सिविल कोर्ट सेंट्रल बार एसोसिएशन मऊ के अध्यक्ष वीरेंद्र बहादुर पाल के ऊपर पुलिस ने कई संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है. मुकदमा दर्ज होने के बाद मंगलवार को वकीलों ने कचहरी में कार्य बहिष्कार कर एसपी और मऊ पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
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अधिवक्ताओं का कहना है कि जब तक पुलिस द्वारा दर्ज फर्जी मुकदमे को वापस नहीं लिया जाएगा, तब तक पुलिस प्रशासन के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा. वकीलों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने जानबूझकर वीरेंद्र बहादुर पाल के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज किया है.
बार के अध्यक्ष वीरेंद्र बहादुर पाल ने कहा कि अपने क्लाइंट को पुलिस को नहीं सौपने से नाराज होकर पुलिस द्वारा यह कार्रवाई की गई है. वहीं पुलिस का कहना है कि वीरेंद्र बहादुर पाल के द्वारा पीड़ित के ऊपर फायर करने का वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो की जांच में घटना सही पाई गई और मुकदमा दर्ज किया गया है. वीरेंद्र बहादुर पाल के ऊपर धारा 307, 386, 504 और 506 धाराएं लगाई गई हैं.
इस पूरे मामले को लेकर अपर पुलिस अधीक्षक त्रिभुवन नाथ त्रिपाठी ने बताया, “बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय बहादुर पाल के खिलाफ हरेंद्र यादव द्वारा एक मुकदमा पंजीकृत कराया गया है. इसके संबंध में एक वीडियो वायरल हुआ है, उसमें बहादुर पाल की तरफ से हरेंद्र यादव पर फायर किया जा रहा है. उस वीडियो की जांच की गई तो इस घटना को सही पाया गया और मुकदमा दर्ज किया गया है.”
बार के अध्यक्ष द्वारा फर्जी तरीके से मुकदमा दर्ज कराए जाने के सवाल पर पुलिस अधीक्षक ने कहा, “ऐसी कोई बात नहीं है. वह किसी दूसरी चीज का इशू बनाना चाहते हैं. इसमें हकीकत नही हैं.”
वीरेंद्र बहादुर पाल ने बताया, “अधिवक्ताओं की अस्मिता से जुड़ा हुआ सवाल है कि इस कैंपस में अधिवक्ता अपना अधिवक्ता धर्म निभाएगा कि नहीं निभाएगा. हर वादकारी की सुरक्षा और उसको उचित न्याय दिलाने के लिए हर अधिवक्ता कटिबद्ध होता है. मैंने भी एक वादकारी का सहयोग किया. इससे प्रशासन द्वारा एक फर्जी मुकदमा मेरे खिलाफ सरायलखंसी थाने में दर्ज कराया गया.”
उन्होंने आगे कहा, “पुलिस चाहती थी कि एक अधिवक्ता अपने क्लाइंट को उनके सुपुर्द कर दे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि अधिवक्ता धर्म यह नहीं कहता है, इसलिए आक्रोश में आकर मेरे और मेरे छोटे भाई के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया है.”
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