Yogini Ekadashi 2024 : हिंदू पंचांग के अनुसार योगिनी एकादशी व्रत 2 जुलाई यानी मंगलवार को पड़ रहा है. वैसे तो एक वर्ष में 24 एकादशी होती है. लेकिन किसी साल में जब अधिकमास यानी मलमास लग जाता है तो एकादशी की संख्या 24 से बढ़कर 26 हो जाती है. योगिनी व्रत के विषय में बात करते हुए श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते है. योगिनी एकादशी का महत्व तीनों लोकों में माना गया है. वहीं इस दिन जो मनुष्य व्रत करता है उसके घर सुख-समृद्धि और अच्छा स्वास्थय प्राप्त होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस व्रत को पुरुष और महिलाएं दोनों ही कर सकते हैं. वहीं इस व्रत के लेकर मान्यता है कि इस व्रत के करने से व्यक्ति को दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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कब है एकादशी का व्रत
श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य के अनुसार योगिनी एकादशी व्रत इस बार मास कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि 01 जुलाई सोमवार सुबह 10 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी और मंगलवार 02 जुलाई सुबह 08 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगी. वहीं सूर्योदय व्यापिनी एकादशी तिथि 02 जुलाई मंगलवार को होगी और इस लिए योगिनी एकादशी व्रत 02 जुलाई मंगलवार को होगा. वहीं व्रत के बाद पारण करने के समय की बात करें तो योगिनी एकादशी व्रत का पारण 03 जुलाई बुधवार द्वादशी तिथि के दिन सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 07 बजकर 11 मिनट तक किया जा सकता है. योगिनी एकादशी व्रत वाले दिन जो व्यक्ति दान करता है तो वह सभी पापों का नाश करते हुए परमपद प्राप्त करता है. इस दिन गरीब ब्राह्माणों एवं जरूरतमंद को मिठाई और जरूरत मंद चीजें दान करें.
योगिनी एकादशी के दिन हिंदू धर्म के लोगों को "ॐ नमो वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना चाहिए. हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है, इसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नज़रिए से भी बहुत महत्त्व है. वहीं मान्यता है कि एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है. यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है.
योगिनी एकादशी व्रत का पूजन विधि
योगिनी एकादशी व्रत और पूजा की विधि करने के लिए शारीरिक शुद्धता के साथ ही मन की पवित्रता का भी ध्यान रखना चाहिए. एकादशी के व्रत को विवाहित अथवा अविवाहित दोनों कर सकते हैं. वहीं एकादशी व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से ही शुरु हो जाता है. वहीं दशमी तिथि को सात्विक भोजन ग्रहण करने के बाद अगले दिन एकादशी पर व्यक्ति को सुबह जल्दी उठना चाहिए और शुद्ध जल से स्नान के बाद सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देना चाहिए और साथ ही व्रत का संकल्प लेना चाहिए. वहीं इस एकादशी व्रत को पति पत्नी संयुक्त रूप से लक्ष्मीनारायण जी की उपासना कर सकते हैं.
पूजा के कमरे या घर में किसी शुद्ध स्थान पर एक साफ चौकी पर श्रीगणेश और भगवान लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए. इसके बाद पूरे कमरे में एवं चौकी पर गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करना चाहिए. वहीं चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना कर, उसमें उपस्थित देवी-देवता, नवग्रहों,तीर्थों, योगिनियों और नगर देवता की पूजा आराधना करनी चाहिए. एकादशी व्रत रखने वाला व्यक्ति उस दिन शाम के समय भगवान विष्णु का पूजन करने के बाद फल ग्रहण कर सकते हैं. लेकिन इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है. इस व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर दान भी करना चाहिए.
एकादशी व्रत में किन बातों का खास ध्यान रखें
योगिनी एकादशी व्रत के दिन व्यक्ति को किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन ब्रहम्चार्य का पालन भी करना चाहिए. इस दिन शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. वहीं व्रत रखने वाले व्यक्ति को व्रत के दौरान दाढ़ी-मूंछ और बाल नाखून नहीं काटने चाहिए. एकादशी व्रत करने वालों को पूजा के दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए. वहीं इस दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए. व्रत वाले दिन किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए. इस दिन यह सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है. वहीं गलत काम करने से आपके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते हैं.
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