Noida News: नोएडा पुलिस ने बिना वीजा के फर्जी नाम के सहारे जिले में रह रहे दो चीनी नागरिकों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने दोनों चीनी नागरिकों को डिटेंशन सेंटर भेज दिया है. वहीं अवैध रुप से रह रहे चीनी नागरिकों को गिरफ्तारी के बाद एलआईयू और बीट पुलिसिंग पर फिर सवाल उठे है कि आखिर उन्हें महीनों तक अवैध रूप से ग्रेटर नोएडा में रह रहे चीनी नागरिकों के बारे में पता क्यों नही चला.
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फर्जी आधार कार्ड भी बनवा लिया था
दरअसल, थाना बिटा 2 पुलिस और एलआईयू ने सूचना के बाद दो चीनी नागरिकों को हिरासत में लिया था, पासपोर्ट चेक करने पर उनका वीजा एक्सपायर मिला. पूछताछ की तो पता चला की वो ग्रेटर नोएडा स्तिथ एक मोबाइल कंपनी में काम करते हैं. वीजा बहुत पहले एक्सपायर हो चुका है लेकिन उसके बावजूद ग्रेटर नोएडा में लंबे समय से रह रहे हैं. फर्जी तरीके से फर्जी भारतीय नाम का आधार कार्ड भी बनवा लिया था. पूछताछ में दोनो की पहचान Deng Chonckon और Meng Shougou के रूप में हुई है. पुलिस और एलआईयू की टीम ने दोनो नागरिकों को हिरासत में लेकर दिल्ली स्तिथ डिटेंशन सेंटर भेज दिया है,
एडीसीपी ग्रेटर नोएडा अशोक कुमार ने बताया कि, ‘चेकिंग अभियान के तहत दो चीनी नागरिकों का पासपोर्ट चेक किया गया था. जिसमे दोनो के वीजा एक्सपायर मिले थे, कार्रवाई करते हुए दोनो को डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया है.’
कुछ दिनों पहले पाकिस्तानी महिला हुई थी गिरफ्तार
बता दें कि ये पहली बार नही है कि जब ग्रेटर नोएडा में अवैध रूप से कोई चीनी नागरिक या विदेशी नागरिक रह रहा था. इसी हप्ते पुलिस ने एक पाकिस्तानी महिला को चार बच्चो के साथ गिरफ्तार किया था, जो एक युवक के प्यार में भारत आ गई थी और महीनों से युवक के साथ ग्रेटर नोएडा में रह रही थी. वही इस से पहले एसएसबी ने दो चीनी नागरिकों को बिहार से गिरफ्तार किया था जो सीमा पार कर नेपाल जा रहे थे. पूछताछ में दोनो ने बताया था कि वो नेपाल के रास्ते भारत मे प्रवेश के बाद महीनों ग्रेटर नोएडा में रहे थे. जिसके बाद नोएडा पुलिस चीनी गैंग को गिरफ्तार किया था. जो अवैध रूप से नोएडा में रह के वित्तीय हेरफेर करते थे.
वहीं कई अफ्रीकी नागरिक भी पकड़े गए हैं, जो बिना विजा के जिले में रह रहे. पिछले महीने ऐसे ही कुछ अफ्रीकी नागरिक पकड़े गए थे, जो ग्रेटर नोएडा में ड्रग्स की फैक्ट्री चलाते थे. इस तरह बिना बीजा के अवैध रूप से महीनों सालो नोएडा में विदेशी नागरिक रहते है लेकिन लोकल इंटेलिजेंस यूनिट एलआईयू और पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है. ऐसे में एलआईयू और पुलिस के सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा होता है.
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