Ram Mandir: राम मंदिर के शिलान्यास को लेकर ऐसा क्या हुआ था कि राजीव गांधी खुद देवरहा बाबा से मिलने पहुंचे?

आनंद कुमार

21 Jan 2024 (अपडेटेड: 21 Jan 2024, 07:21 PM)

जब विश्व हिंदू परिषद की तरफ से राम मंदिर के शिलान्यास की तारीख 9 नवंबर, 1989 को घोषित की गई थी, तब उससे ठीक 3 दिन पहले यानी 6 नवंबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी देवरहा बाबा से मिलने वृंदावन पहुंच गए थे. आखिरकार उस वक्त ऐसा क्या हो गया था कि राजीव गांधी खुद देवरहा बाबा से मिलने गए थे?

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अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी. 500 सालों के लंबे संघर्षों और इंतजार के बाद भव्य राम मंदिर में रामलला विराजमान होने वाले हैं. इसी के साथ मंदिर से जुड़ा 500 साल पुराना विवाद इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा. क्या आपको पता है कि राम मंदिर के निर्माण को लेकर एक संत की भविष्यवाणी आज की तारीख में सही हो गई है?

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दरअसल, 35 साल पहले ही यूपी के देवरिया जिले के रहने वाले संत देवरहा बाबा ने राम मंदिर के निर्माण को लेकर भविष्यवाणी कर दी थी. साथ ही उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर के शिलान्यास को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और विश्व हिंदू परिषद के बीच मध्यस्थता की भूमिका निभाई थी.

जब विश्व हिंदू परिषद की तरफ से राम मंदिर के शिलान्यास की तारीख 9 नवंबर, 1989 को घोषित की गई थी, तब उससे ठीक 3 दिन पहले यानी 6 नवंबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी देवरहा बाबा से मिलने वृंदावन पहुंच गए थे. आखिरकार उस वक्त ऐसा क्या हो गया था कि राजीव गांधी खुद देवरहा बाबा से मिलने गए थे? इस मुलाकात के बारे में वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा ने अपनी पुस्तक ‘युद्ध में अयोध्या’ में विस्तार से बताया है.

दरअसल, उस वक्त राज्य सरकार चाहती थी कि शिलान्यास तो हो, लेकिन जगह बदल दी जाए. राज्य सरकार चाहती थी कि शिलान्यास स्थल को प्लॉट नंबर 576 में स्थानांतरित कर दिया जाए, लेकिन विश्व हिंदू परिषद का कहना था कि हमने जहां झंडा गाड़ा है, शिलान्यास की वह जगह प्लॉट नंबर 586 हमारे कब्जे में है. इसी प्लॉट में विश्व हिंदू परिषद शिलान्यास करना चाहती थी. मगर सरकार परिषद को बगल की खाली जमीन दिलाने की पेशकेश की. विहिप ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया और इस पूरे मामले में देवरहा बाबा से दखल देने को कहा. उस वक्त राजीव गांधी अपने आस-पास के माहौल और परिस्थितियों की वजह से दबाव में थे. वो समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें. उन्हें किसी ने देवरहा बाबा से मिलने को कहा.

पुस्तक युद्ध में अयोध्या में हेमंत शर्मा ने लिखा है कि 6 नवंबर को राजीव गांधी देवरहा बाबा से मिलने गए. बाबा ने राजीव गांधी से कहा- ‘मंदिर बनना चाहिए, आप शिलान्यास करवाएं, लेकिन शिलान्यास की जगह न बदली जाए.’ बताया जाता है कि उसी वक्त राजीव गांधी शिलान्यास के लिए प्रयासरत हुए. अगले दिन देवरहा बाबा ने विहिप के नेता श्रीशंद्र दीक्षित को बुलाया और उनसे कहा- ‘आप निश्चिंत रहें, हमने प्रधानमंत्री से उसी जगह पर शिलान्यास करने को कहा है, जहां आप लोगों ने झंडा गाड़ा है.’ यानी शिलान्यास का फैसला लखनऊ-दिल्ली में नहीं हुआ, वो फैसला देवरहा बाबा के आशीर्वाद से वृंदावन में हुआ था. देवरहा बाबा से मुलाकात के बाद राजीव गांधी के दूत लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ लगातार बाबा के संपर्क में रहे. बाद में अयोध्या में वही हुआ, जो इन बैठकों में तय हुआ. दोनों पक्ष बाबा की बात आंख मूंदकर मान रहे थे.

देवरहा बाबा ने 6 नवंबर को राजीव से कहा था कि उन्हें मंदिर निर्माण की विश्व हिंदू परिषद की मांग का समर्थन करना चाहिए. बाद की घटनाओं से स्पष्ट हुआ कि राजीव गांधी ने वही किया, जो बाबा ने उनसे कहा था. हालांकि, बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनय कटियार का कहना था कि विहिप के कुछ नेता शिलान्यास के लिए जगह बदलने को तैयार हो गए थे.

कौन थे देवरहा बाबा?

देवरहा बाबा अलौकिक पुरुष थे. उनकी उम्र के बारे में कोई आकलन नहीं था. बाबा के बारे में कहा जाता है कि वे धरती पर नहीं रहते थे, हमेशा पानी में 12 फुट ऊंचे मचान पर रहते थे. इस योगी ने हिमालय में साधना की थी. देवरिया जिले के लार रोड के पास मइल के रहने वाले देवरहा बाबा जीवन भर निर्वस्त्र रहे. बताया जाता है कि बाबा रामभक्त थे, इसलिए ज्यादा वक्त वो सरयू और गंगा के किनारे ही रहते थे. देवरहा बाबा का आशीर्वाद बड़ा प्रभावी माना जाता था. राजीव गांधी की मां इंदिरा गांधी जब किसी समस्या से घिरतीं तो समाधान के लिए देवरहा बाबा के पास जाती थीं.

प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण पत्र पर देवरहा बाबा की फोटो

प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण पत्र के साथ शामिल बुकलेट में देवरहा बाबा का नाम और फोटो छापा गया है. बुकलेट में देवरहा बाबा को लेकर लिखा है, “ देवरहा बाबा साल 1989 में प्रयाग महाकुंभ के अवसर पर आयोजित हुए संत सम्मेलन और धर्म संसद में पधारे थे. वहां उन्होंने घोषणा की थी कि विश्व हिंदू परिषद उनकी आत्म है. देवरहा बाबा ने कहा था कि उनकी सहमति से ही श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन चल रहा है.”

राम मंदिर को लेकर की थी भविष्यवाणी

साल 1989-90 में देवरहा बाबा ने राम मंदिर को लेकर भविष्यवाणी की थी, जो आज सच साबित हो रही है. देवरहा बाबा ने राम जन्मभूमि के स्थान पर मंदिर बनने की भविष्यवाणी की थी. उन्होंने कहा था कि सभी की सहमति से राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा. राम मंदिर निर्माण बनकर रहेगा. मंदिर के निर्माण में कोई विध्न नहीं डालेगा. ये भविष्यवाणी देवरहा बाबा ने तब की थी, जब वहां बाबरी मस्जिद मौजूद थी. तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि देवरहा बाबा की ये भविष्यवाणी सच साबित हो जाएगी.

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