अयोध्या: 400 करोड़ से बढ़कर 1800 करोड़ हुआ राम मंदिर का बजट, बनेंगे 7 और मंदिर, जानें डिटेल

अभिषेक मिश्रा

• 01:15 PM • 13 Sep 2022

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण जोरों पर है. नींव का काम खत्म होने के साथ ही 40 फीसदी काम पूरा होने की बात की…

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अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण जोरों पर है. नींव का काम खत्म होने के साथ ही 40 फीसदी काम पूरा होने की बात की जा रही है. बताया जा रहा है कि वर्ष 2024 के जनवरी महीने में ये मंदिर आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा. हाल ही में अयोध्या में हुई बैठक में मंदिर निर्माण के पहले चरण के पूरा होने और अनुमानित लागत बढ़ने पर बात की गई. बताया जा रहा है कि पहले अनुमानित लागत 400 करोड़ था जो अब 1800 करोड़ हो गया है. ये भी माना गया कि काम के आगे बढ़ने के साथ ही इसमें भी बदलाव हो सकता है. बैठक में 7 और मंदिरों के निर्माण को भी मंजूरी मिली है.

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इंडिया टुडे राम मंदिर के निर्माण के विकास को देखने और मंदिर की लागत को प्रभावित करने वाले कारकों को समझने के लिए ग्राउंड जीरो पर पहुंचा. बढ़े हुए बजट को लेकर बताया गया कि योजना जमीन पर पहुंचने से लेकर परिसर के भीतर नींव के काम, अन्य मंदिरों के विकास, भूमि अधिग्रहण की बढ़ी हुई लागत के कारण बजट बढ़ गया है.

इंडिया टुडे से बात करते हुए ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि मंदिर की आवश्यकताओं और तकनीकी परिवर्तनों ने इसकी लागत में वृद्धि की है. जो काम चल रहा है वो निर्माण कंपनी द्वारा 1000 साल की मंदिर की लाइफ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से उसकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने हिसाब से है.

इसके अलावा मंदिर के बजट और सात और मंदिरों के निर्माण के प्रस्तावों को भी बैठक में मंजूरी दी गई. तकनीकी आवश्यकता के अनुसार योजना और अनुमान में बदलाव के साथ ही मंदिर के बजट में भी वृद्धि हुई है.

ये 7 मंदिर और बनेंगे

राय ने यह भी कहा कि मंदिर बनाने वाली कंपनी ने कुल खर्च 1800 करोड़ रुपये तय किया है. अभी तक मंदिर निर्माण पर 400 करोड़ रुपए खर्च तय किया गया था, लेकिन अब इसे बढ़ा दिया गया है. इसपर आगे का मूल्यांकन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मंदिर के 70 एकड़ के परिसर में सात और मंदिर भी बनाए जाएंगे. ये मंदिर महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त, माता शबरी, निषाद राज और जटायु के होंगे. ये कहां और कैसे बनाए जाएंगे यह भी तय हो गया है.

रामलला की मूर्ति कैसी हो इसपर हुई चर्चा

सूत्रों के अनुसार कुछ सदस्यों का मानना ​​था कि रामलला के बाल रूप की मूर्ति शालिग्राम चट्टान से बनानी चाहिए, जबकि कुछ का मानना ​​था कि संगमरमर या लकड़ी की मूर्ति बनानी चाहिए. इसपर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है. अब तकनीकी टीम से भी राय ली जाएगी. यह टीम मंदिर की डिजाइन इस तरह तैयार कर रही है कि रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें रामलला पर पड़े.

सपा ने बजट बढ़ाए जाने को बताया लूट

उधर, समाजवादी पार्टी ने अब बजट बढ़ाकर 1800 करने पर सवाल उठाया है. इसे भगवान राम के नाम पर लूट बताया है. सपा प्रवक्ता अमीक जमाईक ने कहा कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही घोटाला देखा गया है. इसमें भाजपा के कई नेता, विधायक और शीर्ष नेता शामिल हैं. उन्होंने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट को फंड आवंटन और अनुमान देखने के लिए कमेटी का गठन करना चाहिए और बीजेपी के बिचौलिए को राम के नाम पर लूट को रोकना चाहिए.

उधर, हनुमान गढ़ी महंत राजू दास ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा है कि जिन लोगों ने कारसेवक पर गोली चलाई है और हमेशा भव्य राम मंदिर का विरोध किया है, उन्हें ट्रस्ट के काम पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए.

इंडिया टुडे से बात करते हुए सत्येंद्र दास पुजारी राम मंदिर ने कहा कि राम मंदिर परिसर के भीतर विस्तार और तीन मंजिल के विशाल मंदिर के साथ मंदिर अपनी प्रारंभिक योजना से बदल गया है. जिसने लागत में वृद्धि को बढ़ा दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर की नींव का काम जो पहले किया गया था उसमें खंभा सफल नहीं रहा, जिससे 45 फीट की ठोस नींव बनाई गई है. जिसके तहत बजट में भी वृद्धि हुई है. भूमि अधिग्रहण पर खर्च होने वाली राशि के साथ-साथ 7 मंदिरों की नई योजना में भी बजट बढ़ाने में योगदान दिया है.

राम मंदिर की लागत में बढ़ोतरी को लेकर भले ही राजनीति हो रही हो, लेकिन अयोध्या में आने वाले श्रद्धालु भव्य राम मंदिर के दर्शन के लिए काफी उत्सुक हैं. छत्तीसगढ़ के भक्त राम सिंह यादव ने कहा कि मंदिर की लागत की कोई तुलना नहीं है, क्योंकि यह देश भर के करोड़ों भक्तों का एक बड़ा सपना रहा है. उन्होंने कहा कि राम के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि मंदिर बड़े आंदोलन का नतीजा है और अब सपना सच हो रहा है.

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