राकेश गंगवाल ने कहा, ‘मुझे यह देखकर गर्व हो रहा है कि जिस संस्थान ने विभिन्न क्षेत्रों में हजारों लीडर पैदा किए हैं, वह अब स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में मार्ग प्रशस्त कर रहा है. पहले से कहीं अधिक स्वास्थ्य सेवा तकनीकी विकास के साथ जुड़ी हुई है और यह स्कूल स्वास्थ्य सेवा में नवाचार को गति देगा.’
दो चरणों में पूरा होगा काम
गंगवाल स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी को दो चरणों में पूरा किया जाएगा. परियोजना के पहले चरण में लगभग 8,10,000 वर्ग फुट के क्षेत्र में 500-बेड सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल, अकादमिक ब्लॉक, छात्रावास और सर्विस ब्लॉक की स्थापना शामिल होगी, तो वहीं पहले चरण में फ्यूचरिस्टिक मेडिसिन में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना भी शामिल होगी.
परियोजना के दूसरे चरण में अस्पताल की क्षमता बढ़ाकर 1000 बिस्तर, क्लीनिकल विभागों/केंद्रों, अनुसंधान क्षेत्रों में विस्तार, पैरामेडिकल विषयों, वैकल्पिक चिकित्सा, अस्पताल प्रबंधन, स्पोर्ट्स मेडिसिन और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को शामिल किया जाएगा.
आपको बता दें कि राकेश गंगवाल जाने-माने उद्योगपति हैं, जो इंडिगो एयरलाइंस के को-फाउंडर भी हैं. उन्होंने साल 1975 में IIT कानपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया था.
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