अप्रैल-मई के महीनों में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन क्राइसिस की तमाम तस्वीरें सामने आईं. क्या सरकारी और क्या निजी अस्पताल, कोरोना पीड़ितों के लिए चारों तरफ ऑक्सीजन की कमी की खबरें थीं. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ही योगी सरकार ने प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का फैसला किया. अब जब लगातार तीसरी लहर के अंदेशे जताए जा रहे हैं, तो यूपी तक ने यह जानना चाहा कि प्रदेश में लग रहे ऑक्सीजन प्लांट्स की स्थिति क्या है.
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हमारी टीम ने यूपी के 9 शहरों, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, रायबरेली, पीलीभीत, महोबा, कानपुर, प्रयागराज और मेरठ का जायजा लिया. हमने यहां लगाए जा रहे ऑक्सीजन प्लांट्स का रियलिटी चेक किया. ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने की घोषणा के दो महीने से अधिक बीत जाने के बाद भी कई शहरों में इसे लेकर अधूरी तैयारी देखने को मिली. कहीं प्रस्तावित ऑक्सीजन प्लांट लगे ही नहीं और कहीं लगे तो टेक्निकल स्टाफ ही नहीं बिठाए गए. जब हमने जिम्मेदारों से बात की तो एक ही तरह के जवाब मिले, जल्द लग जाएंगे. पढ़िए 9 शहरों से यूपी तक का रियलिटी चेक…
रायबरेली: पीएम केयर से बने ऑक्सीजन प्लांट न तो फंक्शनल हैं और न ही कोई कर्मचारी नियुक्त है
सबसे पहले आपको रायबरेली जिले का हाल बताते हैं. यहां ऑक्सीजन प्लांट की स्थिति देखकर तो यही लगता है कि कोरोना की दूसरी लहर को देखकर कोई सीख नहीं ली गई है. आइए एक नजर डालते हैं…
– रायबरेली जिला चिकित्सालय और एम्स मुंशीगंज में पीएम केयर फंड से 1000 लीटर ऑक्सीजन प्रति मिनट उत्पादन की क्षमता वाले प्लांट लगे हैं. एमसीएच विंग महिला चिकित्सालय में भी पीएम केयर फंड से 500 लीटर ऑक्सीजन प्रति मिनट उत्पादन की क्षमता वाला प्लांट लगा है. ये तीनों ही प्लांट न तो चल रहे हैं और न ही यहां कोई कर्मचारी नियुक्त किया गया है.
– इसी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रोहनियां में 330 लीटर क्षमता का प्लांट लगना है. अबतक प्लांट लगा ही नहीं है.
– एल-2 मॉडर्न रेल कोच फैक्ट्री लालगंज में SDRF ऑक्सीजन प्लांट है. इसकी क्षमता 180 लीटर प्रति मिनट उत्पादन की है. यह प्लांट चल रहा है, लेकिन इसके लिए कोई कर्मचारी नियुक्त नहीं है. स्थानीय व्यवस्था के हिसाब से प्रशिक्षण देकर काम चलाया जा रहा है.
– यही हाल L 2 मॉडर्न रेल कोच फैक्ट्री में स्थित CSR ऑक्सीजन प्लांट का है. 45 लीटर ऑक्सीजन प्रति मिनट उत्पादन की क्षमता वाला यह प्लांट भी चल रहा है, लेकिन कर्मचारी नियुक्त नहीं है और प्रशिक्षण देकर काम चलाया जा रहा है.
हमें पीएम केयर फंड से तीन ऑक्सीजन प्लांट मिले हैं. एक एम्स रायबरेली में, एक जिला अस्पताल व एक महिला अस्पताल में. यह डीआरडीओ द्वारा लगवाए गए हैं. हमारे पास प्लांट आ गए हैं. कंपनी से एक-दो दिन में लोग आएंगे इसके इंस्टॉलेशन वर्क के लिए. कोविड-19 की इमर्जेंसी के दौरान हमने L2 अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगवाया था, जो फंक्शनल हैं.
वैभव श्रीवास्तव, जिलाधिकारी
मेरठ: एक ऑक्सीजन प्लांट की देखरेख कर रहा है माली
मेरठ जिला प्रशासन के मुताबिक यहां 13 ऑक्सीजन प्लांट प्रस्तावित हैं. बताया जा रहा है कि 7 ऑक्सीजन प्लांट बनकर तैयार हैं, 3 पर काम चल रहा है और बाकी तीन पर जल्द काम शुरू हो जाएगा. यूपी तक की टीम ने मेरठ के प्यारे लाल महिला जिला अस्पताल में लगे ऑक्सीजन प्लांट का रिएलिटी चेक किया.
प्यारे लाल महिला जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट तो लगा है, लेकिन उसके गेट पर ताला बंद मिला. प्लांट बंद है और तकनीकी वजहों से अबतक चालू नहीं हो सका है. जिला अस्पताल में माली के पद पर तैनात कर्मचारी सुशील को इसकी देखरेख का जिम्मा दिया गया है. अस्पताल की सुपरिटेंडेंट इन चीफ डॉ मनीषा का कहना है कि सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, लेकिन उनके पास इस बात का जवाब नहीं था कि बिना स्टाफ या ऑपरेटर के प्लांट कैसे चलेगा.
मेरठ के प्यारेलाल शर्मा जिला चिकित्सालय में भी ऑक्सीजन प्लांट के लिए हॉल तैयार है, लेकिन प्लांट नहीं लगा है. रिएलिटी चेक के दौरान हमारी टीम को अस्पताल कैंपस में ट्रक पर ऑक्सीजन प्लांट रखा हुआ दिखा. अस्पताल के सुपरीटेंडेंट का कहना है कि प्लांट आ गया है, जल्द ही इसे लगा दिया जाएगा.
– ये प्लांट तैयार हैं: परीक्षितगढ़, दौराला, हस्तिनापुर, खरखौदा, किठौर, मवाना और रोहटा में ऑक्सीजन प्लांट तैयार हैं.
मेरठ में 13 ऑक्सीजन प्लांट प्रस्तावित थे जिसमें से 7 ऑक्सीजन प्लांट बनकर तैयार हो गए हैं और 3 में काम चल रहा है. जो तीन बचे हैं उसमें से एक कैंटोनमेंट बोर्ड के हॉस्पिटल का है और दो लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में ही लगने हैं ,जिनको जल्द ही लगा लिया जाएगा. सभी जगह पर ऑक्सीजन को पाइप लाइन से ही सप्लाई किया जाएगा और पाइप लाइन का काम भी पूरा हो चुका है. अलग से स्टाफ कोई नहीं रखा गया है दो टेक्निकल लोगों को अप्वॉइंट किया गया है ,किसी प्लांट में अगर कोई दिक्कत आती है तो वही उसको ठीक करेंगे. प्लांट के साथ-साथ ऑक्सीजन सिलेंडर भी मौजूद रहेंगे ,ऑक्सीजन को लेकर कोई कमी नहीं होने दी जाएगी.
डॉ अखिलेश मोहन ,सीएमओ मेरठ
तीन ऑक्सीजन प्लांट प्रस्तावित हैं, जिनमें काम चल रहा है. इनमें महिला जिला चिकित्सालय, जिला चिकित्सालय और लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में लग रहे प्लांट शामिल हैं। उनके मुताबिक बाकी सारे प्लांट चालू हैं. मेरठ के कई प्राइवेट अस्पताल में भी प्लांट लगाए जा रहे हैं.
के बालाजी, डीएम मेरठ
कानपुर: ऑक्सीजन प्लांट में ताला लगा मिला, ट्रेंड स्टाफ नहीं है
कोरोना की दूसरी लहर में कानपुर में ऑक्सीजन की काफी किल्लत देखी गई थी. ऐसे में तीसरी लहर से पहले सरकार ने क्या तैयारी की है, यह जानने के लिए हमने ऑक्सीजन प्लांटों का रिएल्टी चेक किया. कानपुर शहर में 9 ऑक्सीजन प्लांटों को लगाने की मंजूरी मिली थी. अबतक 6 लग चुके हैं, 3 को लगाने की प्रक्रिया चल रही है. आइए एक नजर हकीकत को देखते हैं:
– उर्सला जिला अस्पताल में 2 ऑक्सीजन प्लांट लग गए हैं, लेकिन हमें मौके पर उनमें ताला लगा मिला. यहां ऑक्सीजन प्लांट को चलाने के लिए सिलेंडर सुपरवाइजर को ट्रेंड किया गया है. उसका कहना है पहले यहां आईटीआई ट्रेंड इंजीनियरों को आना था लेकिन अभी तक कोई नहीं आया. हालांकि अधीक्षक अनिल निगम का कहना है कि प्लांट चालू हैं और ऑक्सीजन की कोई समस्या नहीं है.
– कांशीराम अस्पताल में लगे ऑक्सीजन प्लांट में भी हमें ताला लगा मिला. वॉर्ड तक ऑक्सीजन सप्लाई लाइन तो है, लेकिन प्लांट चलाने वाला कोई नहीं है.
घाटमपुर का ऑक्सीजन प्लांट भी अभी अधूरा है. मशीनें बाहर रखी हुई हैं. यहां प्लांट को चलाने के लिए हॉस्पिटल के एक फार्मेसिस्ट और नर्स को ट्रेनिंग दी गई है. घाटमपुर सीएचसी के अधीक्षक डाक्टर कैलाश चंद्रा का कहना है लगभग पंद्रह दिनों में ये बन जाएगा. यानी इसे कोई टेक्निकल कर्मचारी नहीं, बल्कि मरीजों का एलाज करने वाले मेडिकल कर्मचारी चलाएंगे.
हैलट में दो ऑक्सीजन प्लांट लग चुके है, एक बिल्हौर में लग चुका है जबकि न्यूरो वार्ड हैलट में अभी पाइप लाइनें नहीं पड़ी हैं. डफरिन अस्पताल में अभी प्लांट लगने की शुरुआत नहीं हुई है.
हमारे यहां 9 प्लांट लगने थे. इसमें से 6 लग गए हैं. घाटमपुर का एक हफ्ते में तैयार हो जाएगा. न्यूरो साइंस में पाइप लाइन पड़नी है, जबकि डफरिन में प्लांट आ गया है. वहां भी लगने जा रहा है. 15 दिन में सब चालू हो जाएंगे. हमने स्टाफ को ट्रेंड कर दिया है. एक्स्ट्रा स्टाफ के लिए शासन को लिख दिया है. तीसरी लहर को देखते हुए ऑक्सीजन की तैयारी पूरी है.
डाक्टर नेपाल सिंह, सीएमओ
पीलीभीत: चार ऑक्सीजन प्लांट बनने का ऐलान, तैयार सिर्फ एक, अन्य में कुछ न कुछ काम बाकी
कोविड-19 की तीसरी लहर के लिए पीलीभीत जिला कितना तैयार है, इसे जानने के लिए यूपी तक की टीम ने जिले के सभी चारो ऑक्सीजन प्लांट का रिएलिटी चेक किया. चार में से एक प्लांट अभी पूरी तरीके से तैयार है. बाकी तीन में कुछ ना कुछ काम चल रहा है. विभाग का दावा है कि 31 अगस्त तक सारे प्लांट तैयार हो जाएंगे. आइए देखते हैं रिएलिटी चेक…
– माधोटांडा में लगा ऑक्सीजन प्लांट तैयार है. आसपास सीएचसी और पीएचसी के स्टाफ को ट्रेनिंग दे दी गई है. इस प्लांट से 30 बेड को सप्लाई दी जाएगी.
– पीलीभीत के जिला अस्पताल में 3 ऑक्सीजन प्लांट और भी लगे हैं, जिनमें कुछ न कुछ काम चल रहा है. प्लांट के आस पास बेहद खराब रास्ता है. इस वजह से प्लांट में काम करने वालों को दिक्कत आ रही है.
– चार में से दो प्लांट पीएम केयर फंड से . तीन ऑक्सीजन प्लांट को देखते हुए लग रहा है कि अभी 15 से 20 दिन काम खत्म होने में लग सकते है. पीएम केयर से बन रहे ऑक्सीजन प्लांट के काम में जुटे इंजीनियर भी कह रहे हैं कि अभी समय लगेगा.
– एक प्लांट की कार्यदायी संस्था PATH/BMGS है। ये प्लांट 100 बेड को सप्लाई देगा, लेकिन इसमें अभी ड्रायर लगना बाकी है, जो अभी नही आया है. बाकी और भी काम चल रहे हैं.
– इसी परिसर में दो प्लांट PM केयर से बन रहे हैं. एक से 130 और एक से 100 बेड को ऑक्सीजन सप्लाई मिलेगी. 100 बेड वाले में अभी 59 बेड तक ही पाइप पहुंच सकी है.
पीलीभीत में चार प्लांट आए थे. पहले फेज में दो प्लांट आए थे. बाद में दो प्लांट और आए. माधोटांडा में प्लांट पूरी तरीके से तैयार है. 2 पीएम केयर से लगने हैं. सिविल का काम, पाइप लाइन का काम पूरा हो चुका है, प्लांट भी आ चुका है, सिर्फ इंस्टॉलेशन बाकी है. स्टाफ चिन्हित हैं. डेमो भी किया गया है, पहले से मौजूद स्टाफ को ही ट्रेनिंग दी जा रही है.
डॉ सीमा अग्रवाल, सीएमओ, पीलीभीत
महोबा: ऑक्सीजन प्लांट लगे लेकिन कर्मचारियों को काम करने का प्रशिक्षण ही नहीं
कोरोना की दूसरी लहर के बाद महोबा में 3 जगहों पर ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए. आइए इन ऑक्सीजन प्लांट के रिएलिटी चेक पर एक नजर डालते हैं.
– महोबा के जिला अस्पताल,जिला महिला अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र श्रीनगर में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं. जिला अस्पताल का प्लांट पूरा हो गया है सिर्फ उसका औपचारिक उद्घाटन होना बाकी है.
– जिला महिला अस्पताल और श्रीनगर पीएचसी में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का काम चल रहा है।
– ऑक्सीजन प्लांट में काम कर रहे कर्मचारियों को प्रशिक्षण ही नहीं दिया गया है. ऐसे में कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है.
– कर्मचारियों ने खुद स्वीकार किया है कि उन्हें प्लांट चलाने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया है. पर सीएमओ का दावा इससे उलट है.
जिले में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट में लगाए गए कर्मचारी पूर्णतया प्रशिक्षित हैं.
मनोजकांत सिन्हा (सीएमओ,महोबा)
वाराणसी: ऑक्सीजन प्लांट में टेक्नीशियन नहीं, काम भी अधूर पड़े हैं
वाराणसी पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र है, लेकिन ऑक्सीजन प्लांट को लेकर यहां भी स्थिति सही नजर नहीं आई. यहां छोटे-बड़े अस्पताल मिलाकर कुल 22 ऑक्सीजन प्लांट लगाने का प्रस्ताव था. इनमें से 17 जगहों पर प्लांट क्रियाशील होने का दावा किया जा रहा है. आइए देखते हैं रिएलिटी चेक:
– कबीर चौरा राजकीय महिला अस्पताल में पीएम केयर फंड से लगे 1000 एलपीएम के ऑक्सीजन प्लांट के फंक्शनल होने का दावा किया जा रहा है. यूपी तक ने रिएलिटी चेक में इस दावे को गलत पाया. अभी पाइपलाइन का काम पेंडिंग है. यूपी तक को सेंट्रल ऑक्सीजन लाइन भी बंद मिली.
– शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल में दोनो ऑक्सीजन प्लांट चालू हालत में तो मिले, लेकिन इसे चलाने के लिए कोई टेक्नीशियन नहीं रखा गया है.
दो प्लांट लगे हैं। दोनों का मिलाकर 400 बेड की क्षमता है. अपने अस्पताल के 286 बेड अलावा बगल में बने 100 बेड के MCH विंग को सप्लाई होनी है. टेक्नीशियन के लिए मैनीफोल्ड में लगे 3 कर्मचारी काम संभाल लेते हैं. इसके अलावा अस्पताल के इलेक्ट्रीशियन और टेक्नीशियन को भी प्लांट चलाने की ट्रेनिंग दी गई है. एक टेक्निकल प्लांट ऑपरेटर की नियुक्ती हुई है, लेकिन अभी तक उसने ज्वाइन नहीं किया है.
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. प्रसन्न कुमार
22 आक्सीजन प्लांट लगना था, जिसमें 17 जगह लग चुके हैं. 5 जगह अभी लगने बाकी है. सभी जगह सप्लाई शुरू हो गई है. जिन ग्रामीण इलाकों में प्लांट लगने थे वहां भी लग चुके हैं और शहरी क्षेत्रों में महिला, पुरुष राजकीय अस्पताल, BHU सहित सभी जगह प्लांट लग गए हैं और सभी जगह फंक्शनल हैं. टेक्नीशियन के लिए ITI प्रशिक्षित तीन लोगों को रख दिया गया है और अलग से अस्पताल के कर्मियों को भी ट्रेनिंग दी गई है.
डॉ. वीबी सिंह, CMO वाराणसी
प्रयागराज: 10 जनरेटर ऑक्सीजन प्लांट में से 9 तैयार, एक पर काम नहीं हुआ शुरू
हमने प्रयागराज में भी ऑक्सीजन प्लांट का रिएलिटी चेक किया. सीएमओ के मुताबिक 10 जगहों पर ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट लगाने की बात थी. आइए देखते हैं वर्तमान हालत…
सीएमओ के मुताबिक तेज बहादुर सप्रू (बेली) अस्पताल की सीएमएस ने प्लांट शुरू नही होने की जानकारी दी है. इसे जल्द शुरू किया जाएगा. स्वरूप रानी नेहरू एसआरएन अस्पताल में ऑक्सीजन के तीन प्लांट लगाए गए हैं. ये चल रहे हैं.
एसआरएन में लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट( लिंडे) लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन( एलएमओ) और मैनी फोल्ड ऑक्सीजन कंट्रोल पैनल सिलेंडर है, जो हमेशा ऑन मोड में रहते हैं.
इसके अलावा 500 ऑक्सीजन सिलेंडर स्टैंड बाई में भी हमेशा रहते हैं। ऑपरेटर अजय कुमार के मुताबिक लिंडे के एक सिलेंडर की कैपिसिटी बीस हज़ार लीटर की है.
बेली अस्पताल की सीएमएस डॉ किरण मलिक के मुताबिक यहां कम कैपिसिटी का ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया था. जरूरत पड़ने पर 12 सौ एलपीएम का प्लांट लगाया गया, जो कि बनारस से शिफ्ट हुआ. देर होने की वजह से वह शुरू नहीं हो सका.
गोरखपुर: पीएम केयर से मिले प्लांट अभी नहीं हुए हैं तैयार
ऑक्सीजन प्लांट को लेकर यूपी तक की तरफ से किए गए रिएलिटी चेक में गोरखपुर में अपेक्षाकृत स्थिति बेहतर नजर आई। हालांकि यहां भी पीएम केयर से मिलने वाले तीन ऑक्सीजन प्लांट शुरू नहीं हो सके हैं. अभी वर्तमान में गोरखपुर जिले में 3 ऑक्सीजन प्लांट वर्किंग पोजीशन में हैं. जिला चिकित्सालय और जिला महिला चिकित्सालय, गोरखपुर मेडिकल कॉलेज समेत कई सीएचसी ,पीएचसी पर ऑक्सीजन प्लांट लग चुका है.
– अपर जिला मजिस्ट्रेट राजेश कुमार सिंह ने बताया कि जिले में लगभग 17 प्लांट पूरे हो चुके हैं. इनमें मेडिकल कॉलेज गोरखपुर जिला चिकित्सालय और महिला चिकित्सालय के अलावा सीएचसी पीएचसी पर भी प्लांट चालू हो चुके हैं. कुछ बचे हुए प्लांट काम चल रहा है जल्दी वह भी शुरू हो जाएगा.
– हालांकि ऑक्सीजन प्लांट से मरीज के बेड तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिये ऑक्सीजन सप्लाई पाइपलाइन का पैनल नहीं बनाया गया है. अस्पतालों को सप्लाई देने के लिए केवल ट्रांसपोर्ट को ही माध्यम रखा गया है. फिलहाल अभी गोरखपुर में किसी तरह की पाइप लाइन बिछाने की व्यवस्था दूर-दूर तक नहीं दिख रही है।
आइए अब जानते हैं पीएम केयर से मिलने वाले ऑक्सीजन प्लांट का हाल
– गोरखपुर को पीएम केयर फंड से 1000 एलपीएम के 3 ऑक्सीजन प्लांट मिले हैं. जिला महिला चिकित्सालय में प्लांट के लिए प्लेटफार्म बना है पर प्लांट नहीं आया है. डीआरडीओ के आपूर्तिदाता TATA के प्रतिनिधि ने सूचित किया है कि नई खेप में ऑक्सीजन प्लांट आएगा. प्रशासन का दावा है कि इसे चालू करने की सारी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं.
– बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में भी पीएम केयर से मिलने वाले ऑक्सीजन प्लांट के लिए सिर्फ प्लेटफॉर्म ही बना है.
– पीएम केयर फंड से जिला चिकित्सालय में लगने वाले ऑक्सीजन प्लांट के लिए सिर्फ अभी प्लेटफार्म बनाने का काम ही शुरू हो पाया है
दूसरी लहर के दौरान विकसित कैपेसिटी के आधार पर 5000 जंबो सिलेंडर हम लोग एक दिन में सप्लाई दे रहे थे. यह सभी प्राइवेट प्लांट थे. उसी दौरान सीएम के निर्देश पर हमारे जनपद में 17 प्लांट आवंटित हुए जिसमें 11 प्लांट उसी समय ऑपरेशनल हो गए थे. हमारी ऑक्सीजन को लेकर तैयारी सकुशल पूर्ण है.
अपर जिला मजिस्ट्रेट राजेश सिंह
लखनऊ: 24 ऑक्सीजन प्लांट लगने थे, 13 में कुछ न कुछ काम बाकी
अब आपको प्रदेश की राजधानी लखनऊ का हाल बताते हैं. कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद सरकार ने मई के अंत में लखनऊ में 24 नए ऑक्सीजन प्लांट लगाने का फैसला किया. 4 महीने से ऊपर हो चुके हैं, आइए देखते हैं रिएलिटी चेक में लखनऊ का हाल:
– दावे के मुताबिक11 प्लांट ही संचालित हो सके हैं, जिनमें ऑक्सीजन पाइप लाइन, जनरेटर, बिजली और बेड सहित सिविल वॉर्क कम्प्लीट हो चुके हैं.
– 13 ऑक्सीजन प्लांट में कुछ न कुछ काम बाकी है.
हमारे पास 24 ऑक्सीजन प्लांट का प्रस्ताव है। इनमें से 11 फंक्शनल हो चुके हैं.
अनूप श्रीवास्तव, डिप्टी सीएमओ
इनपुट: लखनऊ से आशीष श्रीवास्तव, गोरखपुर से गजेंद्र त्रिपाठी, प्रयागराज से पंकज श्रीवास्तव, वाराणसी से रोशन जायसवाल, महोबा से नाहिद अंसारी, पीलीभीत से सौरभ पांडये, कानपुर से रंजय सिंह, मेरठ से उस्मान चौधरी और रायबरेली से शैलेंद्र सिंह.
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