वाराणसी जिले के ज्ञानवापी मामले को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गई है. एएसआई सर्वे के खिलाफ दाखिल याचिका पर फैसला आने से एक दिन पहले ही जनहित याचिका दाखिल की गई है. वाराणसी की अदालत में श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की इजाजत दिए जाने की मांग को लेकर मुकदमा दाखिल करने वाली राखी सिंह और अन्य की तरफ से जनहित याचिका दाखिल की गई है. जनहित याचिका पर सोमवार, 7 अगस्त को सुनवाई होने की उम्मीद है.
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जनहित याचिका में ज्ञानवापी परिसर में कथित तौर पर मिले हिंदुओं के प्रतीक चिन्हों को संरक्षित किए जाने और गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाए जाने की अपील की गई है.
जनहित याचिका में कहा गया है कि श्रृंगार गौरी केस में जब तक वाराणसी की अदालत का फैसला नहीं आ जाता तब तक ज्ञानवापी परिसर में गैर-हिंदुओं का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए. साथ ही कहा गया है कि ज्ञानवापी परिसर में कथित तौर पर मिले हिंदू प्रतीक चिन्हों को संरक्षित रखने का आदेश दिया जाए.
जनहित याचिका में मांग की गई है कि ज्ञानवापी परिसर में इस तरह की व्यवस्था की जाए जिससे एएसआई सर्वेक्षण का काम प्रभावित ना हो. वकील सौरभ तिवारी के जरिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका दाखिल की गई है.
याचिकाकर्ताओं के वकील सौरभ तिवारी ने बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में ज्ञानवापी परिसर को सील करने की मांग की गई है.
उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी परिसर में प्लॉट नंबर 51 को सील किया जाए. गैर-हिंदुओं के प्रवेश को रोका जाए. कमीशन सर्वे में तमाम तस्वीरें आई हैं, जिसमें त्रिशूल, कमल का फूल और स्वास्तिक मिले हैं. हिंदुओं के चिन्हों को न नुकसान पहुंचाया जाए, इसलिए उसे सील करने की बात कही गई है.
उन्होंने आगे बताया कि मस्जिद कमेटी पेंटिंग करती रहती है, तो हमें इस बात का डर है कि हमारे हिंदू चिन्हों को धीरे-धीरे परिसर से मिटा दिया जाएगा. ऐसे में जब तक कोर्ट कोई फैसला ने ले तब तक पूरे परिसर को सील किया जाए, ताकि किसी भी तरह हमारे हिंदू चिन्हों को नुकसान न पहुंचे.
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