पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ‘अपमानजनक’ टिप्पणियों के विरोध में शुक्रवार को कानपुर में जुमे की नमाज के बाद दुकानें बंद कराने के प्रयास के दौरान दो समुदायों के लोगों के द्वारा एक-दूसरे पर पथराव और बम फेंके जाने के बाद यहां के कुछ हिस्से में हिंसा भड़क गई. अब इस हिंसा को लेकर दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे हैं. खबर में आगे जानिए दोनों पक्षों ने यूपी तक को क्या-क्या बताया.
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हिंसा को लेकर मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा?
यूपी तक से बातचीत के दौरान मुस्लिम पक्ष के एक शख्स ने दावा करते हुए कहा, “हम लोग शांति से जुलूस निकाल रहे थे, जिसके बाद अचानक से पत्थरबाजी शुरू हुई. छोटे-छोटे बच्चे थे जिन पर पत्थरबाजी शुरू कर दी गई.”
वहीं एक अन्य शख्स ने कहा, “हमने दुकानों को बंद करने के लिए नहीं कहा. हम तो मर्जी से कह रहे थे कि जिन को बंद करना है बंद कर लें, जिनको नहीं करना है ना करें. ऐसे में लोगों ने पत्थरबाजी जुलूस के ऊपर शुरू कर दी. बच्चों का क्या दोष था जो जुलूस निकाल रहे थे?”
हिंदू पक्ष का क्या है दावा?
हिंदू पक्ष के लोगों की मानें तो, “हाता इलाके में दूसरे पक्ष के लोग जुलूस निकाल रहे थे और जबरदस्ती हमारी दुकानें बंद करवा रहे थे. हमने कहा कि हमारी दुकानें बंद नहीं होंगी तो इस पर वे ईंट-पत्थर चलाने लगे.”
हिंदू पक्ष ने आरोप लगाया कि हिंसा के दौरान उनके वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया और उनकी दुकानों से सामान भी लूटा गया.
कानपुर के पुलिस कमिश्नर ने कहा, “दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. लगातार धरपकड़ की जा रही है. दोषियों की प्रॉपर्टी सीज करने का काम किया जाएगा, गैंगस्टर एक्ट भी लगाया जाएगा.”
मामले में अब तक क्या कार्रवाई हुई?
आपको बता दें कि कानपुर हिंसा मामले में एमएम जोहर फैन्स एसोसिएशन के हयात जफर हाशमी के साथ एहतशाम कबाड़ी, जीशान, आकिब, निजाम, आमिर जावेद और इमरान काले समेत 40 लोगों पर नामजद एफआईआर दर्ज की गई है. साथ ही पुलिस ने 1000 अज्ञात के खिलाफ भी केस दर्ज किया है. वहीं, अब तक इस मामले में 35 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. खबर है कि हिंसा में 30 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
बलवा करने और लोगों को भड़काने के मामले में हयात जफर हाशमी का नाम मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर बताया जा रहा है. CAA-NRC कानून के विरोध में हुई हिंसक प्रदर्शन में भी जफर हाशमी का नाम सामने आया था.
(रंजय सिंह के इनपुट्स के साथ)
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