उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को काला झंडा दिखाने वाली महिला रीता यादव पर बदमाशों की ओर से की गई फायरिंग के मामले में पुलिस ने खुलासा करने का दावा है. पुलिस का दावा है कि रीता यादव ने अपना राजनीतिक कद बढ़वाने के लिए खुद पर हमले की साजिश रची थी. वहीं, पुलिस ने साजिश रचने के आरोप में रीता यादव समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. पकड़े गए आरोपियों के पास से हथियार भी बरामद हुआ है.
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आपको बता दें कि सुलतानपुर में 16 दिसंबर, 2021 को पीएम नरेंद्र मोदी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का लोकार्पण करने पहुंचे थे. इस दौरान पीएम मोदी की जनसभा में रीता यादव काला झंडा दिखाकर और योगी-मोदी मुर्दाबाद के नारे लगाकर चर्चा में आई थीं. इसके बाद 3 जनवरी को उन्होंने पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी कि उनपर अज्ञात बदमाशों ने जानलेवा हमला किया है. शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर थी थी.
रीता यादव ने पुलिस को क्या बताया था?
गौरतलब है कि रीता यादव ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनपर लखनऊ-वाराणसी बाईपास ओवर ब्रिज पर अज्ञात बदमाशों ने जानलेवा हमला किया. इस दौरान उनके पैर में गोली भी लगी थी, जिसके बाद घायलावस्था में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस हमले को लेकर रीता ने अज्ञात लोगों पर आरोप लगाया था. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने भी इस मुद्दे पर राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार पर जमकर निशाना साधा था. हालांकि, जांच में पुलिस को मामला संदिग्ध लगा.
पुलिस ने मामले की जांच के बाद ये बताया-
पुलिस का दावा है कि रीता यादव ने अपने जानने वाले पूर्व ग्राम प्रधान माधव यादव के साथ मिलकर यह साजिश रची, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस से टिकट मिल सके. पुलिस के अनुसार, रीता यादव ने अपने ड्राइवर मोहम्मद मुस्तकीम, सूरज यादव, माधव यादव और एक अज्ञात व्यक्ति के साथ मिलकर अपने ऊपर गोली चलवाई थी. पुलिस ने ये भी बताया की यह लोग रीता यादव के साथ गाड़ी में उनके साथ ही आए थे और घटना को अंजाम देकर फरार हो गए.
आपको दें कि रीता यादव पहले समाजवादी पार्टी में थीं, लेकिन बाद में वे अमेठी में प्रियंका गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो गई थीं.
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