गोरखपुर: राप्ती नदी में दिखी थीं डॉल्फिन, अब इनके संरक्षण के लिए उठाए जा रहे ये कदम

विनित पाण्डेय

• 10:56 AM • 30 Oct 2022

Gorakhpur News: गोरखपुर स्थित राप्ती नदी में गंगा डॉल्फिन दिखने के बाद वन विभाग और चिड़ियाघर की संयुक्त टीम इनके संरक्षण की तैयारी कर रही…

UPTAK
follow google news

Gorakhpur News: गोरखपुर स्थित राप्ती नदी में गंगा डॉल्फिन दिखने के बाद वन विभाग और चिड़ियाघर की संयुक्त टीम इनके संरक्षण की तैयारी कर रही है. गोरखपुर चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डॉक्टर योगेश प्रताप सिंह के अनुसार, ‘अप्रैल-मई महीने में गंगा डॉल्फिन दिखी थीं, जिसके बाद से इनके संरक्षण का कार्य थोड़ा धीमे हो गया, लेकिन अब फिर राप्ती नदी का जलस्तर घट रहा है. दोनों विभाग की संयुक्त टीम गंगा डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर कार्य शुरू करेंगी.’ आपको बता दें कि इसके लिए जलीय वन्य जीवों का संरक्षण करने वाली संस्था टर्टल सर्वाइवल एलाइंस से संपर्क भी साधा गया है.

यह भी पढ़ें...

बताते चलें कि गंगा डॉल्फिन को राज्य जलीय जीव का दर्जा प्राप्त है. विशेषज्ञों के अनुसार बीते, 5 वर्षों में इसकी संख्या में निरंतर कमी देखने को मिली है. इसको लेकर सरकार चिंतित है, यही वजह है कि ‘नमामि गंगे’ अभियान में डॉल्फिन के संरक्षण को अलग से स्थान दिया गया है.

राप्ती नदी में डॉल्फिन होने की जानकारी मिलने पर चिड़ियाघर के निदेशक डॉक्टर राजामोहन व पशु चिकित्सक डॉक्टर योगेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में बताए गए स्थान पर राजघाट पर पर्यवेक्षक टीम ने दौरा किया. 3 घंटे परीक्षण के दौरान उन्होंने नदी में डॉल्फिन को अठखेली करते देखा, जिसके बाद टीम ने संरक्षण के लिए टर्टल सर्वाइवल एलाइंस से संपर्क साधा और इसके संरक्षण के लिए वहां मछुआरों को जागरूक भी किया, जिससे उनकी वजह से डॉल्फिन को नुकसान ना पहुंचे.

वन विभाग और चिड़ियाघर प्रशासन की संयुक्त टीम ने मछुआरों को जागरूक करते हुए बताया कि मछली मारते समय अगर उनके जाल में डॉल्फिन आ जाती हैं, तो वह उन्हें नुकसान न पहुंचाएं. साथ ही मछुआरों को यह भी बताया गए कि अगर कोई डॉल्फिन मछली चोटिल व घायल अवस्था में मिलती है तो उसकी जानकारी तत्काल चिड़ियाघर प्रशासन को दें, जिससे उसका इलाज कराया जा सके.

डॉक्टर योगेश प्रताप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि गंगा डॉल्फिन की गिनती इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के रिकॉर्ड में विलुप्त प्राय जीवों में होती है. इनकी संख्या कम होते देख वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट 1972 में इन्हें शिड्यूल 1 में रखा गया है. जिसमें शेर, बाघ, तेंदुआ जैसे सर्वाधिक दुर्लभ प्राणी को रखा गया है.

गोरखपुर: जनता दर्शन में सीएम योगी ने कहा- जमीनी विवादों का जल्द हो समाधान

    follow whatsapp