मंगेश यादव के एनकाउंटर में सिर्फ 'चप्पल वाले' DK शाही नहीं थे, मेन टीम में शामिल थे ये 11 लोग

संतोष शर्मा

10 Sep 2024 (अपडेटेड: 10 Sep 2024, 01:25 PM)

Mangesh Yadav Encounter Case : उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में 28 अगस्त को एक ज्वेलरी शॉप में डकैती होती है और फिर 5 सिंतबर को इस लूट कांड के आरोपी मंगेश यादव का एनकाउंटर.

Mangesh Yadav Encounter Case

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Mangesh Yadav Encounter Case : उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में 28 अगस्त को एक ज्वेलरी शॉप में डकैती होती है और फिर 5 सिंतबर को इस लूट कांड के आरोपी मंगेश यादव का एनकाउंटर. वहीं मंगेश यादव के एनकाउंटर के बाद यूपी एसटीएफ पर कई तरह के सवाल उठने लगते हैं. राजनीतिक दलों और मंगेश यादव के परिवार दोनों ने इस एनकाउंटर पर प्रश्नचिन्ह लगाया है. वहीं इस एनकाउंटर में कुछ तथ्य ऐसे हैं जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता. एनकाउंटर के बाद सामने आई यूपी STF टीम की एक तस्वीर ने भी कई सवालों का जन्म दे दिया है. 

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मेन टीम में शामिल थे ये 11 लोग

यूपी एसटीएफ की 11 सदस्य टीम ने इस एनकाउंटर को अंजाम दिया, जिसमें डिप्टी एसपी डीके शाही मुख्य भूमिका में थे. मंगेश यादव एनकाउंटर पर सबसे पहले सवाल यूपी एसटीएफ की 11 सदस्य टीम पर जिसमें एक डिप्टी एसपी डीके शाही, दो इंस्पेक्टर राघवेंद्र सिंह और महावीर सिंह, दो सब इंस्पेक्टर अतुल चतुर्वेदी और प्रदीप सिंह, 3 हेड कांस्टेबल सुशील सिंह, रामनिवास शुक्ला और नीरज पांडे और 3 कांस्टेबल अमित त्रिपाठी, ब्रजेश बहादुर सिंह, अमर श्रीवास्तव मुख्य तौर पर शामिल थे. 

तस्वीर से उठे कई सवाल

एनकाउंटर में डिप्टी एसपी डीके शाही की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर के अनुसार, टीम ने पूरी तैयारी के साथ बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर, हथियार लेकर मंगेश यादव को मार गिराया. लेकिन घटनास्थल की तस्वीरें एक अलग कहानी बयां करती हैं. टीम के कुछ सदस्य चप्पल पहने हुए नजर आते हैं और किसी ने भी बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं पहन रखा था.  जबकि  डिप्टी एसपी डीके शाही द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में मंगेश यादव को बेहद खतरनाक अपराधी बताया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या टीम ने जानबूझकर नियमों की अनदेखी की या फिर उन्हें पहले से ही यकीन था कि मंगेश यादव उनसे मुकाबला नहीं करेगा.

मंगेश यादव के खिलाफ 8 मुकदमे दर्ज थे, जिनमें से कोई भी हत्या या गंभीर हमले का नहीं था. पुलिस का दावा है कि मंगेश यादव के पास दो हथियार थे, लेकिन उसके अपराधी रिकॉर्ड में कहीं भी हथियार का जिक्र नहीं है. मंगेश की बहन का कहना है कि वह 28 अगस्त को उसके साथ थी, जब पुलिस ने लूट की घटना बताई थी. उसका दावा है कि मंगेश को 2 सितंबर की रात को ही पुलिस अपने साथ ले गई थी और फिर अलगी सुबह उसकी मौत की खबर आई. 
 

 

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