Kanpur News : कहते हैं, "डूबते को तिनके का सहारा होता है" लेकिन कानपुर में इस कहावत पर 10 हजार रुपये की रकम भारी पड़ गई. यहां, गंगा में नहाते समय यूपी स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह डूबने लगे और घाट पर खड़े गोताखोर उन्हें बचाने के लिए 10 हजार रुपये मांगते रहे. वहीं गंगा में डूबने से आदित्य वर्धन सिंह की मौत हो गई.
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पैसे मांगते रहे गोताखोर
बता दें कि शनिवार को कानपुर के नाना मऊ घाट पर उन्नाव के निवासी आदित्य वर्धन सिंह अपने दोस्त प्रदीप तिवारी के साथ गंगा नहाने आए थे. नहाते समय जब आदित्य वर्धन सिंह फोटो खींचने के दौरान गंगा के गड्ढे में चले गए और डूबने लगे, तो उनके दोस्त ने तुरंत गोताखोरों से मदद की गुहार लगाई. लेकिन, गोताखोरों ने पहले 10 हजार रुपये की मांग की. दोस्तों ने कहा कि उनके पास कैश नहीं है और वे ऑनलाइन ट्रांसफर कर देंगे. गोताखोरों ने पास के दुकानदार शैलेश कश्यप के अकाउंट में पहले पैसे ट्रांसफर करवाए. पैसे ट्रांसफर होने तक आदित्य वर्धन सिंह गंगा में समा चुके थे.
अभी तक नहीं मिला शव
घटनास्थल पर पुलिस प्रशासन, एसडीआरएफ और निजी गोताखोर पहुंचे और रात तक तलाश करते रहे, लेकिन बॉडी नहीं मिल पाई. इलाके की प्रधान ने प्रदीप तिवारी के अकाउंट में पैसा वापस कर दिया. इस मामले में एडीसीपी बृजेंद्र द्विवेदी ने कहा कि, 'उनके डूबने की सूचना पर पुलिस मौके पर आई है. हम देर रात तक उनको तलाशते रहे फिलहाल अभी तक उनका पता नहीं चला है. सुबह से फिर उनको तलाश में का अभियान चलाया जा रहा है.'
पत्नी जज और भाई बिहार सरकार में सचिव
इस घटना से इलाके में चर्चा है कि जब इतने बड़े अधिकारी को बचाने के लिए 10 हजार रुपये मांगे जाते हैं, तो आम लोगों का क्या होता होगा? इसने कानपुर प्रशासन और गंगा में नहाते समय सुरक्षा के इंतजाम पर सवाल खड़े कर दिए हैं. आदित्य वर्धन सिंह की बहन और माता-पिता विदेश में हैं और उनके भाई अनुपम सिंह बिहार सरकार के सचिव हैं. आदित्य लखनऊ के इंदिरा नगर में रहते थे. उनकी पत्नी शैलजा मिश्रा महाराष्ट्र में जज हैं.
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