Gorakhpur News: गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने अपने प्रस्तावित क्षेत्र में अवैध कॉलोनियां को चिह्नित कर ड्रोन से निगरानी शुरू कर दी है. ड्रोन से कॉलोनियां की फोटो और वीडियो क्लिप भी तैयार किए जा रहे हैं. संबंधित कॉलोनी के क्षेत्रफल के साथ वहां होने वाली गतिविधियां भी रिकॉर्ड की जा रही हैं. जीडीए ने अब तक 26 अवैध कॉलोनियां पहचान ली हैं. सर्वेक्षण पूरा होने के बाद अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी.
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दरअसल, दो साल पहले जीडीए ने अपनी सीमा का विस्तार किया था, जिसके बाद उसके दायरे में 319 राजस्व गांव शामिल हो गए. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद जीडीए अभी चौरीचौरा, खजनी, कैंपियरगंज और बांसगांव तक और अपनी सीमा बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. नई महायोजना- 2031 में प्राधिकरण के विस्तारित क्षेत्र को भी शामिल किया गया है. महायोजना लागू होने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. लिहाजा जीडीए ने बिना ले-आउट स्वीकृत कराई गईं कॉलोनियों पर सख्ती शुरू कर दी है.
विस्तारित क्षेत्र में बिना ले-आउट स्वीकृत कराए जितनी भी कॉलोनियां विकसित हो रही हैं, उनका सर्वे कराया जा रहा है. लोगों की सुविधा के लिए इन अवैध कॉलोनियों से सटी कौन-कौन सी कॉलोनियां हैं, इसे जीडीए की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा. इससे आम लोग प्लॉट खरीदते समय आसानी से जांच-पड़ताल कर सकेंगे कि वह जहां जमीन खरीद रहे हैं वह अवैध कॉलोनी तो नहीं है. संबंधित कॉलोनी का दायरा कहां तक है, इसकी भी जानकारी मिलेगी. सर्वे का काम प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह के नेतृत्व में हो रहा है, जिसमें जेई और एई के साथ तकनीकी कर्मचारी शामिल हैं.
आपको बता दें कि महायोजना के प्रारूप की तैयारी शुरू होते ही जीडीए ने विस्तारित क्षेत्र में प्लॉटिंग कर रहे करीब 150 लोगों को नोटिस दिया था. सभी को निर्देश दिए गए थे कि महायोजना तैयार होने तक वहां निर्माण कार्य न करें बावजूद इसके कुछ लोग उन प्लॉटों पर बाउंड्री कराकर छोटे-मोटे निर्माण कराने की फिराक में है.
क्या अवैध कॉलोनियों को चिन्हित कर किया जाएगा ध्वस्त? इस सवाल पर जीडीए उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि ‘ड्रोन की सहायता से निरीक्षण और हवाई सर्वेक्षण का कार्य पूरा हो चुका है. हमारी कोशिश है कि लोग किसी जालसाजी का शिकार ना हों और वो सुनियोजित तरीके से बसें. क्योंकि अनप्लेंड तरीके से बसाई जा रहीं कॉलोनियों में फिर आगे चलकर सड़क नाली और ऐसी तमाम दिक्कतें आती हैं. बाद में यही अवैध कॉलोनियां आगे चलकर जब रिहायशी हो जाती हैं और इसमें लोग रहना शुरू कर देते हैं तब फिर दिक्कतें आती है. इसलिए हम लोग शुरुआती चरण में ही इन कॉलोनियों को चिह्नित कर ले रहे हैं और सभी चिह्नित कॉलोनियां अभी इनिशियल स्टेज में है.
उन्हीने आगे कहा कि ‘इस पूरे होमवर्क करने का बस एक ही मकसद है कि लोग अन्प्लैंड नहीं बल्कि प्लैंड डिवेलपमेंट का हिस्सा बनें. आगे की कार्रवाई में ये है कि अगर किसी का लैंड यूज रेजिडेंशियल है तो वह ले-आउट पास कराकर फिर अपने मकान को बनवाए. अन्यथा चाहरदिवारी हो या कोई गेट ही क्यों ना लगा हो वो तोड़े जाएंगे.’
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