राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने शनिवार को दावा किया कि देश के अधिकतर मुसलमानों का मानना है कि भगवान राम ‘‘सभी’’ के हैं और उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में अपनी राय दी है.
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गुजरात के एक धर्मार्थ ट्रस्ट के सहयोग से किए गए सर्वेक्षण के निष्कर्षों का हवाला देते हुए, एमआरएम ने दावा किया कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य चाहते हैं कि ‘‘तथाकथित’’ उलेमा, मौलाना और विपक्षी नेता जो इस्लाम के नाम पर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं, उनका ‘‘पूर्ण बहिष्कार’’ किया जाना चाहिए.
आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार के नेतृत्व वाले एमआरएम ने सर्वेक्षण रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 74 प्रतिशत मुस्लिम अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से खुश हैं. एमआरएम ने एक बयान में कहा, ‘‘सर्वेक्षण में 74 फीसदी मुसलमानों ने राम मंदिर के पक्ष में और 72 फीसदी मुसलमानों ने मोदी सरकार के पक्ष में खुलकर अपनी राय दी.’’
इसमें दावा किया गया कि 26 प्रतिशत मुसलमानों ने मोदी सरकार पर कोई भरोसा नहीं जताया और ‘‘धार्मिक कट्टरता’’ के आरोप लगाए. एमआरएम ने कहा, ‘‘इन लोगों ने माना कि राम आस्था का सवाल हैं लेकिन उन्हें नहीं लगता कि वे कभी राम मंदिर जाएंगे और न ही उन्हें मोदी सरकार पर भरोसा है.’’
संगठन ने कहा कि ‘आयुर्वेद फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट’ द्वारा ‘राम जन सर्वेक्षण’ के तहत दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में 10,000 लोगों के विचार प्राप्त हुए.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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