नए साल से बनने लगेगी मस्जिद-ए-अयोध्या, अबतक इन 2 वजहों के चलते हुई निर्माण कार्य में देरी

बनबीर सिंह

• 02:54 AM • 12 Nov 2022

Ayodhya News: लंबे इंतजार के बाद अब मस्जिद-ए-अयोध्या का निर्माण कार्य शुरू होने वाला है. इंडो इस्लामिक कल्चरल ट्रस्ट द्वारा मस्जिद के मानचित्र को पास…

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Ayodhya News: लंबे इंतजार के बाद अब मस्जिद-ए-अयोध्या का निर्माण कार्य शुरू होने वाला है. इंडो इस्लामिक कल्चरल ट्रस्ट द्वारा मस्जिद के मानचित्र को पास करने में जो सबसे बड़ा रोड़ा आ रहा था, वह अब दूर होने वाला है. अगले सप्ताह अयोध्या विकास प्राधिकरण बोर्ड की बैठक होने वाली है, जिसमें मस्जिद के लिए दी गई भूमि का लैंड यूज चेंज करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया जाएगा.

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इंडो इस्लामिक कल्चरल ट्रस्ट के सदस्य अरशद अफजाल ने बताया कि इस बाबत सारे पेपर जमा किए जा चुके हैं और संभवत दिसंबर 2022 तक मस्जिद के मानचित्र को स्वीकृति मिल जाएगी और इसके बाद जनवरी 2023 से मस्जिद-ए-अयोध्या का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. इस बार का गणतंत्र दिवस जब मनाया जाएगा तो मस्जिद का निर्माण कार्य हो रहा होगा.

वहीं, अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने बताया कि सभी कानूनी औपचारिकताएं शीघ्र ही पूरी कर ली जाएंगी और मस्जिद के मानचित्र को स्वीकृति दे दी जाएगी. इसके लिए जल्द ही बोर्ड की बैठक बुलाई जाएगी.

इसलिए हुई मस्जिद निर्माण कार्य में देरी, यह वजह बनी रोड़ा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शासन ने मस्जिद के लिए 5 एकड़ भूमि अयोध्या जनपद के धन्नीपुर गांव में आवंटित की थी. भूमि आवंटन के बाद मई 2021 में इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने मस्जिद के मानचित्र की स्वीकृति के लिए आवेदन कर दिया था. हालांकि एनओसी के अभाव में अब तक इसको मंजूरी नहीं मिल सकी. जुलाई 2022 में फाउंडेशन के चेयरमैन जफर फारुकी, सचिव अतहर हुसैन, स्थानीय ट्रस्टी अरशद अफजाल ने विकास प्राधिकरण से बैठक और मंत्रणा की थी, जिसके बाद अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, अग्निशमन, सिंचाई विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिला प्रशासन और नगर निगम को एनओसी दिए जाने को लेकर पत्र भी भेजा था.

मस्जिद का मानचित्र अबतक पास न होने के जो दो प्रमुख कारण थे उसमें सबसे बड़ा कारण जमीन का लैंड यूज न चेंज होना था. क्योंकि जो जमीन मस्जिद के लिए दी गई थी वह कृषि प्रयोज्य की भूमि थी, इसलिए मस्जिद निर्माण के पहले उसका लैंड यूज चेंज होना जरूरी है. दूसरा कारण अग्नि शमन विभाग की आपत्ति थी. दरअसल, अग्निशमन विभाग को इस बात की आपत्ति थी कि जो रास्ता मस्जिद के लिए जाता है वह केवल 6 मीटर चौड़ा है. हालांकि बाद में अग्निशमन विभाग में इस शर्त पर एनओसी दे दी की भविष्य में सड़क को 12 मीटर चौड़ा कर दिया जाएगा.

अन्य विभाग से भी एनओसी मिल चुकी है जो सबसे बड़ा रोड़ा लैंड यूज चेंज करने को लेकर था वह प्रक्रिया भी दिसंबर तक दूर हो जाएगी.

मस्जिद-ए-अयोध्या के लिए हिंदू भी दे रहे है योगदान

पूरी दुनिया में अयोध्या अपनी गंगा जमुनी तहजीब के लिए जानी जाती है. मस्जिद-ए-अयोध्या के लिए मुस्लिम संप्रदाय के लोगों के साथ साथ हिंदू भी अपना योगदान दे रहे हैं. इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सदस्य अरशद अफजाल ने बताया कि लखनऊ के साथ-साथ अयोध्या समेत कई स्थानों से मस्जिद निर्माण के लिए सहयोग मिला है, जिसमें कई हिंदुओं ने भी अपना योगदान दिया है. इनमें कई प्रोफेसर और बुद्धिजीवी वर्ग के लोग शामिल हैं.

हॉस्पिटल, सामुदायिक भोजनालय और रिसर्च सेंटर का भी होगा निर्माण

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद के फैसले के समय जो आदेश दिया था उसी के अनुसार यूपी सरकार ने 5 एकड़ भूमि मस्जिद निर्माण के लिए दी थी. इस भूमि पर 2,000 नमाजियों के लिए सभागार, 300 बेड का चैरिटेबल हॉस्पिटल, 1000 की क्षमता वाला शाकाहारी सामुदायिक भोजनालय और मौलवी अहमद उल्ला शाह के नाम से एक रिसर्च सेंटर का निर्माण होना है. इसके चारों तरफ छायादार वृक्ष लगाए जाएंगे.

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