उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ हल्के-फुल्के अंदाज में चुटकीले संवाद हुए. अखिलेश यादव के सवालों का जवाब देते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष एक तरफ किसान की बात कर रहे थे और दूसरी तरफ उनको गोबर में बदबू आ रही थी. नेता प्रतिपक्ष पूजा नहीं करते हैं. अपने चचा शिवपाल जी से ही कुछ सीखा होता. पूजा कैसे होती है और पूजा में आप देखते होंगे कि हर जगह मूर्ति नहीं गाय के गोबर का गोवर्धन भी बनता है.
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सीएम योगी ने आगे कहा कि भारत का कृषि प्रधान व्यवस्था बगैर गाय के गोबर के नहीं हो सकती है. गाय का गोबर पवित्र माना जाता है. नेचुरल फार्मिंग बगैर गौ-माता के संभव नहीं है. लेकिन आपको गाय के गोबर में बदबू आती है. आप पूजा किए होते और गाय के गोबर को लक्ष्मी की तरह पूजे होते तो…. आज तो गोबर से अगरबत्ती भी बन रही है. आप पूजा करते तो जरूर जलाते. जलाना चाहिए. अच्छा है. आपने गौ को गोमाता कहा- इसके लिए धन्यवाद दूंगा. इधर अखिलेश यादव ने कहा कि गोबर को उतना नहीं समझा जितना नेता सदन से सीखा. अब इसपर रिसर्च करूंगा. फिर हंसते हुए बोले- रिसर्च की क्या जरूरत है. उसकी कॉपी भाजपा से ले लूंगा.
नेता प्रतिपक्ष पर भैंस के दूध का असर था- सीएम
सीएम योगी ने कहा कि भैंस के दूध का असर नेता प्रतिपक्ष के भाषण में दिखाई दे रहा था. फैट कंटेंट ज्यादा था भाषण में. गाय का दूध पिए होते तो शॉर्प भाषण होता. कन्नौज के विकास के सवाल पर सीएम ने कहा कि आपके इत्र वाले मित्र तो बहुत गुल खिला रहे थे पर हमने इत्र के लिए काम किया है. वर्तमान में 800 करोड़ का व्यापार हो रहा है. 375 ईकाइयां काम कर रही हैं. कोरोना काल में भी 2.7 मिलियन का इत्र निर्यात किया गया हैं यहां से. आपलोग घोषणा करने में माहिर थे पर करते कुछ नहीं थे.
बदले-बदले से नजर आते हैं मेरे सरकार- अखिलेश यादव सदन के नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव से जब सीएम के जवाब पर आसंदी की तरफ से स्पष्टीकरण मांगने के लिए कहा गया तो उन्होंने कहा कि इधर माहौल बदल गया है. स्पष्टीकरण तो मांगूंगा. नेता सदन शेर, शायरी और कविताओं की बातें करने लगे हैं. बदले-बदले मेरे सरकार नजर आते हैं. इतने में ही इस शायरी की अगली लाइन पक्ष से किसी ने बोला तो अखिलेश यादव ने कहा- ‘उनके ही माननीय सदस्य ने दूसरी लाइन बोल दी है. मैं नेता सदन के लिए दूसरी लाइन कैसे पढ़ सकता हूं.’
पहला बजट 1947 में नहीं आया- अखिलेश यादव
नेता सदन ने ये कहा कि पहला बजट 1947 में आया था. ये बात सही नहीं है. 1952 में आया था. नेता सदन यहां चर्चा 1947 की बजट की नहीं है. यहां चर्चा 22-23 की है. यहां तुलना 2016-17 से कैसे हो सकती है? आपकी कन्टीन्यूटी की सरकार है. आप अपने पहले सरकार की तुलना इस बजट से करिए.
मंत्री लोग बजट खर्च नहीं कर पाए- अखिलेश यादव
सीएम के जवाब के बाद स्पष्टीकरण मांग रहे नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मंत्री लोग विभागों का बजट नहीं खर्च पाए थे. इसलिए वे मंत्री नहीं हैं. शायद 22 मंत्री हटे हैं. आप बताइए कि 20-21 में कितना खर्च नहीं कर पाए. एक्चुअल बजट और एक्सपेंडीचर में गैप क्यों है?
सीएम ने अखिलेश यादव के ईज ऑफ क्राइम वाली बात पर कहा-
सीएम योगी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ईज ऑफ डूइंग बिजनेस नहीं क्राइम में आगे होने की बात कही है. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में 15-16 में हम चौथे स्थान पर थे. आज रैंकिंग 2 पर है. यूपी में पुलिस रिफॉर्म किए गए. 2016 की अपेक्षा 2021 में डकैती के मामले में 73.94 फीसदी, लूट में 65.8 फीसदी, हत्या में 34 फीसदी और बालात्कार में 50 फीसदी की कमी आई है. 2081 करोड़ की संपति माफियाओं की जब्त की गई है. इसपर अखिलेश यादव ने कहा कि आज तो जो आंकड़े चाहेगा वो पा जाएगा. 2020 में कोरोना के वक्त में भी हत्या हो रही थी. दलितों के खिलाफ अपराध में प्रदेश नंबर वन पर है.
सीएम ने कहा- गंगा में डॉल्फिन हैं, अखिलेश ने कहा- मछलियां मर गईं
नमामि गंगे प्रोजेक्ट पर बोलते हुए सीएम योगी ने कहा कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट गंगा और उसकी सहायक नदियों को लेकर है. इसपर कार्य हो रहा है. सिसामऊ में 2017 के पहले 14 करोड़ लीटर सीवर रोज गिरता है. आज जीरो है. गंगा जी में जलीय जीव भी नष्ट हो गए थे. जहरीला वेस्ट गिरता था. कानपुर में सीसामऊ को सीवर प्वाइंट से सेल्फी प्वाइंट बनाया गया. अब अक्टूबर-नवंबर में गंगा में डॉल्फिन भी दिखाई देगी. इसपर अखिलेश यादव ने कहा कि नेता सदन आपके ही मंत्री गए थे. जिंदा मछली लेकर गए थे. ये मछलियां नदी के पानी में डालते ही मर गई थीं.
अटल जी से लेकर बशीर बद्र तक की कविता-शायरी का चला दौर
एक तरफ सीएम योगी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता ‘आदमी न नीचा होता है न ऊंचा होता है. न मझला होता है न छोटा होता है. आदमी आदमी होता है’ सुनाकर अपनी बात रखी तो वहीं नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने चुटकीले अंदाज में कहा कि- बदले-बदले से नजर आते हैं मेरे सरकार.
इधर वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने शायरी पढ़ी- ‘कुछ तो फूल खिलाए हमने बाकी अभी खिलाने हैं. मुश्किल ये है कि बाग में कांटे अभी पुराने हैं.’ फिर उन्होंने कहा कि हम कांटे साइड में करना जानते हैं. हम अपना रास्ता सुगम करेंगे. इधर अखलेश यादव ने बजट सत्र की समाप्ति पर कहा कि इन आंखों को वही मंजर अच्छे लगते हैं तो दिल को लगते हैं इसलिए दिल साफ रखिए. वित्तमंत्री सुरेश खन्न ने बजट सत्र की समाप्ति पर धन्यवाद देते हुए बशीर बद्र की शायरी- चरागों को आंखों में महफूज रखना, बड़ी दूर तलक रात ही रात होगी. मुसाफिर हो तुम भी मुसाफिर हैं हम भी, फिर किसी मोड़ पर मुलाकात होगी.
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