नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा हुआ है. मिली जानकारी के अनुसार, नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बिल्डर को लाभ पहुंचाने के लिए राजस्व विभाग को 13000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया है. 2005 से लेकर 2017 के बीच नोएडा प्राधिकरण के अफसरों की ओर से बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए ‘मनमाने’ ढंग से भूखंड बांटने की भी बात सामने आई है.
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इतना ही नहीं यमुना किनारे फार्म हाउस में बिल्डरों को फायदा पहुंचाने की बात भी सामने आई है. यह सीएजी की रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन आवंटन में आरक्षित मूल्य के विकास मानदंडों का ध्यान नहीं रखा गया है, जिसकी वजह से 13967 करोड़ रुपये की वसूली अधर में पड़ी रह गई.
सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अधिकारियों ने बिल्डरों को अनुचित लाभ दिया जिस वजह से 2664 करोड़ रुपये की राशि अभी भी बकाया है. इस दौरान नोएडा में 71 लाख वर्ग मीटर से 67 ग्रुप हाउसिंग भूखंडों का आवंटन किया गया. सीएजी ने यह भी पाया कि फार्म हाउस भूखंडों के आरक्षण में शर्तों और नियमों का भी पालन नहीं किया गया.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार की अनुमति के बिना एक योजना लाई गई. योजना में 157 आवेदकों को 18 लाख वर्ग मीटर जमीन आवंटित कर दी गई. सीएजी ने साफ कहा है कि इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और योजनाओं की समीक्षा होनी चाहिए. जो आवंटन गलत है उन्हें निरस्त किया जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो.
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