उत्तर प्रदेश के मथुरा में चार साल पहले किशोरावस्था में छह वर्षीय एक लड़की के साथ रेप करने के जुर्म में 20 वर्षीय एक व्यक्ति को 20 साल कैद की सजा सुनाई गई है.
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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमर सिंह ने शुक्रवार को शैलेंद्र उर्फ शैलू को यह सजा सुनाई. किशोर न्याय बोर्ड ने बालिग आरोपी के रूप में उसके खिलाफ मामले की सुनवाई की सिफारिश की थी.
तद्नुसार न्यायाधीश सिंह ने आरोपी के खिलाफ मामले की सुनवाई की और उसे भादंसं और पॉक्सो कानून की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया.
विशेष अदालत के न्यायाधीश ने उसे 20 साल की कैद की सजा सुनाई क्योंकि यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण कानून की धारा तीन और चार के तहत दोषसिद्धि पर इस सजा का प्रावधान है.
किशोर अपराधी के किसी अपराध की सजा सुधार गृह में तीन साल से अधिक नहीं है, लेकिन अदालत ने किशोर न्याय बोर्ड की सिफारिश के अनुसार उसके खिलाफ बालिग आरोपी की तरह सुनवाई करते हुए यह सजा सुनाई.
मथुरा किशोर न्याय बोर्ड ने किशोर न्याय अधिनियम की धाराओं 15 (1) और 18 (3) में नवीनतम संशोधनों के अनुसार 16 वर्षीय इस लड़के पर बालिग की तरह सुनवाई करने की सिफारिश की थी.
ये धाराएं बोर्ड को रेप और हत्या जैसे गंभीर अपराध के मामलों में किशोर अपराधियों के खिलाफ वयस्क के तौर पर मुकदमा चलाने का आदेश देने की शक्ति देती हैं. चार साल पहले जब इस लड़के ने यह गुनाह किया था तब उसकी उम्र 16 साल से अधिक थी.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सिंह ने उसपर कुल सवा लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. न्यायाधीश ने आदेश दिया कि यदि दोषी जुर्माना नहीं भर पाता है तो सरकार अपनी तरफ से पीड़िता को सवा लाख रुपये का मुआवजा दे.
अभियोजन पक्ष के वकील सुभाष चंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि शैलू के विरूद्ध तीन मार्च, 2017 को बच्ची की मां ने शिकायत दर्ज करायी थी. आरोप लगाया था कि वह उनकी बेटी को लालच देकर एक निर्माणाधीन इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल पर ले गया और वहां उसने उसके साथ रेप किया.
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