Karwa Chauth 2024: करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है. वैसो तो इस व्रत को महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं, लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि अगर पत्नी बीमार हो, तो पति भी यह व्रत रख सकते हैं? हमारे सहयोगी चैनल Astro Tak के ज्योतिषी राजपुरोहित मधुर ने इस विषय पर विस्तार से जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि अगर किसी कारणवश पत्नी करवा चौथ का व्रत नहीं रख पा रही हैं, तो पति भी पूरे विधि-विधान के साथ यह व्रत कर सकते हैं. इसके लिए उन्होंने पूजा की सही विधि, दिनचर्या, मंत्र और अन्य जरूरी बातों पर प्रकाश डाला है. इस विशेष अवसर पर पति का व्रत रखना न केवल प्रेम और सहयोग का प्रतीक है, बल्कि यह दांपत्य जीवन में और भी मधुरता और सामंजस्य लाने का तरीका भी है. इस विशेष परिस्थिति में व्रत रखने के विधि-विधान, पूजा की सामग्री, मंत्र और विशेष ध्यान रखने योग्य बातें इस रिपोर्ट में बताई गई हैं, जिन्हें पति को पालन करना चाहिए. इस प्रकार, यह व्रत प्यार, समर्पण और एक-दूसरे के प्रति सम्मान को प्रकट करने का एक अनूठा अवसर बन सकता है.
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राज पुरोहित मधुर बताते हैं कि करवा चौथ के पावन पवित्र व्रत में बहुत सारी विवाहित माताएं-बहनें अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखेंगी. करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाएगा. बताया जाता है कि भगवान कृष्ण ने करवा चौथ के इस व्रत के महत्व को द्रौपदी को बताया था. भगवान शिव ने करवा चौथ के इस पवित्र महत्व को माता पार्वती को सुनाया था. सत्यवान और सावित्री की कथा आप लोगों ने सुनी होगी. जब सत्यवान के प्राण संकट में थे, तो करवा चौथ का व्रत सावित्री ने भी धारण किया था.
करवा चौथ का त्योहार 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा. उस दिन रविवार है. रविवार के दिन चंद्रमा का पूजन होगा. चंद्रमा को अर्घ्य देकर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना करेंगी और चंद्र देवता से प्रार्थना करेंगी कि जिस प्रकार से आप शीतलता प्रदान करते हैं ऐसे ही हमारे इस दाम्पत्य जीवन में एक सौम्य और मधुर वातावरण बना रहे. पति की आयु हमेशा लंबी हो उनके स्वास्थ्य में कोई बाधा उत्पन्न न हो.
राज पुरोहित मधुर कहते हैं कि अगर महिलाएं बीमार हैं और उनका इलाज चल रहा है और किसी कारणवश अगर वे व्रत नहीं कर पा रही हैं, तो पतियों का कुछ दायित्व बनता है. जरूरी नहीं कि पति उनकी जगह व्रत रखें, तो लेकिन पत्नी अगर बीमार स्थिति में है और वह अपने पति के लिए व्रत रखना चाह रही है तो पति और पत्नी मिलकर उस व्रत को पूरा करें. यानी पति को प्रयास करना चाहिए कि उस संपूर्ण नियमों को फॉलो किया जाए. वैसे जो भी पुरुष अगर व्रत रखन चाहते हैं, तो रख सकते हैं.
जानिए करवा चौथ का पूरा विधि-विधान
करवा चौथ का पवित्र मुहूर्त है क्या? सबसे पहली बात है कि इस दिन भगवान गणेश और माता गौरी का पूजन होगा. आज के दिन चंद्रमा का विशेषकर पूजन होगा. इस पवित्र व्रत में भद्रा लग रही है. बहुत सारे लोगों के मन में विचार है कि भद्रा में व्रत कैसे करें. भद्रा लग रही है तो व्रत अशुद्ध न हो जाए, खंडित ना हो जाए? भद्रा प्रातःकाल में लग रही है. 6 बजकर 20 मिनट से लेकर 6 बजकर 45 मिनट यानी 25 मिनट की अवधि है भद्रा की. उसके बाद पूरा दिन बिल्कुल स्वच्छ है. शुभ तिथि की शुरुआत प्रातःकाल में 6 बजकर 46 मिनट से है. यह तिथि 21 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी.
इसी दौरान व्रत रखना है. इस दिन धर्म के कार्यों में अपना मन लगाएं. इस दिन चंद्रमा का जितना जप किया जाए चंद्रमा को जितना ज्यादा बलिष्ठ किया जाए, उतना आपकी सोच सकारात्मक होगी. आप सही दिशा में कार्य करेंगे परिवार में सामंजस्य बनेगा. आने वाली संतान बहुत ही तेजवान, गुणवान, रूपवान, धैर्यवान, शीलवान सहित अद्भुत कलाएं वाली होगी.
आप प्रातःकाल स्नान ध्यान करने के बाद भगवान गणेश, माता गौरी और चंद्रमा का पूजन कर रहे हैं, तो आज के दिन दो पवित्र मुहूर्त बन रहे हैं. इस दिन 11 बजकर 43 मिनट से लेकर 12 बजकर 28 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है. दूसरा मुहूर्त विजय मुहूर्त है. विजय मुहूर्त एक बजकर 59 मिनट से लेकर 2 बजकर 45 मिनट तक है.
करवा चौथ: पति की विजय और पूजन विधि की विशेषता
करवा चौथ के पवित्र पर्व पर माताएं और बहनें अपने पति की लंबी उम्र और उनकी विजय के लिए गणपति से प्रार्थना करती हैं. विजय का अर्थ केवल रणक्षेत्र में जीत नहीं होता, बल्कि जीवन की तमाम समस्याओं से सफलतापूर्वक उबरना भी विजय है. उदाहरण के तौर पर, किसी परीक्षा में सफल होना, कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलना, या किसी क्लेश से मुक्ति पाना भी विजय का रूप है. गणपति की कृपा से करवा चौथ पर रखे गए व्रत के माध्यम से पति को इन सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है. विजय के कई रूप होते हैं, जिनमें अपने कर्म, इंद्रियों और मन पर विजय पाना, दूसरों का सम्मान करना और दाम्पत्य जीवन में प्रेम और सौहार्द स्थापित करना भी शामिल है. यह पर्व प्रेम, एकता और संकल्प का प्रतीक है, जिसमें पति-पत्नी एक-दूसरे की खुशहाली और सफलता की कामना करते हैं.
पूजन विधि और सही समय का महत्व
करवा चौथ का पूजन एक विशेष विधि-विधान के साथ किया जाता है. शाम को चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है, जो इस बार शाम सात बजे के बाद है. इसके लिए पूजा से एक घंटा पहले तैयारी कर लेनी चाहिए. भारतीय परिधान पहनकर, मिट्टी के करवे और बेदी पर पूजा करना शुभ माना गया है. पूजा के समय सुंदर पकवान बनाए जाते हैं, जिनमें तामसी प्रवृत्ति के भोजन का उपयोग नहीं करना चाहिए. लहसुन-प्याज रहित भोजन का निर्माण करके, उसे भगवान गणेश, माता गौरी और भगवान शिव को भोग लगाया जाता है, जिससे पति की दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है. पूजा की शुद्धता और सही तरीके से पालन करने से चंद्रमा प्रसन्न होते हैं, जिससे रोग-मुक्ति और शुभ फल प्राप्त होता है.
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करवा चौथ के छह महत्वपूर्ण श्रृंगार
करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार में से छह विशेष श्रृंगार अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं. पहला है मेहंदी, जो पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक है. दूसरा है सिंदूर, जो दाम्पत्य जीवन में सौभाग्य का प्रतीक है और इसे पूजन के दौरान अवश्य धारण करना चाहिए. तीसरा श्रृंगार चूड़ियाँ हैं, जिनकी खनखनाहट से घर में लक्ष्मी और सरस्वती का वास माना जाता है. चौथा है मंगलसूत्र, जो विवाह के समय पति द्वारा धारण कराया जाता है और इसे पूजन के समय पहनना जरूरी है. पांचवां श्रृंगार बिंदी है, जो मस्तक पर लगाई जाती है और दिमाग को केंद्रित करती है. अंतिम और छठा श्रृंगार बिछिया और पायल हैं, जो माताएं आज के दिन पहनती हैं। इन श्रृंगारों का पालन करना पति-पत्नी के प्रेम और आपसी सौहार्द को बढ़ाता है और इस पर्व की पवित्रता को बनाए रखता है.
ज्योतिषी राज पुरोहित मधुर की इस पूरी विवेचना को नीचे दिए गए वीडियो पर क्लिक करके भी सुना और देखा जा सकता है.
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