समाजवादी पार्टी (एसपी) सरकार में कानपुर कमिश्नर रहते सरकारी आवास में धर्मांतरण कराने की जांच में फंसे सीनियर आईएएस इफ्तिखारुद्दीन पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में पूर्व कमिश्नर को सरकारी पद और संसाधनों के दुरुपयोग का दोषी माना है. फिलहाल जांच रिपोर्ट पर शासन में मंथन चल रहा है. जल्द ही इसके आधार पर इफ्तेखारुद्दीन पर कार्रवाई के संबंध में निर्णय लिया जाएगा.
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वर्तमान में यूपी परिवहन निगम विभाग के चेयरमैन सीनियर आईएएस इफ्तेखारुद्दीन ने कानपुर में रहते अपने सरकारी आवास पर तमाम धार्मिक बैठकें की थीं. इन बैठकों में धर्म विशेष को अपनाने कि तमाम तकरीरें की गई थीं. ऐसी ही धार्मिक बैठकों के 80 वीडियो की जांच के बाद एसआईटी ने 207 पन्नों की जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है.
शासन ने मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के वीडियो के साथ-साथ उनके लिखी तीन किताबों को भी अपनी जांच में शामिल किया था. यह मामला सामने आने के बाद जांच के लिए सीबीसीआईडी की डीजी जीएल मीना और एडीजी कानपुर भानु भास्कर की दो सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया था. रिपोर्ट मिलने के बाद बुधवार को इसे लेकर महत्वपूर्ण बैठक की गई है.
मिली जानकारी के अनुसार एसआईटी ने अपनी जांच में पाया है कि आईएएस मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन ने सरकारी पद पर रहते हुए धर्म विशेष के प्रचार का अभियान चलाया, बैठकें की. धर्म विशेष के प्रचार के लिए सरकारी आवास पर तकरीरों में शामिल होने आए लोगों को लगाया गया.
एसआईटी ने कानपुर कमिश्नर के कार्यालय और आवास पर तैनात रहे कर्मचारियों का भी बयान लिया था. इसके आधार पर एसआईटी ने इफ्तिखारुद्दीन को धर्म विशेष के प्रति लगाव और दूसरे धर्म के लोगों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार का भी दोषी बताया है. फिलहाल एसआईटी की 207 पन्ने की इस जांच रिपोर्ट पर शासन में हुई बैठक के बाद अभी निर्णय लेना बाकी है. हालांकि सूत्रों की मानें, तो जांच रिपोर्ट के आधार पर आईएएस इफ्तिखारुद्दीन के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई की जा सकती है.
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