UP Police Outsourcing News: उत्तर प्रदेश पुलिस में कुछ पदों के लिए आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती वाली चिट्ठी वायरल होने पर बवाल मचा हुआ है. आपको बता दें कि अब इस मामले में यूपी पुलिस ने सफाई जारी की है. बुधवार-गुरुवार की दरम्यानी रात जारी किए गए स्पष्टीकरण में पुलिस की ओर से कहा गया है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग की व्यवस्था पूर्व से प्रचलित है. त्रुटिवश चतुर्थ कर्मचारियों के स्थान पर मिनिस्टीरियल स्टॉफ के लिए जारी पत्र को निरस्त कर दिया गया है. इस प्रकार का कोई भी प्रकरण पुलिस विभाग एवं शासन स्तर पर विचाराधीन नहीं है. यानी यूपी पुलिस ने साफ कर दिया है कि जो पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, वो गलती से सामने आ गया था.
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सब इंस्पेक्टर के स्तर पर आउटसोर्सिंग से भर्तियों पर राय के लिए एडीजी स्थापना की ओर से सभी जिलों के पुलिस कमिश्नर और अधीक्षकों को पत्र भेजा गया था. पत्र के माध्यम से सभी से 17 जून तक अपनी राय भेजने को कहा गया था. इस पत्र में कहा गया था कि सहायक उप निरीक्षक (लिपिक), सहायक उप निरीक्षक(लेखा), सहायक उप निरीक्षक (गोपनीय) के पदों पर आउटसोर्सिंग से भर्ती की जा सकती है या नहीं. मगर इस पत्र के वायरल होते ही हड़कंप मच गया. आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर वायरल पत्र शेयर कर लोगों ने प्रतिक्रिया दी कि अब यूपी पुलिस में भी भारतीय सेना की अग्निवीर योजना के तर्ज पर भर्ती होगी, जिसके बाद पुलिस ने आनन-फानन में इस मामले में सफाई दी.
पुलिस ने क्या सफाई दी?
यूपी पुलिस ने सफाई देते हुए कहा, "सोशल मीडिया में पुलिस विभाग में आउटसोर्सिंग के संबंध में एक पत्र प्रसारित हो रहा है के संबंध में अवगत कराना है कि यह पत्र त्रुटिवश जारी हो गया है. पुलिस विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग की वयवस्था पूर्व से चल रही है. इसी के संबंध में पत्र जारी किया जाना था जो कि त्रुटिवश मिनिस्टीरियल स्टाफ के लिए जारी हो गया है. ऐसा कोई प्रस्ताव पुलिस विभाग और शासन स्तर पर विचाराधीन नहीं है. यह पत्र गलत जारी हो गया है जिसे निरस्त कर दिया गया है."
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