जिस राम मंदिर का पीटा डंका उसी अयोध्या-फैजाबाद ने दी मोदी-योगी को चोट, इन 5 कारणों से हारी BJP

आयुष अग्रवाल

05 Jun 2024 (अपडेटेड: 05 Jun 2024, 03:18 PM)

Ayodhya: अयोध्या-फैजाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है. यहां सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के लल्लू सिंह को 54,567 वोटों से हरा दिया. भाजपा को इस परिणाम की शायद ही उम्मीद रही होगी. ये भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. जानिए आखिर अयोध्या में क्यों और कैसे हारी भाजपा?

Ayodhya Lok Sabha Seat

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UP News: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को सबसे बड़ी हार का सामना अयोध्या यानी फैजाबाद लोकसभा सीट पर करना पड़ा. शायद ही भाजपा ने कभी सोचा होगा कि जिस अयोध्या और राम मंदिर का मुद्दा बनाकर उसने राजनीति की, उसी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के फौरन बाद उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ेगा. अयोध्या की हार ने यूपी भाजपा को हिला कर रख दिया है.

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संगठन को यकीन ही नहीं हो रहा है कि आखिर अयोध्या सीट उनके हाथ से कैसे निकल सकती है? अयोध्या की हार ने विपक्ष को भी भाजपा को घेरने का मौका दे दिया है. बता दें कि फैजाबाद लोकसभा सीट से सपा उम्मीदवार अवधेष प्रसाद ने भाजपा के लल्लू सिंह को हराया है. सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के लल्लू सिंह को 54,567 वोटों से शिकस्त दी है. इसके बाद से अयोध्या-फैजाबाद सीट चर्चाओं में आ गई है और लोगों में दिलचस्पी है कि आखिर भाजपा अपने ही गढ़ में और वो भी राम मंदिर के निर्माण के बाद आखिर कैसे और क्यों हार गई?

ऐसे में हम आपको अयोध्या-फैजाबाद सीट पर मिली भाजपा की हार के मुख्य कारण बताने जा रहे हैं. 

1-  अयोध्या-फैजाबाद लोकसभा सीट को लेकर भाजपा काफी ओवर कॉन्फिडेंस रही. राम मंदिर निर्माण की वजह से भाजपा संगठन और नेताओं को लगा कि वह ये सीट आसानी से जीत लेंगे. इसकी वजह से लोकसभा सीट पर पार्टी संगठन और भाजपा नेताओं ने भ्रमण ही नहीं किया और ना ही कोई खास मेहनत की.

2- भाजपा ने मौजूदा सांसद लल्लू सिंह को ही फिर से मैदान में उतारा था. मगर क्षेत्र में सांसद को लेकर भारी नाराजगी थी. सिर्फ जनता में ही नहीं बल्कि भाजपा कार्यकर्ताओं और क्षेत्र के संगठन में भी प्रत्याशी को लेकर गुस्सा था. इसलिए भी कार्यकर्ताओं और संगठन ने मेहनत नहीं की. यहां तक की लोकसभा सीट के भाजपा विधायकों ने भी अपनी नाराजगी की वजह से प्रत्याशी के लिए काम नहीं किया. भाजपा के काफी नेताओं ने अंदरखाने भितरघात भी किया.

3- भाजपा के कार्यकर्ता और क्षेत्रीय संगठन के नेता भी खुद को काफी उपेक्षित महसूस कर रहे थे. उनका कहना था कि पार्टी नेता उनकी सुनते नहीं और वह अपना या जनता का काम भी नहीं करवा पा रहे. ऐसे में वह इस बार मन से चुनाव में नहीं लगे और ना ही कार्यकर्ताओं ने भाजपा उम्मीदवार के लिए मेहनत की. यहां पार्टी का संगठन ही अपने सांसद और प्रत्याशी के लिए चुनावी मैदान में नहीं निकला.

4- राम मंदिर बनने के बाद अयोध्या पूरे देश-विदेश में चर्चाओं में आ गया. ऐसे में यहां हर दिन वीवीआईपी लोगों का आना-जाना शुरू हो गया. ऐसे में यहां हर दिन बड़े और कड़े प्रोटोकॉल लगने लगे, जिनसे अयोध्या के लोग भी परेशान हो गए. कई-कई बार तो अयोध्यावासियों की गाड़ियों उनके घर से 3 किलोमीटर पहले ही रोक ली गईं. इस कारण से भी अयोध्या के लोगों में सांसद और सरकार को लेकर काफी गुस्सा था.

5- राम पथ, भक्ति पथ, कौसी मार्ग, परिक्रमा मार्ग के चौड़ीकरण के नाम पर लोगों के मकान तोड़े गए. दूसरी तरफ उनको काफी कम मुआवजे मिला. ऐसे में भी ये बात अयोध्या के लोगों को पसंद नहीं आई और उनका गुस्सा इसको लेकर बढ़ गया. जो लोग वहां सदियों से रह रहे हैं, उन्हें एक पल में विकास के नाम पर वहां से खदेड़ दिया गया. 


माना जा रहा है कि यही कारण रहे, जिसने अयोध्या-फैजाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा के साथ बड़ा खेला कर दिया और उसे ऐसा दर्द दे दिया, जिससे उबर पाना भाजपा के लिए आसान नहीं होने वाला. इसने भाजपा की इमेंज को भी ऐसी चोट पहुंचाई है, जो लंबे समय तक भाजपा को दर्द देती रहेगी. माना जा रहा है कि यूपी भाजपा संगठन अयोध्या-फैजाबाद सीट पर जमीनी हालात को पकड़ ही नहीं पाया और वह पूरी तरह से यहां अंधकार में रहा, जिसका नतीजा रहा कि भाजपा को यहां हार मिली और इसने सभी को चौंका दिया.

(अयोध्या से बनबीर सिंह के इनपुटे के साथ) 

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