Noida News: 28 अगस्त को ट्विन टावर का ध्वस्तीकरण होना है. उससे पहले सभी विभागों ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं. मगर एक सवाल जो सबके मन में है कि विस्फोट होने के बाद जो धूल उड़ेगी उससे पर्यावरण पर कितना फर्क पड़ेगा, आसपास के लोगों के लिए धूल कितनी घातक साबित हो सकती है और इसको लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्या काम कर रहा है? इन्हीं सवालों का जवाब जानने के लिए हमने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रवीण कुमार से खास बातचीत की है.
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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि प्रशासन से उन्हें ट्विन टावर ध्वस्तीकरण को लेकर जो निर्देश मिले थे, उसके आधार पर ट्विन टावर के आसपास एयर क्वॉलिटी मापन के लिए क्लोज सर्किट और आउटर सर्किट बनाकर साइंटिफिक वे में 6 मैनुअल एंबिएंट एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं. इसका संचालन शनिवार यानी 27 अगस्त से शुरू कर दिया जाएगा.
उन्होंने आगे बताया कि इसके अलावा जनपद एंबिएंट एयर क्वॉलिटी स्टेशन पहले से है और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लोगों को परिणाम से अवगत कराता रहेगा.
उन्होंने आगे कहा,
“वहीं, बात ध्वस्तीकरण के बाद जनरेट होने वाले डस्ट की करें, तो डस्ट की वॉल्यूम कितनी रहेगी इसका कोई आकलन हमारे पास नहीं है. हालांकि डस्ट से निपटने के लिए नोएडा प्राधिकरण द्वारा व्यपाक इंतेजाम किए गए हैं. प्राधिकरण द्वारा साइट के आसपास 15 जगहों पर एंटी स्मॉग गन लगाए जा रहे हैं, और एंटी स्मॉग गनों को पर्याप्त मात्रा में जल आपूर्ति की जाएगी. वाटर टैंकर लगाया जाएगा, इसके अलावा मकैनिकल स्वीपर, साथ ही मैन पावर भी लगाया जाएगा.”
प्रवीण कुमार
यूपी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया, “कोशिश की जा रही है की जब लोग अपने घरों में आएं तो उनको मास्क लगाने की जरूरत न पड़े. हालांकि की सेफटी मेजर को देखते हुए मास्क लगाना चाहिए.
वहीं, ध्वस्तीकरण से निकलने वाले मलवे को उठाने के दौरान निकलने वाली धूल से होने वाले प्रदूषण के नियंत्रण पर जब सवाल किया गया तो प्रवीण कुमार ने बताया कि फिलहाल वे 28 अगस्त को होने वाले ध्वस्तीकरण पर ध्यान दे रहे हैं.
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