उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के रामनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी कैंप लगा था. वहां मौजूद डॉक्टरों की टीम ने नसबंदी ऑपरेशन से पहले 10 महिलाओं को इंजेक्शन लगाकर एनेस्थीशिया (बेहोशी की दवा) दिया. उसके बाद नसबंदी टीम के डॉक्टर को कुछ उलझन हुई, तो बिना ऑपरेशन किए वह अपनी टीम वापस लेकर चले गए.
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उधर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल में जिन महिलाओं को इंजेक्शन लगा वह बेहोश होने लगीं, तो अफरा-तफरी मच गई. पीड़ित महिलाएं अस्पताल के बने बेंच पर और इधर-उधर पड़ी रहीं और वहां मौजूद स्टॉफ ने अगले दिवस को लगने वाले कैंप में आने को कहा, जिस पर परिजन भड़क गए.
मौके पर मौजूद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉक्टर हेमंत कुमार ने परिजनों से कहा कि अभी आप पेशंट को ले जाएं. अगली तारीख में कैंप लगेगा, तो उसमें आइएगा.इसके बाद परिजनों ने बेहोशी की हालात में ही महिलाओं को घर लेकर चले गए.
वहीं, परिजनों का कहना है कि डॉक्टर साहब को ऑपरेशन नहीं करना था, तो 4-5 इंजेक्शन क्यों लगा दिया? सब बेहोश हैं. पता नहीं चल रहा है कि डॉक्टर कहां चले गए. बेहोशी की हालत है, समझ नहीं आ रहा है कि घर कैसे ले जाएं.
मामले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामनगर के प्रभारी डॉक्टर हेमंत ने बताया, “आज हमारे यहां नसबंदी कैंप था. इसमें 19 महिलाएं आई थीं, 10 महिलाओं की ऑपरेशन की तैयारी की गई. एनेस्थीशिया का इंजेक्शन लगाने के बाद डॉक्टर अजीत को उलझन होने लगी और वह अपनी टीम के साथ वापस चले गए. एनेस्थीशिया का इंजेक्शन का असर थोड़ी देर में खत्म हो जाता है. उसके बाद ये महिलाएं सामान्य स्थिति में आ जाएंगी.”
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