उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस (यूपीएसआईएफएस) में आगामी जुलाई महीने से प्रवेश शुरू हो जाएगा. यह संस्थान लगभग बनकर तैयार हो चुका है. बता दें कि यह यूपी का पहला फॉरेंसिक साइंस इंस्टीट्यूट होगा.
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यूजीसी की नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप इसे तैयार किया जा रहा है. यह संस्थान राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय गांधीनगर से संबद्ध है. लखनऊ में अमौसी के पास यह संस्थान बनाया जा रहा है. 400 करोड़ रुपये की लागत से इसे तैयार किया जा रहा है.
क्राइम सीन मैनेजमेंट, क्राइम लैब एनालिसिस और कोर्ट की कार्यवाही की पढ़ाई कराई जाएगी. इसके लिए संस्थान के अंदर आधुनिक लैब भी खोले जाएंगे.
जुलाई 2023 से यूजी और पीजी के कोर्सज के लिए एडमिशन शुरू हो जाएगा. अभ्यर्थियों का एडमिशन लिखित परीक्षा के आधार पर होगा.यहां यूजी और पीजी स्तर के पांच कोर्सज शुरू में 12वीं पास स्टूडेंट्स के लिए होंगे. चार साल में आनर्स की डिग्री और पांच साल में पीजी की डिग्री स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध होंगे. इसके अलावा भी कई तरह के कोर्सज छात्रों के लिए बनाए गए हैं.
एडीजी डॉ. जीके गोस्वामी को यूपीएसआईएफएस का पहला डॉयरेक्टर बनाया गया है. डॉ. जीके गोस्वामी के अधीन आई स्तर के दो अधिकारी एडीशनल डॉयरेक्टर बनाए गए हैं.
सर्टिफिकेट से लेकर मास्टर डिग्री
अगर कोई स्टूडेंट एक साल की पढ़ाई करता है तो उसे सर्टिफिकेट मिलेगा, जबकि दो साल की पढ़ाई करने पर डिप्लोमा, तीन साल की पढ़ाई पर साधारण यूजी, चार साल की पढ़ाई पर आनर्स और पांच साल की पढ़ाई पर मास्टर डिग्री मिलेगी.
इस संस्थान के डॉयरेक्टर डॉ. जीके गोस्वामी ने बताया कि ज्यादा से ज्यादा रोजगार सुनिश्चित करने के लिए सभी कोर्सज को डिजाइन किया गया है.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में बेहतरीन शिक्षा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है.
डॉ. जीके गोस्वामी ने बताया कि उनकी कोशिश है कि पुलिस महकमे में सिपाही और सब इंस्पेक्टर की भर्ती में फॉरेंसिक साइंस की डिग्री पर कुछ छूट भी दी जाए.
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