गोरखपुर में गैंगस्टर केस से जुड़ी फाइल में आपत्ति लगाने और केस को आगे बढ़ाने के मामले में बड़ा खेल सामने आया है. अभियोजन विभाग के दो बड़े अधिकारियों का घूस लेते वीडियो वायरल होने और ट्विटर पर शिकायत के बाद डीएम की जांच में मामला सही पाए जाने पर अभियोजन विभाग के एसपीओ (प्रभारी संयुक्त निदेशक) और एजेडी (ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी) को जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने निलंबित कर दिया है. उन्होंने जांच रिपोर्ट के साथ आगे की कार्रवाई के लिए फाइल एसीएस होम अवनीश कुमार अवस्थी को भेज दी है.
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गोरखपुर के अभियोजन विभाग के प्रभारी संयुक्त निदेशक अशोक वर्मा और ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी रणविजय द्वारा गैंगस्टर के मामले में घूस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
अविरल सिंह नाम के युवक ने अपने ट्विटर हैंडल से घूस लेने के वीडियो को पोस्ट कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, एसीएस होम अवनीश कुमार अवस्थी और गोरखुपर के जिलाधिकारी से कार्रवाई की मांग की. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी कृष्णा अभिषेक ने एडीएम सिटी विनीत सिंह को जांच दी. जांच में मामला सही पाए जाने पर जिलाधिकारी ने दोनों को निलंबित कर दिया.
गोरखपुर के रामगढ़ताल थानाक्षेत्र के रहने वाले कई घटनाओं में शामिल शातिर बदमाश गैंगस्टर कपिल मुनि यादव को विधानसभा चुनाव के पहले जिला बदर किया गया था. पुलिस ने इस पर गैंगस्टर की सिफारिश की थी. जिस पर प्रभारी संयुक्त निदेशक अशोक वर्मा और ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी रणविजय ने आपत्ति लगाकर फाइल को लौटा दिया था.
वीडियो की जांच के लिए डीएम ने एडीएम सिटी विनीत को जिम्मेदारी सौंपी. उनकी जांच में दोनों ही अधिकारियों के घूस लेने की बात को सही पाया गया. इसके बाद जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने एक्शन लेते हुए दोनों को निलंबित कर दिया.
दो मिनट 19 सेकंड का वायरल वीडियो अभियोजन कार्यालय का है. इसमें वर्दी पहने पुलिसवाला जिसका चेहरा धुंधला किया गया है, वो अधिकारी से गैंगस्टर के मामले में काम कराने की गुजारिश कर रहा है.
पुलिसवाला नोटों की गड्डी अधिकारी को देते हुए दिख रहा है. इसी वीडियो के दूसरे हिस्से में एक युवक सादे कपड़े में अधिकारी के कार्यालय में बैठकर बात करते दिख रहा है. कुछ देर बाद युवक रुपये निकालकर अधिकारी को देते हुए दिखाई दे रहा है. जिसे वे दराज खुलवाकर उमसें रखवा देता है.
इस संबंध में गोरखपुर के जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने बताया कि एक ट्वीट रविवार को दो से ढाई बजे के बीच हुआ था. इसे जांच कराने के लिए एडीएम सिटी को नामित किया था. एडीएम सिटी की जांच में जो अधिकारी वहां नजर आ रहे थे. वीडियो में वहीं थे. वीडियो के आधार पर इसकी पुष्टि की गई. एडीएम ने एक रिपोर्ट सम्मिट किया था. एडीएम की पुष्टि के बाद अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई. इस तरह के मामले भविष्य में सामने आते हैं, तो कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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