Aditya Vardhan News: कानपुर में बिल्हौर के नाना मऊ घाट में गंगा नदी में डूबे डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन की बॉडी आखिरकार 9 दिन बाद जाकर बरामद की जा सकी है. इतने दिनों से लगातार आदित्य वर्धन की तलाश की जा रही थी. उनका शव गंगा बैराज कानपुर में मिला है. शव को पोस्टमार्टम के लिए नवाबगंज थाने में भेज दिया गया है. पोस्टमार्टम के बाद उनका शरीर पैतृक गांव जाएगा और नानामऊ घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा. यह दुखद हादसा तब चर्चा में आया था जब यह जानकारी मिली थी कि डिप्टी डायरेक्टर डूबते चले गए और उन्हें बचाने की बजाय गोताखोर पैसों की डिमांड करते रहे.
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आदित्य वर्धन की ये कहानी है बहुत दर्दनाक
आदित्य वर्धन स्वास्थ्य विभाग में डिप्टी डायरेक्टर थे. इस अफसर की जिंदगी जिस तरह की आपराधिक लापरवाही की शिकार हुई, उसकी कहानी बेहद दर्दनाक है. असल में आदित्य वर्धन कानपुर के बिल्हौर इलाके में नाना मऊ घाट पर अपने दो दोस्तों के साथ नहाने गए थे. इसी दौरान वह गंगा में डूबने लगे. दोस्तों ने वहां मौजूद दो गोताखोरों से उन्हें बचाने की गुहार लगाई. गोताखोरों ने तभी 10 हजार रुपये की मांग कर दी. दोस्तों के पास रुपये नहीं थे. दोनों ने किसी तरह 10 हजार रुपये ऑनलाइन दिए. मगर तब तक आदित्यवर्धन गंगा में समा चुके थे.
महाराष्ट्र में जज हैं आदित्य वर्धन की पत्नी
आदित्य वर्धन की पत्नी महाराष्ट्र में जज हैं. उनके चचेरे भाई बिहार में सीएम नीतीश कुमार के विशेष सचिव हैं. पिताजी और बहन विदेश में रहते हैं. आदित्य वर्धन को खोजने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ पीसीएस के गोताखोरों ने 6 दिन तक सर्च अभियान चलाया. जब सफलता हाथ नहीं लगी, तो सर्च अभियान बंद कर दिया गया.
अब जाकर आदित्य वर्धन का शव तो बरामद हुआ है, लेकिन ये दुखद घटना कई सारे सवाल छोड़ गई है. सबसे बड़ा सवाल तो उनके दोस्तों के उस आरोप से ही खड़ा हुआ है कि एक डूबते शख्स को बचाने की बजाय गोताखोर पैसे कैसे मांग सकते हैं? क्या उनकी इंसानियत इतनी मर गई थी कि एक आदमी की जिंदगी पर पैसों की लालच भारी पड़ गई? कई बड़े सवाल छोड़ने वाले इस मामले का अभी पटाक्षेप होना बाकी है, क्योंकि पुलिस पहले ही कह चुकी है कि परिवार से कोई रजिस्टर्ड शिकायत नहीं मिली है.
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