मेरठ की रहने वालीं पारुल चौधरी ने एशियन गेम्स में गोल्ड जीतकर देश का मान बढ़ाया है. पारुल चौधरी ने एशियन गेम्स 2023 में शानदार प्रदर्शन किया. इससे पहले सोमवार को पारुल ने महिलाओं की 3000 मीटर स्टीपल चेज में सिल्वर मेडल जीता था.
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मेरठ के छोटे से गांव इकलौता की रहने वाली पारुल किसान की बेटी हैं. पारुल के इस प्रदर्शन से उनके गांव इकलौता में जश्न का माहौल है.
हर किसी की जुबान पर बस पारुल का ही नाम है. पारुल चार भाई-बहन हैं और पारुल अपने भाई-बहनों में तीसरे नंबर की है. पारुल चौधरी के पिता कृष्ण पाल सिंह किसान हैं और माता राजेश देवी गृहिणी हैं. दोनों ने ही बड़ी मेहनत से अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा के काफी परेशानियां झेल कर यहां तक पहुंचने में उनका साथ दिया है.
पारुल के पिता कृष्ण पाल अपनी बेटी के कामयाबी से काफी खुश हैं और मिठाई खिलाकर और ढोल बजाकर अपनी खुशी का इजहार किया.
परिजनों का कहना है कि पारुल ने बचपन में काफी परेशानियों से अपना वक्त गुजारा और साइकिल, पैदल और ऑटो में बैठकर मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम में अपनी प्रैक्टिस करने जाया करती थीं.
परिजनों का कहना है,
“पारुल चौधरी ने बहुत संघर्ष किया और वह गांव से मेरठ के सिवाया टोल प्लाजा तक साइकिल से जाती थी और उसके बाद मेरठ के बेगम पुल तक ऑटो से जाती थी. बेगम पुल से कैलाश प्रकाश स्टेडियम तक पैदल जाया करती थी. बेगमपुर से कैलाश प्रकाश स्टेडियम की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है और पारुल के गांव से बेगम पुल की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है.”
जब हम पारुल के घर पहुंचे तो वहां वह अपने परिजनों से वीडियो कॉल पर बात कर रही थी और वहीं हमने भी पारुल से बात की. पारुल ने परिजनों को बताया कि वह गोल्ड मेडल पाने से काफी खुश हैं और वह जल्द ही पुलिस की नौकरी ज्वाइन करना चाहती हैं.
परिजनों ने बताया कि सरकार ने यह फैसला किया है कि जो भी खिलाड़ी गोल्ड जीत कर लाएगा उसको पुलिस में डीएसपी के पद पर तैनात किया जाएगा. पारुल की बड़ी बहन भी स्पोर्ट्स कोटे से सरकारी नौकरी में हैं और पारुल का एक भाई उत्तर प्रदेश पुलिस में हैं.
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