यूपी एटीएस ने बीते सप्ताह कानपुर से जिस 19 साल के हबीबुल इस्लाम उर्फ सैफुल्ला को गिरफ्तार किया था, उसके ऊपर आरोप है कि वो जैश-ए-मोहम्मद का बेहद खतरनाक मास्टर ट्रेनर बन चुका था. उसने अपने नेटवर्क को यूपी के साथ-साथ बिहार और झारखंड में भी फैलाना शुरू कर दिया था. अब तक की जांच और मोबाइल डाटा से यूपी एटीएस को सैफुल्ला के खतरनाक इरादों का इशारा भर मिला है. अभी सैफुल्ला और नदीम के मोबाइल की फॉरेंसिक रिपोर्ट और पूरा डाटा डाटा मिलना बाकी है.
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आईएसआईएस की तर्ज पर लोन वुल्फ अटैक की कथित तौर पर तैयारी कर रहा हबीबुल इस्लाम उर्फ सैफुल्ला, जैश-ए-मोहम्मद का मास्टर ट्रेलर बन चुका था. 19 साल का हबीबुल इस्लाम उर्फ सैफुल्ला भले ही बचपन से धर्म और दीन की पढ़ाई कर रहा हो, लेकिन आरोप है कि मदरसे में पढ़ाई के दौरान ही हाथ लगे मोबाइल से उसने आतंक का ऐसा ककहरा पढ़ना शुरू किया कि वह आतंक की दुनिया का सबसे बड़ा मास्टर ट्रेनर बन रहा था.
मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस कस्टडी रिमांड में की गई पूछताछ के दौरान सैफुल्ला उम्र से ज्यादा दिमागी मजबूत नजर आ रहा है. उससे पूछताछ में अफसरों को भी पसीने छूट रहे हैं. वह अमूमन तो किसी भी सवाल का जवाब हां या ना में दे रहा है और अगर उसके मोबाइल से मिली जानकारी पर सवाल किया जाता तो उसके जवाब में वह सिर्फ अपने को सही बताने की कोशिश करता था कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया.
बचपन से मदरसे में ही पढ़ने वाले सैफुल्ला ने इंटरनेट की दुनिया को समझने के लिए गूगल के जरिए ही अंग्रेजी भी सीख ली थी. पाकिस्तान, अफगानिस्तान में बैठे उसके हैंडलर अगर कोई मैसेज या पीडीएफ फाइल दूसरी भाषा में भेजते तो वह google translation के जरिए उसे उर्दू में ट्रांसलेट करता और फिर समझ लेता कि क्या मैसेज आया है.
शुरुआती पूछताछ में साफ हुआ है कि हबीबुल इस्लाम उर्फ सैफुल्ला का सबसे ज्यादा वक्त मोबाइल पर गुजरता था और मोबाइल में भी वह या तो वीडियो देखता या फिर नेटवर्क में आए लोगों से चैट करता था.
आतंक की दुनिया में हबीब-उल-इस्लाम ने अपना नया नाम सैफुल्ला रखा था. फतेहपुर के मदरसे में हबीब-उल-इस्लाम के पिता जफरुल इस्लाम ने यूपी तक से बातचीत में खुद माना कि उनको तो पता ही नहीं था कि उनके बेटे का नाम सैफुल्ला है. बचपन से आज तक वह उसे हबीब-उल-इस्लाम के नाम से ही जानते थे. पूछताछ के दौरान एटीएस के अफसरों ने जब नाम बदलने पर सवाल किया तो उसने साफ कहा कि सैफुल्ला पाकिस्तानी की वजह से उसने अपना नाम सैफुल्ला रखा था.
यूपी एटीएस ने सहारनपुर से जिस नदीम को गिरफ्तार किया है. उस नदीम को IED बनाने और Fidae Force का मटेरियल भले ही सैफुल्ला पाकिस्तानी ने भेजा था, लेकिन नदीम को ब्रेनवाश कर तैयार करने वाला यही 19 साल का सैफुल्ला था. आरोप है कि सैफुल्ला के कहने पर ही नदीम को ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान बुलाया जा रहा था. पुलिस कस्टडी रिमांड पर चल रहे नदीम और सैफुल्ला को कई बार आमने-सामने बैठाकर भी पूछताछ की गई. अब तक की पूछताछ में साफ हुआ है कि 25 साल का नदीम 19 साल के सैफुल्लाह को आका की तरह देखता था.
फिलहाल ATS ने नदीम और सैफुल्लाह के मोबाइल को FSL लैब भेज दिया है. 15 अगस्त और जन्माष्टमी की छुट्टियों के चलते एटीएस को नदीम और सैफुल्ला के मोबाइल का डाटा और FSL रिपोर्ट नहीं मिल पाई है. माना जा रहा है कि सोमवार से सुचारू काम शुरू होने पर एफएसएल को कुछ और रिपोर्ट हासिल होंगी, जिसके बाद जैश और तहरीक-ए-पाकिस्तान की प्लानिंग और यूपी बिहार व झारखंड में नदीम और सैफुल्ला के खतरनाक इरादों की भी अहम जानकारियां सामने आएगी.
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