राहुल को साथ तो लिया मगर ये आंकड़े देते होंगे अखिलेश को टेंशन, 2017 में हो चुका है बुरा हाल

आयुष अग्रवाल

06 Apr 2024 (अपडेटेड: 06 Apr 2024, 09:01 PM)

उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव में सपा चीफ अखिलेश ने राहुल गांधी से हाथ मिलाया है. इंडिया गठबंधन में शामिल सपा और कांग्रेस साथ मिलकर यूपी में लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. मगर अखिलेश ने कांग्रेस का साथ लेकर सियासी रिस्क भी लिया है. दरअसल साल 2017 विधानसभा चुनाव के आंकड़े अखिलेश को टेंशन देते होंगे.

सपा चीफ अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी

Akhilesh Yadav, Rahul Gandhi

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UP Politics: ‘यूपी को ये साथ पसंद है’ आपको ये नारा याद ही होगा. करीब 7 साल पहले उत्तर प्रदेश में ये नारा काफी सुर्खियों में था. यूपी के ही 2 लड़के उत्तर प्रदेश में भाजपा का रथ रोकने के लिए साथ आ गए थे. हम बात कर रहे हैं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की. दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने राहुल गांधी के साथ हाथ मिलाया था और सपा-कांग्रेस के बीच मजबूत गठबंधन हुआ था.  

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2017 के करीब 7 साल बाद एक बार फिर अखिलेश यादव ने राहुल गांधी के साथ हाथ मिलाया है. इस बार भी ये दोनों भाजपा का विजयी रथ रोकने के लिए साथ आए हैं. इस बार अखिलेश ने कांग्रेस को यूपी में लोकसभा की 17 सीट देकर एक बड़ा फैसला लिया है और इसी के साथ एक बड़ा सियासी रिस्क भी ले लिया है. इन 7 सालों में उत्तर प्रदेश की राजनीति और खुद उत्तर प्रदेश में ऐसा काफी कुछ है, जो बदल गया है. 

2017 से काफी कुछ बदल गई यूपी की राजनीति 

7 साल पहले यानी साल 2017 से साल 2024 तक काफी कुछ बदल गया है. साल 2017 विधानसभा चुनाव में जब अखिलेश और राहुल ने हाथ मिलाया था, उस दौरान अखिलेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. दूसरी तरफ राहुल गांधी भी यूपी की अमेठी लोकसभा सीट से सांसद थे. 

मगर अब ना अखिलेश मुख्यमंत्री हैं और ना ही राहुल गांधी यूपी से सीधे तौर से जुड़े हुए हैं. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को अमेठी सीट से भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था.

 नहीं मिल रही चुनावी सफलता

साल 2019 लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. अखिलेश ने इस चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती से हाथ मिलाया था. इस चुनाव में कांग्रेस ने अपने दम पर ही चुनाव लड़ा था. मगर उसे सिर्फ 1 सीट पर ही जीत मिली थी. तो वही अखिलेश यादव की पार्टी सपा 5 सीट पर ही कब्जा कर पाई थी. 

साल 2022 विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के सामने समाजवादी पार्टी, कांग्रेस या बसपा नहीं टिक पाई और तीनों को बुरी हार का सामना करना पड़ा था. इस दौरान जहां भाजपा को 273 सीटों पर जीत मिली थी तो सपा सिर्फ 125 सीट ही जितने में कामयाब रही थी. इस दौरान बसपा के हाथ सिर्फ 1 सीट ही लगी थी तो कांग्रेस सिर्फ 2 सीटों पर ही कब्जा कर पाई थी.


अखिलेश को डराते होंगे 2017 के ये आंकड़े

अब हम फिर 2017 की तरफ चलते हैं. 2017 के बाद अब साल 2024 में अखिलेश और राहुल गांधी ने हाथ मिलाया है. दोनों को उम्मीद है कि वह दोनों मिलकर उत्तर प्रदेश में मोदी का रथ रोक पाएंगे और भाजपा को यूपी में कड़ी टक्कर देंगे. मगर सवाल ये भी है कि साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन का क्या हाल हुआ था? तब उत्तर प्रदेश की जनता ने अखिलेश और राहुल की दोस्ती को कितना कबूला था?

आपको बता दें कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में यूपी की जनता ने अखिलेश और राहुल की जोड़ी को पूरी तरह से नकार दिया था. यूपी की 430 सीटों में से सपा-कांग्रेस का गठबंधन सिर्फ 54 सीट ही जीतने में कामयाब हो पाया था. इस दौरान सपा और कांग्रेस के कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा था. गौर करने वाली बात ये भी है कि ये हाल तब थे, जब खुद अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और यूपी में सपा की सरकार थी. दूसरी तरफ राहुल गांधी अमेठी से सांसद थे और यूपी से जुड़े हुए थे.

देखा जाए तो यूपी की जनता 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के गठबंधन को पूरी तरह से नकार चुकी है. इस बार कांग्रेस और सपा, विपक्षी I.N.D.I.A. गठबंधन का ही हिस्सा हैं. यूपी में विपक्षी गठबंधन के अहम दल कांग्रेस और सपा ही हैं. ये दोनों दल ही यूपी में विपक्षी गठबंधन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. अब देखने वाली बात ये होगी कि 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन में शामिल कांग्रेस और सपा, यूपी में कोई सियासी करिश्मा कर पाती हैं या नहीं.
 

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