अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर जोरों-शोरों से तैयारियां चल रही हैं. प्राण प्रतिष्ठा समारोह तैयारियों के बीच क्या आप भी ऑनलाइन वेबसाइट्स से घर बैठे राम मंदिर का प्रसाद लेने की योजना बना रहे हैं तो सावधान हो जाइए. ऑनलाइन वेबसाइट्स से राम मंदिर का प्रसाद मंगाना आपको भारी पड़ सकता है और आप भी ठगी का शिकार हो सकते हैं.
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विश्व हिंदू परिषद (VHP)के प्रवक्ता विनोद बंसल ने ऑनलाइन वेबसाइट्स पर घर बैठे राम मंदिर के VIP दर्शन और प्रसाद के विज्ञापनों को लेकर आगाह किया है.
बंसल के मुताबिक Amazon जैसी Websites पर इस तरह के अनेक विज्ञापन देखे जा रहे हैं, जहां राम भक्तों को भ्रमित किया जा रहा है. उन्होंने इस तरह के भ्रामक विज्ञापनों से राम भक्तों को सावधान किया है.
बंसल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, “कभी VIP दर्शन तो कभी घर बैठे प्रसाद के नाम अनेकों विज्ञापन राम भक्तों को दिगभ्रमित कर, छल कपट का प्रयास कर रहे हैं. amazon जैसी वेबसाइट पर भी इस तरह के अनेक विज्ञापन देखे जा रहे हैं. समाज को इनसे सावधान रहना होगा. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने किसी को भी इन कामों के लिए अधिकृत नहीं किया है. किसी के झांसे में ना आएं. इन वेबसाइट्स को भी ऐसे झूठे विज्ञापनों को अविलंब हटाना चाहिए अन्यथा, हम कानूनी कार्यवाही के लिए विवश होंगे.”
अमेजन ने शुरू की जांच
अमेजन ने अपनी वेबसाइट पर राम मंदिर प्रसाद बेचने का दावा करने वाले कथित अनधिकृत विक्रेताओं के संबंध में जांच शुरू कर दी है.
सूर्य देव करेंगा पहला अभिषेक
साल की पहली राम नवमी को अवतरण के वक्त भगवान का पहला अभिषक खुद भगवान सूर्य करेंगे. जैसे ही भगवान का प्रकाट्य होगा, सूर्य देव की किरणें सीधे भगवान के ललाट पर होगी.
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया है कि प्रभु श्रीराम की मूर्ति को इस प्रकार से बनाया गया है कि प्रत्येक वर्ष रामनवमी को भगवान सूर्य स्वयं श्रीराम का अभिषेक करेंगे. उन्होंने बताया कि भारत के प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की सलाह पर मूर्ति की लंबाई और उसे स्थापित करने की ऊंचाई को इस प्रकार से रखा गया है कि हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें प्रभु श्रीराम के ललाट पर पड़ेगी.
बेहद बारीकी से तैयार की गई है प्रभु की मूर्ति
ट्रस्ट की ओर से बताया गया है कि तीन शिल्पकारों ने प्रभु श्रीराम की मूर्ति का निर्माण अलग अलग किया, जिसमें से एक मूर्ति को प्रभु प्रेरणा से चुना गया है. चुनी गई मूर्ति की पैर से लेकर ललाट तक की लंबाई 51 इंच है और इसका वजन डेढ़ टन है. मूर्ति की सौम्यता का बखान करते हुए कहा गया कि श्यामल रंग के पत्थर से निर्मित मूर्ति में ना केवल भगवान विष्ण की दिव्यता और एक राजपुत्र की क्रांति है. बल्कि उसमें 5 साल के बच्चे की मासूमियत भी है. चेहरे की कोमलता, आंखों की दृष्टि, मुस्कान, शरीर आदि को ध्यान में रखते हुए मूर्ति का चयन किया गया है. 51 इंच ऊंची मूर्ति के ऊपर मस्तक, मुकुट और आभामंडल को भी बारीकी से तैयार किया गया है.
16 जनवरी से प्रारंभ हो गई पूजा विधि
ट्रस्ट के अनुसार मूर्ति की प्रतिष्ठा पूजा विधि को 16 जनवरी से प्रारंभ कर दिया गया है. इसके अलावा 18 जनवरी को गर्भगृह में प्रभु श्रीराम को आसन पर स्थापित कर दिया जाएगा. प्रभु श्रीराम की मूर्ति की एक विशेषता यह भी है कि इसे अगर जल और दूध से स्नान कराया जाएगा तो इसका नकारात्मक प्रभाव पत्थर पर नहीं पड़ेंगे.
साथ ही अगर कोई उस जल या दूध का आचमन करता है तो शरीर पर भी इसका दुष्प्रभाव नहीं होगा. राममंदिर परिसर में ही महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या का भी मंदिर बनाया जाएगा. इसके अलावा जटायु की प्रतिमा को यहां पहले से ही स्थापित कर दिया गया है.
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